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Good News For Industrialists: शोध संस्थान सिंफर में वायर रोप टेस्टिंग मशीन की गई इंस्टॉल, अब वायर टेस्टिंग के लिए विदेशों पर निर्भरता खत्म - झारखंड न्यूज

सिंफर में 500 टन से अधिक की वायर रोप टेस्टिंग मशीन स्थापित की गई है. इस कारण अब भारत से बड़े इंडस्ट्रलिस्ट को अब दूसरे देशों पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा.

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Wire Rope Testing Machine Installed In Sinfer
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Published : Feb 17, 2023, 1:57 PM IST

Updated : Feb 17, 2023, 3:15 PM IST

धनबाद: जिस कार्य के लिए पूर्व में भारत के उद्योगपतियों को विदेश जाना पड़ता था, वह कार्य अब अपने देश में ही संभव हो पाएगा. पूर्व में कार्य से विदेश जाने में समय और धन दोनों की बर्बादी होती थी. इससे माइनिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, टूरिज्म और ऑयल के क्षेत्र में आने वाली कंपनियों को लाभ मिलेगा. दरअसल, देश के प्रमुख शोध संस्थानों में शुमार सिंफर ने वायर रोप टेस्टिंग मशीन को स्थापित किया है. जर्मनी से मंगायी गई रोप टेस्टिंग मशीन की कीमत 10.10 करोड़ है. सिंफर के वैज्ञानिकों की टीम ने लगभग दो वर्षों के अथक प्रयास के बाद वायर रोप की टेस्टिंग शुरू कर दी है.

ये भी पढे़ं-Traders Protest in Dhanbad: धनबाद में कृषि शुल्क बढ़ोतरी के खिलाफ हड़ताल, व्यवसायियों ने की कानून वापस लेने की मांग

इनहाउस प्रोजेक्ट के तहत मशीन की गई है स्थापितः उषा मार्टिन ने अपनी कंपनी की पहली वायर रोप टेस्टिंग कराकर इसकी शुरुआत की है. इस संबंध में टीम लीडर वैज्ञानिक डॉ शुभोजीत डे ने ईटीवी भारत से बताया कि इनहाउस प्रोजेक्ट के तहत मशीन यहां स्थापित की गई है. उन्होंने कहा कि एक हजार टन टेंशन टेस्टिंग मशीन है. इस मशीन पर 1000 टन स्टेटिक टेंशन और 500 टन डायनेमिक लोड दे सकते हैं.

ग्लोबल टेंडर के तहत जर्मनी से मंगाई गई मशीनः भारत में यह सुविधा पहले नहीं थी. ग्लोबल टेंडर के तहत यह मशीन जर्मनी से मंगायी गई है. इसे स्थापित करने के पहले एक वायर रोप को लेकर एक सर्वे किया गया था. भारत के कई इलाको में डीप माइनिंग का कार्य चलता है. इसके लिए हाई कैपेसिटी की मशीनों की जरूरत होती है. उन हाई कैपेसिटी की मशीनों की गुणवत्ता की जांच इसके जरिए पूरी हो सकेगी.

मेक इन इंडिया में बहुत बड़ा योगदानः उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया में यह एक बहुत बड़ा योगदान है. 500 टन कैपेसिटी की टेस्टिंग के लिए संस्थान में पहले से ही मशीनें हैं, लेकिन जब 500 टन से अधिक कैपेसिटी का वायर रोप की टेस्टिंग की सुविधा भारत में नहीं है. इसके लिए कंपनियों को सिंगापुर और स्वीडन का रुख करना पड़ता था, लेकिन इस मशीन के स्थापित होने के बाद कंपनियों को विदेशों का रुख नहीं करना पड़ेगा.

रोप वायर की टेस्टिंग भारत में होने से मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में आएगी कमीः उन्होंने बताया कि भारतीय मुद्रा जो विदेशों में जाती थी, वह अब विदेश में नहीं जाएगी. इसके साथ ही कंपनी जब वायर रोप की टेस्टिंग के लिए विदेश जाती थी उनके मैन्युफैक्चरिंग में एक्स्ट्रा कॉस्ट आता था. इसके साथ ही समय की भी बचत कंपनियों को होगी.

