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4 महीने से आंगनबाड़ी कर्मचारियों को नहीं मिला मानदेय, CS से लगाई गुहार

दुमका में कोरोना के कारण 5975 से ज्यादा आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका और पोषण सखियों का मानदेय चार महीनों से बंद है. पैसे नहीं मिलने के कारण आंगनबाड़ी सेविकाएं जहां परेशान हैं, वहीं अधिकारियों ने मानदेय मद में आवंटन नहीं मिलने की बात कही है. आंगनबाड़ी सेविका सहायक संघ ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले में मदद की गुहार लगाई है.

Anganwadi workers in trouble
मुश्किल में आंगनबाड़ी कर्मी
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Published : Jun 25, 2021, 9:36 PM IST

Updated : Jun 25, 2021, 10:47 PM IST

दुमका: जिले के 2060 आंगनबाड़ी केंद्रों के 5 हजार 975 सेविका, सहायिका और पोषण सखी 4 माह से मानदेय नहीं मिलने से परेशान हैं. इन कर्मियों ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मानदेय न रोकने की गुहार लगाई है.

देखिए पूरी खबर

ये भी पढ़ें- 82 साल की बुजुर्ग महिला ने लिया कोरोना का टीका, अन्य लोगों को भी किया वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित

फरवरी से नहीं मिला कर्मियों को मानदेय
दुमका में आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत लगभग 6 हजार सेविका, सहायिका और पोषण सखी को 4 माह से मानदेय नहीं मिला है. इससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लखीकुंडी आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सलोनी मुर्मू बताती हैं कि मानदेय 4 माह से बंद रहने से घर में आर्थिक किल्लत हो गई है. सरकार को इस पर गंभीरता दिखानी चाहिए.

मानदेय को लेकर मुख्य सचिव को लिखा पत्र

झारखंड राज्य पोषण सखी संघ के संरक्षक विजय कुमार दास बताते हैं कि आंगनबाड़ी केंद्रों के कर्मियों को जो मानदेय नहीं मिला है इसके लिए राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया है. उन्होंने कहा कि हमने उनसे गुहार लगाई है कि इनका मानदेय नहीं रोका जाए. वे कहते हैं कि ये लोग अपने काम में शत प्रतिशत योगदान देते हैं उन्होंने कहा कि अभी कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है. ऐसे में अगर इन्हें समय पर मानदेय दिया जाए तो ये पूरे उत्साह उमंग के साथ अपने कार्य में लगी रहेंगी.

वेतन के लिए नहीं मिल रहा आवंटन

आंगनबाड़ी सेविकाओं को मानदेय केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से दिया जाता है. बता दें कि कर्मियों को जो मानदेय दिया जाता है उसमें 60 फीसदी अंश केंद्र सरकार और 40 फीसदी राज्य सरकार का होता है. केंद्र सरकार अपने अनुदान को राज्य सरकार को भेज देती है और फिर राज्य सरकार के माध्यम से जिला तक पहुंचता है. इस मामले में समाज कल्याण अधिकारी बताती हैं कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि केंद्र सरकार ने अपना अंशदान राज्य सरकार को भेजा है या नहीं. हमारे पास तो राज्य सरकार जो आवंटन देती है वह पिछले 4 माह से बंद है. इसी वजह से आंगनबाड़ी कर्मियों को हम भुगतान नहीं कर पा रहे हैं.

कोरोना के बावजूद कर रहे हैं काम

चार माह से मानदेय नहीं मिलने पर पोषण सखी संघ के झारखंड राज्य की संरक्षक पूनम गोस्वामी बताती हैं कि कहने को तो आंगनबाड़ी केंद्र कई माह से बंद हैं, पर हमें कोरोना काल में घर-घर जाकर सर्वे करना पड़ रहा है. वे कहती हैं कि कोविड-19 वैक्सीन को लेकर सर्वे किया जा रहा है. जिसमें उन्हें रोजाना काम करना पड़ता है. ऐसे में मानदेय नहीं मिलने से उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

दुमका में कितने आंगनबाड़ी कर्मचारी

दुमका में कुल आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 2060 है, जबकि सेविकाओं की संख्या 2 हजार 44 है. सहायिका की संख्या 1920 और पोषण सखी की संख्या 2 हजार 11 है.

