दुमका: संथाल परगना प्रमंडल में लगभग 40% आबादी संथाल समाज के लोगों की है. ऐसे में यहां रहने वाले सभी लोगों के लिए संताली भाषा जानना-समझना और बोलना काफी उपयोगी माना जाता है. अगर आप इस भाषा को जानते-समझते हैं तो आपको संवाद करने में काफी आसानी होगी. पूरे प्रमंडल में अब तक ऐसा कोई संस्थान चाहे वह निजी हो या सरकारी कहीं संताली भाषा सिखायी नहीं जाती. ऐसे दुमका स्थित सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय द्वारा खुद इस दिशा में पहल करते हुए संताली स्पीकिंग कोर्स की शुरुआत की गई. सोमवार को एसकेएम यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो.डॉ. सोना झारिया मिंज ने संताली स्पोकन कोर्स का उद्घाटन किया. इस अवसर पर दुमका के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला भी मौजूद थे.
क्या है पूरा मामला: सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ सोना झारिया मिंज और दुमका उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने विश्वविद्यालय के संताली स्पोकन कोर्स का उद्घाटन किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. संजय कुमार सिन्हा सहित कई पदाधिकारी मौजूद थे. यह 90 घंटे का कोर्स होगा. पाठ्यक्रम बहुत ही सहज बनाया गया है. कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राएं बहुत ही सरलता से संताली सीख सकते हैं और बोल सकते हैं. आम बोलचाल और सभी जगह उपयोग में आने वाले शब्दों को सिलेबस में शामिल किया गया है.
कुलपति ने क्या कहा: विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सोना झरिया मिंज ने कहा कि यह सर्टिफिकेट कोर्स इस क्षेत्र के लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित होगा. इसमें दाखिला लेने के लिए कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं की गई है. यह शुरुआत यहां के संताली भाषा प्रेमियों के लिए भी हर्ष का विषय है कि उनकी भाषा को सिखाने के लिए हमने कोर्स की शुरुआत की है. विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और शिक्षक भी इस कोर्स का लाभ उठा सकते हैं. कोर्स का शुरुआत होने से संताली भाषा के साथ-साथ इससे जुड़ी साहित्य और संस्कृति का भी विकास होगा. लोग इसे ज्यादा समझ सकेंगे. उन्होंने कहा कि इस कोर्स को सुचारू रूप से चलाया जाएगा.
दुमका उपायुक्त ने की सराहना: इस कोर्स के उद्घाटन के लिए विश्वविद्यालय परिवार के द्वारा दुमका के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला को आमंत्रित किया गया था. उपायुक्त ने कहा कि एसकेएम यूनिवर्सिटी ने संताली भाषा को विस्तृत करने में यह सार्थक पहल की है. यहां जिस चीज की आवश्यकता थी उसकी शुरुआत करके ऐतिहासिक काम किया है. जो संताली भाषा नहीं जानते हैं उनके लिए इसे सीखने का एक अच्छा अवसर है. इस जिले में जो पदाधिकारी और कर्मचारी है उनके लिए संताली भाषा मे संवाद करना काफी मुश्किल होता है. वे इस कोर्स को कर अपनी समस्या दूर कर सकते हैं और आसानी से के साथ यहां के लोगों के साथ संताली भाषा में संवाद स्थापित कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि मैं खुद इसका लाभ तो लूंगा ही साथ ही अपने स्तर से जिला के कर्मचारी को इस कोर्स में दाखिला लेने के लिए प्रेरित करूंगा.