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धनबाद के छात्रों ने दिव्यांगों के लिए बनाई खास व्हीलचेयर, 17 जनवरी को IT मिनिस्टर करेंगे सम्मानित

धनबाद के डीएवी कोयलानगर के आठवीं के छात्र मयंक और अभिनव ने कड़ी मेहनत और लगन के दम पर एक ऐसे व्हीलचेयर का इजाद किया है, जो हाथ-पाव से लाचार दिव्यांगों के लिए काफी मददगार है. इस व्हीलचेयर पर हाथ-पाव से लाचार दिव्यांग बड़ी ही आसानी से बिना किसी सहारे के कहीं भी आ और जा सकते है. इस सराहनीय कार्य के लिए छात्रों की पूरी टीम को सूचना और प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद दिल्ली में सम्मानित करेंगे.

Wheelchairs made for the differently-abled will be awarded to the team which invented IT minister in Delhi on 17 January
व्हीलचेयर बनाते छात्र
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Published : Jan 15, 2020, 11:23 AM IST

धनबाद: डीएवी कोयलानगर के आठवीं के छात्र मयंक और अभिनव ने कड़ी मेहनत और लगन के दम पर एक ऐसे व्हीलचेयर का इजाद किया है, जो हाथ-पाव से लाचार दिव्यांगों के लिए काफी मददगार है. अक्सर देखा जाता है कि हाथ-पाव से लाचार दिव्यांग को व्हीलचेयर पर पीछे से कोई न कोई व्यक्ति पकड़ कर उसे मंजिल तक पहुंचता है.

देखें स्पेशल स्टोरी

अगर कोई व्यक्ति सामने न हो तो ऐसे दिव्यांगों के लिए एक बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है. इनकी परेशानी को दूर करने का बीड़ा मयंक और अभिनव ने उठाया है. स्कूल छुट्टी होने के बाद मयंक और अभिनव बस से उतरकर अपने घर जा रहे थे. सड़क किनारे व्हीलचेयर पर सवार हाथ-पाव से लाचार बुजुर्ग दिव्यांग के आसपास कोई नहीं था, वह सड़क क्रॉस कर वॉशरूम जाना चाहते थे.

Wheelchairs made for the differently-abled will be awarded to the team which invented IT minister in Delhi on 17 January
चलाने का तरीका

दिव्यांग की परेशानी को दोनों छात्रों ने न सिर्फ देखा बल्कि महसूस भी किया और फिर दोनों ने इनके लिए कुछ करने की ठानी. इस वाक्ये को दोनों दूसरे दिन स्कूल आकर अपने आईटी टीचर को बताया और फिर तीनों की एक टीम ने इस पर काम करना शुरू किया. इसके बाद इन्होंने सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के बाद एक ऑटोमेटिक व्हीलचेयर इन्होंने बनाया.

ये भी देखें- कनहर बराज प्रोजेक्ट को लेकर प्रशासन सख्त, मुख्य सचिव ने अधिकारियों को दिया निर्देश

इस व्हीलचेयर की खासियत है कि इस पर सवार होने वाले दिव्यांग को किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है. सर हिलाकर,आंखों से या फिर आवाज से इस ऑटोमेटिक व्हीलचेयर को बड़ी ही आसानी से चलाया जा सकता है. इस व्हीलचेयर को चलाने के लिए हाथ और पाव की जरूरत नहीं है. ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में आगे और पीछे दो सेंसर लगे है. जिससे आगे या पीछे कोई भी चीज होने पर यह स्वतः रुक जाता है.

Wheelchairs made for the differently-abled will be awarded to the team which invented IT minister in Delhi on 17 January
व्हीलचेयर बनाते छात्र

सेंसर का इस्तेमाल किया है

व्हीलचेयर में एक चश्मा भी शामिल है. यहां भी सेंसर का इस्तेमाल ग्लास और फ्रेम में किया गया है. दस सेकेंड तक आंखें अगर खुली है तो स्वतः यह चलता रहेगा, लेकिन अगर दस सेकेंड आंखें बंद रहती है तो यह स्वतः ही चलना बंद हो जाएगा. ऐसा इसलिए कि अगर किसी को नींद आ जाती है तो दुर्घटनाओं से बचा जा सके. दाहिनी आंख बंद करने पर यह बांयी ओर मुड़ेगा और बायीं आंख बंद करने पर यह दाहिनी ओर मुड़ेगा.

ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में कई फीचर

सिर के जरिए भी यह व्हीलचेयर ऑपरेट होता है. सर दाहिनी ओर करने पर उस ओर मुड़ जाता है. सिर बायीं ओर करने पर उसी ओर मुड़ जाता है. आगे जाने के लिए सिर को आगे झुकाना पड़ता है. पीछे जाने के लिए सर को पीछे की ओर झुकाना पड़ता है. इसके अलाव आवाज के माध्यम से भी बड़ी आसानी इसे ऑपरेट किया जा सकता है. मार्केट में इस तरह की एक व्हीलचेयर उपलब्ध है, जिसकी कीमत करीब 35 हजार रूपए है. मार्केट में उपलब्ध व्हीलचेयर जॉय स्टीक से काम करती है, लेकिन छात्रों द्वारा बनाई गई ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में कई फीचर है. छात्रों द्वारा बनाई गई ऑटोमेटिक व्हीलचेयर पर 21 हजार का खर्च आता है. किसी भी साधारण व्हीलचेयर में भी इस सिस्टम को फिट किया जा सकता है. जिसका खर्च करीब 15 हजार रुपए आता है.

Wheelchairs made for the differently-abled will be awarded to the team which invented IT minister in Delhi on 17 January
धनबाद के डीएवी कोयलानगर

ये भी देखें- साहिबगंज की लड़की को दलाल ने दिल्ली में बेचा, इस तरह बचाई आबरू

17 जनवरी को सूचना और प्रसारण मंत्री करेंगे सम्मानित
छात्रों के इस सराहनीय कार्य के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय इन्हें पुरूस्कृत करेंगे. 17 जनवरी को सूचना और प्रसारण मंत्री इन्हें सम्मानित करेंगे. सूचना और प्रसारण मंत्रालय आईडीएट फ़ॉर इंडिया कंपटीशन का आयोजन करती है. जिसमे यह टीम पहले जोनल स्तर पर शामिल होकर टॉप बने. उसके बाद राज्यस्तरीय और फिर राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना लोहा मनवाने में कामयाब रहे. जिसके बाद मंत्रालय की ओर सम्मानित करने के लिए दिल्ली बुलाया गया है. देशभर के टॉप 20 स्कूलों को विभिन्न क्षेत्र में बेहतर आइडिया के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्री के हाथों सम्मानित किया जाना है. जिसमे डीएवी के आईटी के टीचर बीके सिंह आठवीं कक्षा का छात्र मयंक और अभिनव भी शामिल है.

वहीं, स्कूल के प्राचार्य एके पांडेय ने कहा कि धनबाद के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए गौरव की बात है. आज की युवा पीढ़ी में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो बस उन्हें सही दिशा देने की. तभी वह भाभा और कलाम बनकर देश और दुनिया मे अपना नाम रौशन कर सकेंगे.

धनबाद: डीएवी कोयलानगर के आठवीं के छात्र मयंक और अभिनव ने कड़ी मेहनत और लगन के दम पर एक ऐसे व्हीलचेयर का इजाद किया है, जो हाथ-पाव से लाचार दिव्यांगों के लिए काफी मददगार है. अक्सर देखा जाता है कि हाथ-पाव से लाचार दिव्यांग को व्हीलचेयर पर पीछे से कोई न कोई व्यक्ति पकड़ कर उसे मंजिल तक पहुंचता है.

देखें स्पेशल स्टोरी

अगर कोई व्यक्ति सामने न हो तो ऐसे दिव्यांगों के लिए एक बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है. इनकी परेशानी को दूर करने का बीड़ा मयंक और अभिनव ने उठाया है. स्कूल छुट्टी होने के बाद मयंक और अभिनव बस से उतरकर अपने घर जा रहे थे. सड़क किनारे व्हीलचेयर पर सवार हाथ-पाव से लाचार बुजुर्ग दिव्यांग के आसपास कोई नहीं था, वह सड़क क्रॉस कर वॉशरूम जाना चाहते थे.