500 टन से अधिक कैपिसिटी की रोप वायर टेस्टिंग की सुविधा शुरूः वायर रोप की टेस्टिंग कराने सिंफर पहुंचे उषा मार्टिन के डिप्टी मैनेजर संदीप जायसवाल ने बताया कि पहले सिंफर में 500 टन कैपिसिटी की रोप टेस्टिंग मशीनें थी. 500 टन से ऊपर की रोप टेस्टिंग के लिए मशीनें यूरोपियन कंट्री भेजनी पड़ती थी.दूसरे देशों में टेस्टिंग के लिए भेजने में भी समय लगता था और उसका रिजल्ट आने में भी देर होती थी, लेकिन अब यह सुविधा यहां उपलब्ध हो गई है.

धनबाद: जिस कार्य के लिए पूर्व में भारत के उद्योगपतियों को विदेश जाना पड़ता था, वह कार्य अब अपने देश में ही संभव हो पाएगा. पूर्व में कार्य से विदेश जाने में समय और धन दोनों की बर्बादी होती थी. इससे माइनिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, टूरिज्म और ऑयल के क्षेत्र में आने वाली कंपनियों को लाभ मिलेगा. दरअसल, देश के प्रमुख शोध संस्थानों में शुमार सिंफर ने वायर रोप टेस्टिंग मशीन को स्थापित किया है. जर्मनी से मंगायी गई रोप टेस्टिंग मशीन की कीमत 10.10 करोड़ है. सिंफर के वैज्ञानिकों की टीम ने लगभग दो वर्षों के अथक प्रयास के बाद वायर रोप की टेस्टिंग शुरू कर दी है.

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इनहाउस प्रोजेक्ट के तहत मशीन की गई है स्थापितः उषा मार्टिन ने अपनी कंपनी की पहली वायर रोप टेस्टिंग कराकर इसकी शुरुआत की है. इस संबंध में टीम लीडर वैज्ञानिक डॉ शुभोजीत डे ने ईटीवी भारत से बताया कि इनहाउस प्रोजेक्ट के तहत मशीन यहां स्थापित की गई है. उन्होंने कहा कि एक हजार टन टेंशन टेस्टिंग मशीन है. इस मशीन पर 1000 टन स्टेटिक टेंशन और 500 टन डायनेमिक लोड दे सकते हैं.

ग्लोबल टेंडर के तहत जर्मनी से मंगाई गई मशीनः भारत में यह सुविधा पहले नहीं थी. ग्लोबल टेंडर के तहत यह मशीन जर्मनी से मंगायी गई है. इसे स्थापित करने के पहले एक वायर रोप को लेकर एक सर्वे किया गया था. भारत के कई इलाको में डीप माइनिंग का कार्य चलता है. इसके लिए हाई कैपेसिटी की मशीनों की जरूरत होती है. उन हाई कैपेसिटी की मशीनों की गुणवत्ता की जांच इसके जरिए पूरी हो सकेगी.

मेक इन इंडिया में बहुत बड़ा योगदानः उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया में यह एक बहुत बड़ा योगदान है. 500 टन कैपेसिटी की टेस्टिंग के लिए संस्थान में पहले से ही मशीनें हैं, लेकिन जब 500 टन से अधिक कैपेसिटी का वायर रोप की टेस्टिंग की सुविधा भारत में नहीं है. इसके लिए कंपनियों को सिंगापुर और स्वीडन का रुख करना पड़ता था, लेकिन इस मशीन के स्थापित होने के बाद कंपनियों को विदेशों का रुख नहीं करना पड़ेगा.

रोप वायर की टेस्टिंग भारत में होने से मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में आएगी कमीः उन्होंने बताया कि भारतीय मुद्रा जो विदेशों में जाती थी, वह अब विदेश में नहीं जाएगी. इसके साथ ही कंपनी जब वायर रोप की टेस्टिंग के लिए विदेश जाती थी उनके मैन्युफैक्चरिंग में एक्स्ट्रा कॉस्ट आता था. इसके साथ ही समय की भी बचत कंपनियों को होगी.

500 टन से अधिक कैपिसिटी की रोप वायर टेस्टिंग की सुविधा शुरूः वायर रोप की टेस्टिंग कराने सिंफर पहुंचे उषा मार्टिन के डिप्टी मैनेजर संदीप जायसवाल ने बताया कि पहले सिंफर में 500 टन कैपिसिटी की रोप टेस्टिंग मशीनें थी. 500 टन से ऊपर की रोप टेस्टिंग के लिए मशीनें यूरोपियन कंट्री भेजनी पड़ती थी.दूसरे देशों में टेस्टिंग के लिए भेजने में भी समय लगता था और उसका रिजल्ट आने में भी देर होती थी, लेकिन अब यह सुविधा यहां उपलब्ध हो गई है.

Last Updated : Feb 17, 2023, 3:15 PM IST
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