धनबाद: डीएवी कोयलानगर के आठवीं के छात्र मयंक और अभिनव ने कड़ी मेहनत और लगन के दम पर एक ऐसे व्हीलचेयर का इजाद किया है, जो हाथ-पाव से लाचार दिव्यांगों के लिए काफी मददगार है. अक्सर देखा जाता है कि हाथ-पाव से लाचार दिव्यांग को व्हीलचेयर पर पीछे से कोई न कोई व्यक्ति पकड़ कर उसे मंजिल तक पहुंचता है.
अगर कोई व्यक्ति सामने न हो तो ऐसे दिव्यांगों के लिए एक बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है. इनकी परेशानी को दूर करने का बीड़ा मयंक और अभिनव ने उठाया है. स्कूल छुट्टी होने के बाद मयंक और अभिनव बस से उतरकर अपने घर जा रहे थे. सड़क किनारे व्हीलचेयर पर सवार हाथ-पाव से लाचार बुजुर्ग दिव्यांग के आसपास कोई नहीं था, वह सड़क क्रॉस कर वॉशरूम जाना चाहते थे.
दिव्यांग की परेशानी को दोनों छात्रों ने न सिर्फ देखा बल्कि महसूस भी किया और फिर दोनों ने इनके लिए कुछ करने की ठानी. इस वाक्ये को दोनों दूसरे दिन स्कूल आकर अपने आईटी टीचर को बताया और फिर तीनों की एक टीम ने इस पर काम करना शुरू किया. इसके बाद इन्होंने सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के बाद एक ऑटोमेटिक व्हीलचेयर इन्होंने बनाया.
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इस व्हीलचेयर की खासियत है कि इस पर सवार होने वाले दिव्यांग को किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है. सर हिलाकर,आंखों से या फिर आवाज से इस ऑटोमेटिक व्हीलचेयर को बड़ी ही आसानी से चलाया जा सकता है. इस व्हीलचेयर को चलाने के लिए हाथ और पाव की जरूरत नहीं है. ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में आगे और पीछे दो सेंसर लगे है. जिससे आगे या पीछे कोई भी चीज होने पर यह स्वतः रुक जाता है.
सेंसर का इस्तेमाल किया है
व्हीलचेयर में एक चश्मा भी शामिल है. यहां भी सेंसर का इस्तेमाल ग्लास और फ्रेम में किया गया है. दस सेकेंड तक आंखें अगर खुली है तो स्वतः यह चलता रहेगा, लेकिन अगर दस सेकेंड आंखें बंद रहती है तो यह स्वतः ही चलना बंद हो जाएगा. ऐसा इसलिए कि अगर किसी को नींद आ जाती है तो दुर्घटनाओं से बचा जा सके. दाहिनी आंख बंद करने पर यह बांयी ओर मुड़ेगा और बायीं आंख बंद करने पर यह दाहिनी ओर मुड़ेगा.
ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में कई फीचर
सिर के जरिए भी यह व्हीलचेयर ऑपरेट होता है. सर दाहिनी ओर करने पर उस ओर मुड़ जाता है. सिर बायीं ओर करने पर उसी ओर मुड़ जाता है. आगे जाने के लिए सिर को आगे झुकाना पड़ता है. पीछे जाने के लिए सर को पीछे की ओर झुकाना पड़ता है. इसके अलाव आवाज के माध्यम से भी बड़ी आसानी इसे ऑपरेट किया जा सकता है. मार्केट में इस तरह की एक व्हीलचेयर उपलब्ध है, जिसकी कीमत करीब 35 हजार रूपए है. मार्केट में उपलब्ध व्हीलचेयर जॉय स्टीक से काम करती है, लेकिन छात्रों द्वारा बनाई गई ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में कई फीचर है. छात्रों द्वारा बनाई गई ऑटोमेटिक व्हीलचेयर पर 21 हजार का खर्च आता है. किसी भी साधारण व्हीलचेयर में भी इस सिस्टम को फिट किया जा सकता है. जिसका खर्च करीब 15 हजार रुपए आता है.
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17 जनवरी को सूचना और प्रसारण मंत्री करेंगे सम्मानित
छात्रों के इस सराहनीय कार्य के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय इन्हें पुरूस्कृत करेंगे. 17 जनवरी को सूचना और प्रसारण मंत्री इन्हें सम्मानित करेंगे. सूचना और प्रसारण मंत्रालय आईडीएट फ़ॉर इंडिया कंपटीशन का आयोजन करती है. जिसमे यह टीम पहले जोनल स्तर पर शामिल होकर टॉप बने. उसके बाद राज्यस्तरीय और फिर राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना लोहा मनवाने में कामयाब रहे. जिसके बाद मंत्रालय की ओर सम्मानित करने के लिए दिल्ली बुलाया गया है. देशभर के टॉप 20 स्कूलों को विभिन्न क्षेत्र में बेहतर आइडिया के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्री के हाथों सम्मानित किया जाना है. जिसमे डीएवी के आईटी के टीचर बीके सिंह आठवीं कक्षा का छात्र मयंक और अभिनव भी शामिल है.
वहीं, स्कूल के प्राचार्य एके पांडेय ने कहा कि धनबाद के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए गौरव की बात है. आज की युवा पीढ़ी में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो बस उन्हें सही दिशा देने की. तभी वह भाभा और कलाम बनकर देश और दुनिया मे अपना नाम रौशन कर सकेंगे.