Wheelchairs made for the differently-abled will be awarded to the team which invented IT minister in Delhi on 17 January
चलाने का तरीका

दिव्यांग की परेशानी को दोनों छात्रों ने न सिर्फ देखा बल्कि महसूस भी किया और फिर दोनों ने इनके लिए कुछ करने की ठानी. इस वाक्ये को दोनों दूसरे दिन स्कूल आकर अपने आईटी टीचर को बताया और फिर तीनों की एक टीम ने इस पर काम करना शुरू किया. इसके बाद इन्होंने सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के बाद एक ऑटोमेटिक व्हीलचेयर इन्होंने बनाया.

ये भी देखें- कनहर बराज प्रोजेक्ट को लेकर प्रशासन सख्त, मुख्य सचिव ने अधिकारियों को दिया निर्देश

इस व्हीलचेयर की खासियत है कि इस पर सवार होने वाले दिव्यांग को किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है. सर हिलाकर,आंखों से या फिर आवाज से इस ऑटोमेटिक व्हीलचेयर को बड़ी ही आसानी से चलाया जा सकता है. इस व्हीलचेयर को चलाने के लिए हाथ और पाव की जरूरत नहीं है. ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में आगे और पीछे दो सेंसर लगे है. जिससे आगे या पीछे कोई भी चीज होने पर यह स्वतः रुक जाता है.

Wheelchairs made for the differently-abled will be awarded to the team which invented IT minister in Delhi on 17 January
व्हीलचेयर बनाते छात्र

सेंसर का इस्तेमाल किया है

व्हीलचेयर में एक चश्मा भी शामिल है. यहां भी सेंसर का इस्तेमाल ग्लास और फ्रेम में किया गया है. दस सेकेंड तक आंखें अगर खुली है तो स्वतः यह चलता रहेगा, लेकिन अगर दस सेकेंड आंखें बंद रहती है तो यह स्वतः ही चलना बंद हो जाएगा. ऐसा इसलिए कि अगर किसी को नींद आ जाती है तो दुर्घटनाओं से बचा जा सके. दाहिनी आंख बंद करने पर यह बांयी ओर मुड़ेगा और बायीं आंख बंद करने पर यह दाहिनी ओर मुड़ेगा.

ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में कई फीचर

सिर के जरिए भी यह व्हीलचेयर ऑपरेट होता है. सर दाहिनी ओर करने पर उस ओर मुड़ जाता है. सिर बायीं ओर करने पर उसी ओर मुड़ जाता है. आगे जाने के लिए सिर को आगे झुकाना पड़ता है. पीछे जाने के लिए सर को पीछे की ओर झुकाना पड़ता है. इसके अलाव आवाज के माध्यम से भी बड़ी आसानी इसे ऑपरेट किया जा सकता है. मार्केट में इस तरह की एक व्हीलचेयर उपलब्ध है, जिसकी कीमत करीब 35 हजार रूपए है. मार्केट में उपलब्ध व्हीलचेयर जॉय स्टीक से काम करती है, लेकिन छात्रों द्वारा बनाई गई ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में कई फीचर है. छात्रों द्वारा बनाई गई ऑटोमेटिक व्हीलचेयर पर 21 हजार का खर्च आता है. किसी भी साधारण व्हीलचेयर में भी इस सिस्टम को फिट किया जा सकता है. जिसका खर्च करीब 15 हजार रुपए आता है.

