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दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट गहराया, शिकारीपाड़ा और रानीश्वर प्रखंड में पानी के लिए मचा हाहाकार - Water Problem In Shikaripada

दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों पानी के लिए लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. भीषण गर्मी के कारण अधिकांश जल स्त्रोत सूख गए हैं. साथ ही कई इलाकों में चापाकल भी खराब है. इस कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पानी की समस्या पर ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के शिकारीपाड़ा और रानीश्वर प्रखंड में पड़ताल की है.

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Drinking Water Crisis In Dumka
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Published : Jun 12, 2023, 1:23 PM IST

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका में कई इलाकों में पेयजल संकट गहरा गया है. खासकर ग्रामीण इलाकों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के कौड़ीगढ़ और रानीश्वर प्रखंड के चापुड़िया गांव में लोगों को पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. शिकारीपाड़ा प्रखंड के कौड़ीगढ़ में पानी का इंतजाम करने के लिए लोगों को तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. गांव में चापाकल नहीं रहने की वजह से लोगों को झरना के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-Dumka News: मूलभूत सुविधाओं से वंचित है यह गांव, सड़क का पता नहीं, डोभा के पानी से बुझाते हैं प्यास

शिकारीपाड़ा के कौड़ीगढ़ के ग्रामीण झरने के पानी पर निर्भरः गांव के लोगों ने कहा कि इंसानों के साथ-साथ पशु भी झरने के पानी से प्यास बुझाते हैं. झरने का पानी दूषित है, लेकिन मजबूरी में झरने का पानी पीते हैं. शिकारीपाड़ा प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव कौड़ीगढ़ के लोग पानी की किल्लत से परेशान हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कौड़ीगढ़ गांव में पानी की भीषण समस्या है, लेकिन हमारी समस्या पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. दिन का अधिकांश समय पानी भरने में ही गुजर जाता है. जिससे हमें आर्थिक तौर पर भी काफी परेशानी होती है. ग्रामीणों ने सरकार से इस समस्या का अविलंब समाधान की मांग की है.

रानीश्वर प्रखंड के चापुड़िया गांव में पेयजल की समस्या विकरालः वहीं रानीश्वर प्रखंड की धानभाषा पंचायत के चापुड़िया पहाड़िया टोला में दो महीने से भीषण पेयजल समस्या से ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है. गर्मी के कारण प्रखंड के अधिकांश जल स्रोत सूख गए हैं. दुमका जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर रानीश्वर प्रखंड की धनबासा पंचायत के चापुड़िया गांव के लोगों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. यहां आदिम जनजाति पहाड़िया के लगभग 50 परिवार निवास करते हैं. गांव में मत्स्य विभाग का एक तालाब है, लेकिन इस तपती गर्मी में उसका पानी पूरी तरह से सूख चुका है.

तालाब सूखा, चापाकल खराब, अब कुएं के पानी से बुझ रही प्यासः गांव के सभी लोग अपने सारे कार्यों के लिए इसी तालाब पर आश्रित हैं. यहां तक की मवेशियों को भी पानी यहीं से मिलता है, लेकिन तालाब सूख जाने की वजह से लोग परेशान हैं. गांव में दो चापाकल है, जो महीनों से खराब हैं. अब पूरे गांव के लोगों के लिए एकमात्र आसरा एक कुआं है. जिससे किसी तरह लोगों का काम चल रहा है. हालांकि अब कुएं में भी पानी काफी कम हो गया है. ग्रामीणों ने प्रशासन से खराब चापाकल को दुरुस्त कराने की मांग की है.

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका में कई इलाकों में पेयजल संकट गहरा गया है. खासकर ग्रामीण इलाकों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के कौड़ीगढ़ और रानीश्वर प्रखंड के चापुड़िया गांव में लोगों को पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. शिकारीपाड़ा प्रखंड के कौड़ीगढ़ में पानी का इंतजाम करने के लिए लोगों को तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. गांव में चापाकल नहीं रहने की वजह से लोगों को झरना के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है.

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शिकारीपाड़ा के कौड़ीगढ़ के ग्रामीण झरने के पानी पर निर्भरः गांव के लोगों ने कहा कि इंसानों के साथ-साथ पशु भी झरने के पानी से प्यास बुझाते हैं. झरने का पानी दूषित है, लेकिन मजबूरी में झरने का पानी पीते हैं. शिकारीपाड़ा प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव कौड़ीगढ़ के लोग पानी की किल्लत से परेशान हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कौड़ीगढ़ गांव में पानी की भीषण समस्या है, लेकिन हमारी समस्या पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. दिन का अधिकांश समय पानी भरने में ही गुजर जाता है. जिससे हमें आर्थिक तौर पर भी काफी परेशानी होती है. ग्रामीणों ने सरकार से इस समस्या का अविलंब समाधान की मांग की है.

रानीश्वर प्रखंड के चापुड़िया गांव में पेयजल की समस्या विकरालः वहीं रानीश्वर प्रखंड की धानभाषा पंचायत के चापुड़िया पहाड़िया टोला में दो महीने से भीषण पेयजल समस्या से ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है. गर्मी के कारण प्रखंड के अधिकांश जल स्रोत सूख गए हैं. दुमका जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर रानीश्वर प्रखंड की धनबासा पंचायत के चापुड़िया गांव के लोगों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. यहां आदिम जनजाति पहाड़िया के लगभग 50 परिवार निवास करते हैं. गांव में मत्स्य विभाग का एक तालाब है, लेकिन इस तपती गर्मी में उसका पानी पूरी तरह से सूख चुका है.

तालाब सूखा, चापाकल खराब, अब कुएं के पानी से बुझ रही प्यासः गांव के सभी लोग अपने सारे कार्यों के लिए इसी तालाब पर आश्रित हैं. यहां तक की मवेशियों को भी पानी यहीं से मिलता है, लेकिन तालाब सूख जाने की वजह से लोग परेशान हैं. गांव में दो चापाकल है, जो महीनों से खराब हैं. अब पूरे गांव के लोगों के लिए एकमात्र आसरा एक कुआं है. जिससे किसी तरह लोगों का काम चल रहा है. हालांकि अब कुएं में भी पानी काफी कम हो गया है. ग्रामीणों ने प्रशासन से खराब चापाकल को दुरुस्त कराने की मांग की है.

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