दुमका: प्रसिद्ध तीर्थस्थल बासुकीनाथ में एक माह तक चलने वाले श्रावणी मेला में जहां हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन भोलेनाथ को जलार्पण के लिए आते हैं. वहीं, दूरदराज के हजारों दुकानदार भी व्यवसाय के लिए यहां पहुंचते हैं. इसके साथ ही जो स्थानीय दुकानदार होते हैं वे भी इस माह अपने व्यवसाय को और विस्तृत कर लेते हैं. बासुकीनाथ पहुंचने वाले श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर के लगभग एक किलोमीटर एरिया में लगे सावन बाजार में तरह-तरह के सामान खरीदते हैं.
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पेड़ा-चूड़ा-माला-खिलौने के साथ कई सामानों की होती है खरीददारी: भगवान शिव की पूजा करने के बाद श्रद्धालु प्रसाद के तौर पर पेड़ा, चूड़ा, इलायची दाना, माला, रंगीन सूत की बद्धी, चूड़ी और अन्य श्रृंगार के सामान, बच्चों के खिलौने, लोहे-पीतल के बर्तन के अलावा पत्थर के बने घरेलू सामान, हस्तशिल्प और कई अन्य तरह की चीजों को खरीदते हैं. इसके साथ ही इस मेला अवधि में दर्जनों अस्थायी होटल भी खुल जाते हैं जहां लोग भोजन करते हैं.
दुकानदारों को है उम्मीद इस वर्ष होगी अच्छी आमदनी: इस वर्ष भी बासुकीनाथ में श्रावणी मेले का बाजार सज चुका है. स्थानीय हो या बाहर के दुकानदार सभी को उम्मीद है कि दो साल के बाद इस बार मेला लग रहा है तो बाजार अच्छा रहेगा, हमें बेहतर आमदनी प्राप्त होगी.
छठ पर्व में इस्तेमाल होने वाला बांस के सूप और डाले की होती है जमकर खरीददारी: वैसे तो बासुकीनाथ में कई तरह के सामानों को लोग खरीद कर ले जाते हैं, लेकिन यहां का जो एक मुख्य आकर्षण है, वह है बांस के बने सूप और डाला. आमतौर पर छठ पर्व के समय इसका इस्तेमाल होता है. खासतौर पर बिहार के जो श्रद्धालु बासुकीनाथ पूजा के लिए आते हैं. वे बांस के सूप और डाले को खरीद कर अपने साथ ले जाते हैं. इन श्रद्धालुओं का कहना है कि हमारे तरफ भी यह मिलता है लेकिन बासुकीनाथ की क्वॉलिटी ज्यादा बेहतर होती है इसलिए प्रतिवर्ष हमलोग यहां जब सावन माह में यहां पूजा करने आते हैं, तो इसे जरूर खरीद कर ले जाते हैं.
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क्या कहते हैं स्थानीय दुकानदार और मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोग: स्थानीय दुकानदार जो कई दशक से बासुकीनाथ के साथ भी मेला में अपना व्यवसाय चला रहे हैं, उनका कहना है कि सावन के एक माह में इतनी अच्छी आमदनी हो जाती है कि इसका सकारात्मक असर पूरे वर्ष तक रहता है. हमलोग पूरे वर्ष इस सावन माह का इंतजार करते हैं और पूरे लगन के साथ इसमें दुकानदारी करते हैं. इधर मंदिर प्रबंधन से जुड़े अभयकांत प्रसाद जो स्थानीय विधायक भी रहे हैं उनका कहना है कि इस श्रावणी मेले में हजारों लोगों को बेहतर आमदनी प्राप्त होती है. पूरे मेले की अर्थशास्त्र की बात करें तो करोड़ों रुपए का व्यवसाय यहां होता है.