Wheelchairs made for the differently-abled will be awarded to the team which invented IT minister in Delhi on 17 January
धनबाद के डीएवी कोयलानगर

ये भी देखें- साहिबगंज की लड़की को दलाल ने दिल्ली में बेचा, इस तरह बचाई आबरू

17 जनवरी को सूचना और प्रसारण मंत्री करेंगे सम्मानित
छात्रों के इस सराहनीय कार्य के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय इन्हें पुरूस्कृत करेंगे. 17 जनवरी को सूचना और प्रसारण मंत्री इन्हें सम्मानित करेंगे. सूचना और प्रसारण मंत्रालय आईडीएट फ़ॉर इंडिया कंपटीशन का आयोजन करती है. जिसमे यह टीम पहले जोनल स्तर पर शामिल होकर टॉप बने. उसके बाद राज्यस्तरीय और फिर राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना लोहा मनवाने में कामयाब रहे. जिसके बाद मंत्रालय की ओर सम्मानित करने के लिए दिल्ली बुलाया गया है. देशभर के टॉप 20 स्कूलों को विभिन्न क्षेत्र में बेहतर आइडिया के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्री के हाथों सम्मानित किया जाना है. जिसमे डीएवी के आईटी के टीचर बीके सिंह आठवीं कक्षा का छात्र मयंक और अभिनव भी शामिल है.

वहीं, स्कूल के प्राचार्य एके पांडेय ने कहा कि धनबाद के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए गौरव की बात है. आज की युवा पीढ़ी में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो बस उन्हें सही दिशा देने की. तभी वह भाभा और कलाम बनकर देश और दुनिया मे अपना नाम रौशन कर सकेंगे.

Intro:धनबाद।हांथ पांव से लाचार व्हीलचेयर पर सवार एक बुजुर्ग को सड़क किनारे छोड़कर परिजन किसी दुकान में चले जाते हैं।व्हीलचेयर पर सवार बुजुर्ग को वॉशरूम जाना था।इसलिए सड़क पार करने के लिए वह लोगों से मदद की अपील कर रहे थे।बस से उतरकर अपने घर को जा रहे दो छात्रों ने दिव्यांग बुजुर्ग की परेशानी को न सिर्फ देखा बल्कि उनकी परेशानी को महसूस किया। और फिर ऐसे सभी दिव्यांगों के लिए उसने कुछ करने की ठानी।और फिर कड़ी लगन और मेहनत के बाद दिव्यांगों के लिए एक खास व्हील चेयर बना डाली।इस व्हीलचेयर पर हांथ पांव से लाचार दिव्यांग बड़ी ही आसानी से बिना किसी सहारे के कहीं भी आ और जा सकते हैं।इस सराहनीय कार्य के लिए छात्रों की पूरी टीम को सूचना और प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद दिल्ली में सम्मानित करेंगे।


