दुमकाः शहर के शनि मंदिर के बाहर भीख मांग रहे तीन भाई- बहनों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी दुमका ने शनिवार को रेस्क्यू किया है. अब तीनों बच्चों को स्पॉन्सरशिप प्रोग्राम के तहत जोड़ा जाएगा. बताया जाता है कि शनि मंदिर के सामने अपनी मां के साथ तीनों बच्चे भीख मांग रहे थे. इसमें दो बहन और एक भाई हैं. दुमका की चाइल्डलाइन टीम की मेंबर निशा कुमारी, शांतिलता हेम्ब्रम और निक्कू कुमार ने दो बालिका और एक बालक को रेस्क्यू कर तीनों को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया.
ये भी पढ़ें-मजदूरी के लिए धनबाद भेजे जा रहे थे चार बच्चे, बाल कल्याण समिति ने कराया मुक्त
भीख दे रहे लोगों को भी चाइल्डलाइन की टीम ने समझायाः दरअसल, भीख मांग रहे तीनों बच्चों को भीख दे रहे लोगों को भी चाइल्डलाइन की टीम ने समझाया कि वो किसी भी बच्चे को भीख न दें. बच्चों के हाथ में भीख का कटोरा नहीं, बल्कि किताब, कलम और पेन होना चाहिए. यदि 18 साल से कम उम्र का कोई भी बालक या बालिका भीख मांगते नजर आते हैं तो इसके बारे में बाल कल्याण समिति, चाइल्डलाइन या पुलिस को सूचना दे सकते हैं. साथ ही कोई भी व्यक्ति ऐसे बच्चे को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है. सीडब्ल्यूसी ऐसे बच्चे का सही ढंग से पालन-पोषण और शिक्षा-दीक्षा सुनिश्चित करेगी.
बच्चों की मां का किया गया बयान दर्जः बाल कल्याण समिति के सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय और कुमारी विजय लक्ष्मी ने तीनों बच्चों और उसकी मां का बयान दर्ज करते हुए इस मामले की सुनवाई की. दुमका के मसलिया प्रखंड क्षेत्र की रहनेवाली बच्चों की मां ने बताया कि वह तीनों बच्चों को लेकर दो दिन पूर्व सदर अस्पताल आयी थी. उसकी बेटी बीमार है. जिसे डॉक्टर को दिखाया. वह दुमका के शनि मंदिर के सामने अपनी दोनों बेटियों और बेटे के साथ भीख मांग रही थी कि इसी दौरान चाइल्डलाइन की टीम वहां पहुंच गई और अपने साथ ले गई.
काम नहीं मिलने पर भीख मांग का गुजारा करती है मांः बच्चों की मां ने कहा कि वह बच्चों को शनि मंदिर में खिचड़ी खिलाने आयी थी. महिला ने बताया कि उसकी शादी लगभग 16 साल पूर्व हुई है. उसे तीन बेटी और एक बेटा है. सबसे बड़ी बेटी 15 वर्ष की है जो चाचा के साथ रहती है. दो बेटी और एक बेटा उसके साथ रहते हैं और गांव के स्कूल में पढ़ते हैं. पति उसके साथ नहीं रहता है और न ही बच्चों के लालन-पालन के लिए कोई खर्च देता है. वह खुद गांव में मजदूरी करती है. गांव में काम नहीं मिलने पर कई बार भीख भी मांगना पड़ता है. भविष्य में बच्चों से भीख नहीं मंगवाने की शर्त पर तीनों बच्चों को उसकी मां के साथ घर भेज दिया गया है.
तीनों बच्चों को स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़ने की कवायद शुरूः समिति ने चाइल्डलाइन के समन्वयक को निर्देश दिया है कि तीनों बच्चों का सामाजिक, आर्थिक जांच करते हुए 75 हजार रुपए से कम का वार्षिक पारिवारिक आय होने का प्रमण पत्र प्रस्तुत करें, ताकि तीनों बच्चों को स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़ा जा सके. दुमका बाल कल्याण समिति के चेयरमैन अमरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि स्पॉन्सरशिप स्कीम के तहत एक-एक बच्चे को प्रति माह चार हजार दिए जाते हैं. हमलोग इन तीनों बच्चों को उस स्कीम में जोड़ने की कवायद कर रहे हैं. साथ ही साथ बच्चों की मां से हमने लिखित रूप से लिया है कि वह भविष्य में कभी इनसे भीख मंगवाने का कार्य नहीं करेगी. हम लोग तीनों बच्चों की भी मॉनिटरिंग करेंगे.