कितना मिलता है मानदेय?
बता दें कि आंगनबाड़ी केंद्रों में सेविका को जहां 6 हजार 400 मानदेय मिलता है, वहीं सहायिका को 3 हजार 200 और पोषण सखी को 3 हजार प्रतिमाह मानदेय के रूप में दिया जाता है.

दुमका: जिले के 2060 आंगनबाड़ी केंद्रों के 5 हजार 975 सेविका, सहायिका और पोषण सखी 4 माह से मानदेय नहीं मिलने से परेशान हैं. इन कर्मियों ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मानदेय न रोकने की गुहार लगाई है.

देखिए पूरी खबर

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फरवरी से नहीं मिला कर्मियों को मानदेय
दुमका में आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत लगभग 6 हजार सेविका, सहायिका और पोषण सखी को 4 माह से मानदेय नहीं मिला है. इससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लखीकुंडी आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सलोनी मुर्मू बताती हैं कि मानदेय 4 माह से बंद रहने से घर में आर्थिक किल्लत हो गई है. सरकार को इस पर गंभीरता दिखानी चाहिए.

मानदेय को लेकर मुख्य सचिव को लिखा पत्र

झारखंड राज्य पोषण सखी संघ के संरक्षक विजय कुमार दास बताते हैं कि आंगनबाड़ी केंद्रों के कर्मियों को जो मानदेय नहीं मिला है इसके लिए राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया है. उन्होंने कहा कि हमने उनसे गुहार लगाई है कि इनका मानदेय नहीं रोका जाए. वे कहते हैं कि ये लोग अपने काम में शत प्रतिशत योगदान देते हैं उन्होंने कहा कि अभी कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है. ऐसे में अगर इन्हें समय पर मानदेय दिया जाए तो ये पूरे उत्साह उमंग के साथ अपने कार्य में लगी रहेंगी.

वेतन के लिए नहीं मिल रहा आवंटन

आंगनबाड़ी सेविकाओं को मानदेय केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से दिया जाता है. बता दें कि कर्मियों को जो मानदेय दिया जाता है उसमें 60 फीसदी अंश केंद्र सरकार और 40 फीसदी राज्य सरकार का होता है. केंद्र सरकार अपने अनुदान को राज्य सरकार को भेज देती है और फिर राज्य सरकार के माध्यम से जिला तक पहुंचता है. इस मामले में समाज कल्याण अधिकारी बताती हैं कि हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि केंद्र सरकार ने अपना अंशदान राज्य सरकार को भेजा है या नहीं. हमारे पास तो राज्य सरकार जो आवंटन देती है वह पिछले 4 माह से बंद है. इसी वजह से आंगनबाड़ी कर्मियों को हम भुगतान नहीं कर पा रहे हैं.

कोरोना के बावजूद कर रहे हैं काम

चार माह से मानदेय नहीं मिलने पर पोषण सखी संघ के झारखंड राज्य की संरक्षक पूनम गोस्वामी बताती हैं कि कहने को तो आंगनबाड़ी केंद्र कई माह से बंद हैं, पर हमें कोरोना काल में घर-घर जाकर सर्वे करना पड़ रहा है. वे कहती हैं कि कोविड-19 वैक्सीन को लेकर सर्वे किया जा रहा है. जिसमें उन्हें रोजाना काम करना पड़ता है. ऐसे में मानदेय नहीं मिलने से उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

दुमका में कितने आंगनबाड़ी कर्मचारी

दुमका में कुल आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 2060 है, जबकि सेविकाओं की संख्या 2 हजार 44 है. सहायिका की संख्या 1920 और पोषण सखी की संख्या 2 हजार 11 है.

कितना मिलता है मानदेय?
बता दें कि आंगनबाड़ी केंद्रों में सेविका को जहां 6 हजार 400 मानदेय मिलता है, वहीं सहायिका को 3 हजार 200 और पोषण सखी को 3 हजार प्रतिमाह मानदेय के रूप में दिया जाता है.

Last Updated : Jun 25, 2021, 10:47 PM IST
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