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धनबादः भीषण गर्मी में बिजली न मिलने से ग्रामीण परेशान, वर्षों से लगा रहे गुहार

बाघमारा के धर्माबांध हांड़ी बस्ती में आज कर बिजली नहीं पहुंच पाई है. 500 की आबादी का यह दलित गांव लंबे समय से बिजली की बाट जोह रहा है. सरकार और प्रशासन की उदासीनता ग्रामीणों पर भारी पड़ रही है.

बिजली न मिलने से ग्रामीण परेशान
बिजली न मिलने से ग्रामीण परेशान
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Published : Jun 1, 2020, 8:00 AM IST

बाघमारा धनबादः जिले के धर्माबांध हांड़ी बस्ती में आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है, यह अपने आप में एक बड़ी विडम्बना है. लगभग 500 की आबादी का यह दलित गांव जहां वर्षों बीत गए, पर यहां के लोगों ने अब तक बिजली व्यवस्था का मुंह तक नही देखा.

बिजली न मिलने से ग्रामीण परेशान

स्थानीय लोगों की मानें तो बस्ती के नजदीक बीसीसीएल की एक खदान संचालित थी. खदान प्रबंधन द्वारा इस बस्ती को बिजली मुहैया करायी जाती थी, लेकिन खदान के बन्द होने के कारण वह भी नदारद है.

एक ग्रामीण ने यह भी कहा कि इस लॉकडाउन की स्थिति में भी गर्मी बढ़ने के कारण लोग घरों में नहीं रह पाते हैं. भीषण गर्मी के दिनों में पूरा परिवार पेड़ के नीचे रहकर रात गुजारते हैं. इस समस्या को लेकर ग्राम स्वराज अभियान सामाजिक संस्था के संस्थापक जगत महतो ने उच्चाधिकारियों और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है.

यह भी पढ़ेंः झारखंड में कोरोना मरीजों की संख्या पर नहीं लग रहा अंकुश, रविवार को आंकड़ा पहुंचा 635

जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि बस्ती के ग्रामीणों ने विभाग को आवेदन भी दिया, जिसके आधार पर दीनदयाल विद्युतीकरण योजना के तहत कई गांवों के साथ धर्माबांध हांड़ी बस्ती का भी चयन विद्युतीकरण विस्तार के लिए हुआ, पर अन्य सरकारी योजनाओं की तरह यहां भी विभागीय शिथिलता ने गांव की बिजली व्यवस्था को अपना शिकार बना लिया.

इसको लेकर ग्रामीणों में रोष भी है. साथ ही यह भी कहा कि झारखंड राज्य की लड़ाई में दलितों और आदिवासियों का अहम योगदान होने के बाद भी उनको अपने हक और अधिकार से वंचित रहना पड़ रहा है.

हेमंत सरकार को इन बातों को ध्यान में रखते हुए मूलभूत सुविधाओं को प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराना चाहिए. बहरहाल धर्माबांध के इन ग्रामीणों को अब तक इंतजार है बिजली का, ऐसे में सरकार की कार्यशैली कब तक इन ग्रामीणों को बिजली का दर्शन कराएगी, यह देखने वाली बात होगी.

बाघमारा धनबादः जिले के धर्माबांध हांड़ी बस्ती में आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है, यह अपने आप में एक बड़ी विडम्बना है. लगभग 500 की आबादी का यह दलित गांव जहां वर्षों बीत गए, पर यहां के लोगों ने अब तक बिजली व्यवस्था का मुंह तक नही देखा.

बिजली न मिलने से ग्रामीण परेशान

स्थानीय लोगों की मानें तो बस्ती के नजदीक बीसीसीएल की एक खदान संचालित थी. खदान प्रबंधन द्वारा इस बस्ती को बिजली मुहैया करायी जाती थी, लेकिन खदान के बन्द होने के कारण वह भी नदारद है.

एक ग्रामीण ने यह भी कहा कि इस लॉकडाउन की स्थिति में भी गर्मी बढ़ने के कारण लोग घरों में नहीं रह पाते हैं. भीषण गर्मी के दिनों में पूरा परिवार पेड़ के नीचे रहकर रात गुजारते हैं. इस समस्या को लेकर ग्राम स्वराज अभियान सामाजिक संस्था के संस्थापक जगत महतो ने उच्चाधिकारियों और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है.

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जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि बस्ती के ग्रामीणों ने विभाग को आवेदन भी दिया, जिसके आधार पर दीनदयाल विद्युतीकरण योजना के तहत कई गांवों के साथ धर्माबांध हांड़ी बस्ती का भी चयन विद्युतीकरण विस्तार के लिए हुआ, पर अन्य सरकारी योजनाओं की तरह यहां भी विभागीय शिथिलता ने गांव की बिजली व्यवस्था को अपना शिकार बना लिया.

इसको लेकर ग्रामीणों में रोष भी है. साथ ही यह भी कहा कि झारखंड राज्य की लड़ाई में दलितों और आदिवासियों का अहम योगदान होने के बाद भी उनको अपने हक और अधिकार से वंचित रहना पड़ रहा है.

हेमंत सरकार को इन बातों को ध्यान में रखते हुए मूलभूत सुविधाओं को प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराना चाहिए. बहरहाल धर्माबांध के इन ग्रामीणों को अब तक इंतजार है बिजली का, ऐसे में सरकार की कार्यशैली कब तक इन ग्रामीणों को बिजली का दर्शन कराएगी, यह देखने वाली बात होगी.

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