Body:डीएवी कोयलानगर के आठवीं के छात्र मयंक और अभिनव ने कड़ी मेहनत और लगन के दम पर एक ऐसे व्हीलचेयर का ईजाद किया है।जो हांथ पांव से लाचार दिव्यांग जनों के लिए काफी मददगार है।अक्सर देखा जाता है कि हांथ पांव से लाचार दिव्यांग को व्हीलचेयर पर पीछे से कोई न कोई व्यक्ति पकड़ लेकर उसे मंजिल तक पहुँचता है।यदि कोई व्यक्ति सामने ना हो तो ऐसे दिव्यांगों के लिए एक बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है।इनकी परेशानी को दूर करने का बीड़ा मयंक और अभिनव ने उठाया है।स्कूल छुट्टी होने के बाद मयंक और अभिनव बस से उतरकर अपने घर जा रहे थे।सड़क किनारे व्हीलचेयर पर सवार हांथ पांव से लाचार बुजुर्ग दिव्यांग के आसपास कोई न था।वह सड़क क्रॉस कर वाशरूम जाना चाहते थे।दिव्यांग की परेशानी को दोनो छात्रों न सिर्फ देखा बल्कि महसूस भी किया।और फिर दोनों ने इनके लिए कुछ करने की ठानी।इस वाकिए को दोनो दूसरे दिन स्कूल आकर अपने आईटी टीचर को बताया।और फ़िर तीनो की एक टीम ने इस पर काम करना शुरू किया।सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के बाद एक ऑटोमेटिक व्हीलचेयर इन्होंने बनाया।इस व्हीलचेयर की खासियत है कि इस पर सवार होने वाले दिव्यांग को किसी के सहारे की जरूरत नही पड़ती है।सिर हिलाकर ,आंखों से या फिर आवाज से इस ऑटोमेटिक व्हीलचेयर को बड़ी ही आसानी से चलाया जा सकता है।इस व्हीलचेयर को चलाने के लिए हांथ और पांव की जरूरत नही है।ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में आगे और पीछे दो सेंसर लगे हैं।जिससे आगे या पीछे कोई भी चीज होने पर यह स्वतः रुक जाती है।व्हीलचेयर में एक चश्मा भी शामिल है।यहां भी सेंसर का इस्तेमाल ग्लास और फ्रेम में किया गया है।दस सेकेंड तक आंखें यदि खुली है तो स्वतः यह चलता रहेगा।लेकिन यदि दस सेकेंड आंखें बंद रहती है तो यह स्वतः ही चलना बन्द हो जाएगा।ऐसा इसलिए कि यदि किसी को नींद आ जाती है तो दुर्घटनाओं से बचा जा सके।दाहिनी आंख बंद करने पर यह बांयी ओर मुड़ेगा।और बायीं आंख बंद करने पर यह दाहिनी ओर मुड़ेगा।सिर के जरिए भी यह व्हीलचेयर ऑपरेट होता है।सिर दाहिनी ओर करने पर उस ओर मुड़ जाता है।सिर बायीं ओर करने पर उसी ओर मुड़ जाता है।आगे जाने के लिए सिर को आगे झुकाना पड़ता है।पीछे जाने के लिए सिर को पीछे की ओर झुकाना पड़ता है।साथ ही आवाज के माध्यम से भी बड़ी आसानी इसे ऑपरेट किया जा सकता है।मार्केट में इस तरह की एक व्हीलचेयर उपलब्ध है।जिसकी कीमत करीब 35 हजार रूपए है।मार्केट में उपलब्ध व्हीलचेयर जॉय स्टीक से काम करती है।लेकिन छात्रों द्वारा बनाई गई ऑटोमेटिक व्हीलचेयर में कई फीचर हैं।छात्रों द्वारा बनाई गई ऑटोमेटिक व्हीलचेयर पर 21 हजार का खर्च आता है।किसी भी साधारण व्हीलचेयर में भी इस सिस्टम को फिट किया जा सकता है।जिसका खर्च करीब 15 हजार रुपए आता है।


01:-MAYNAK,CHHATRA,DAV

VO 02:-छात्रों के इस सराहनीय कार्य के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के द्वारा इन्हें पुरूस्कृत किया जाना है।17 जनवरी को सूचना और प्रसारण मंत्री इन्हें सम्मानित करेंगे। सूचना और प्रसारण मंत्रालय आईडीएट फ़ॉर इंडिया कंपटीशन का आयोजन करती है।जिसमे यह टीम पहले जोनल स्तर पर शामिल होकर टॉप बने।उसके बाद राज्यस्तरीय और फिर राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना लोहा मनवाने में कामयाब रहे।जिसके बाद मंत्रालय की ओर सम्मानित करने के लिए दिल्ली बुलाया गया।देश भर के टॉप 20 स्कूलों को विभिन्न क्षेत्र में बेहतर आइडिया के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्री के हांथों सम्मानित किया जाना है।जिसमे डीएवी के आईटी के टीचर बीके सिंह आठवीं कक्षा का छात्र मयंक और अभिनव भी शामिल हैं।

BYTE 02:-BK SINGH,IT TEACHER,DAV

VO 03:-वहीं स्कूल के प्राचार्य एके पांडेय ने कहा कि धनबाद के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।उन्होंने कहा कि यह हम सबों के लिए गौरव की बात है।



Conclusion:आज की युवा पीढ़ी में प्रतिभाओं की कोई कमी नही है।जरूरत है तो बस उन्हें सही दिशा देने की।तभी वह भाभा और कलाम बनकर देश और दुनिया मे अपना नाम रौशन कर सकेंगे।


नरेंद्र कुमार, ईटीवी भारत, धनबाद
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