ETV Bharat / state

शिक्षक दिवस विशेषः कोयला चोर नहीं ये हैं देश के भविष्य, शिक्षक पिनाकी कोयला चुनने वाले बच्चों का संवार रहे भविष्य

झरिया के पिनाकी राय की कहानी कुछ फिल्म सुपर 30 के इर्दगिर्द घूमती नजर आती है. डिनोबिली स्कूल के टीचर पिनाकी राय अच्छी नौकरी ठुकराकर कोयला चुनकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. क्या है पूरी कहानी देखिए इस स्पेशल रिपोर्ट में.

teacher-pinaki-roy-of-jhriya-teaches-coalfield-areas-children-in-dhanbad
शिक्षक दिवस विशेष
author img

By

Published : Sep 5, 2020, 5:14 AM IST

धनबादः झरिया कोयलांचल में कोयले की बड़ी-बड़ी खदानें स्थापित हैं. एक बड़ी आबादी खदानों से निकलने वाली कोयला चुनकर बेचती है. जिससे इनका जीवन चलता है. बड़े से लेकर बच्चे तक यहां कोयला चुनने का काम करते हैं, बच्चे कोयला चुनकर बेचते हैं. जिससे इनके परिवार का भरण पोषण होता है. ऐसा नहीं है कि बच्चे पढ़ लिखकर कुछ अच्छा नहीं करना चाहते हैं. उनके अंदर भी करने की इच्छा है. लेकिन उनके माथे पर लिखी कोयला चोर उन्हें आगे बढ़ने नहीं देती.

शिक्षक दिवस विशेष पर स्पेशल रिपोर्ट

पिनाकी ने उठाया बीड़ा

डिनोबिली स्कूल में बतौर टीचर पिनाकी राय को इनकी व्यथा देखी नहीं गई. उन्होंने साल 2015 में कोलफील्ड चिल्ड्रन क्लासेस की झरिया के हेटली बांध में स्थापना की. कोयला चुनने वाले बच्चे आज यहां शिक्षा ग्रहण करते हैं. धीरे-धीरे यहां बच्चों का आना यहां शुरू हुआ और सैकड़ों बच्चे लाभांवित हो रहे हैं. वर्तमान में तीन स्थानों पर यह क्लासेज कराई जा रही है. चिल्ड्रेन क्लास से जुड़े सात बच्चे मैट्रिक पास कर चुके हैं.

शिक्षा से बदल सकते हैं भविष्य

पिनाकी राय का कहना है कि बीसीसीएल ऐसे बच्चों को कोयला चोर कहकर उन्हें डेमोरलाइज करने का काम करती है. उन्होंने कहा कि यह एक सामाजिक समस्या है. इसे दूसरे एंगल से देखने की जरूरत है. शिक्षा के माध्यम से ही इन बच्चों के भविष्य को बदल सकते हैं. उन्होंने बताया कि विदेशी संस्था भी हमारे इस कार्य से प्रेरित होकर सहयोग कर रही है. जर्मन की एक संस्था की ओर से आर्थिक सहयोग किया जा रहा है. बच्चों को फ्री में कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए फ्रांस (पेरिस) ऑन दी वे स्कूल के प्रेजिडेंट डेजी निकोलस, एनी मोरिया, फाउंडर बेली थॉमस फगुआ ने तीन डेस्कटॉप कंप्यूटर उपलब्ध कराया है. इसके जरिए बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा दी जा रही है. कुछ भारतीय कंपनियां भी आगे आई हैं. पिनाकी राय चाहते हैं कि राज्य सरकार के साथ मिलकर इस कार्य को करें. कोल इंडिया को भी इसे सामाजिक समस्या के रूप में लेना चाहिए.

दाग धोने की दरकार

पिनाकी राय की तरह ही अगर कोल कंपनियां और यहां की सरकार पहल करें तो इन बच्चों के माथे पर लिखे कोयला चोर का दाग अवश्य ही धूल जाएगा.

इसे भी पढ़ें- कोयला चोर और सुरक्षाकर्मियों में जमकर हुई झड़प, मौके पर गोली चलने की खबर


इंस्पेक्टर बनना चाहती हैं शिवानी

चिल्ड्रेन क्लास कर रही शिवानी कहती हैं कि वह दस साल की उम्र से यहां आती है, पिनाकी सर उसे यहां लेकर आए थे. पिछले दस सालों से शिवानी लगातार क्लास कर रही है. पढ़ लिखकर शिवानी इंस्पेक्टर बनना चाहती है. लेकिन अब भी वह कोयला चुनकर बेचती है. क्योंकि कोई रोजगार नहीं है और शुरू से ही यह काम वह करते आ रही है. यहां पढ़ने वाले अन्य बच्चे भी कोयला चुनने के लगे दाग को मिटाकर कुछ अच्छा करने की ठान ली है.

अभिभावक भी चाहते हैं अच्छा भविष्य

इन बच्चों की माताओं का कहना है कि बच्चे कोयला चुनकर लाते हैं. उसी से गुजर बसर चलता है. लेकिन हम भी चाहते हैं कि बच्चों को ऐसे काम से छुटकारा मिले और जीवन मे कुछ बेहतर कर सके, इसलिए चिल्ड्रेन क्लास भेजती हूं.

धनबादः झरिया कोयलांचल में कोयले की बड़ी-बड़ी खदानें स्थापित हैं. एक बड़ी आबादी खदानों से निकलने वाली कोयला चुनकर बेचती है. जिससे इनका जीवन चलता है. बड़े से लेकर बच्चे तक यहां कोयला चुनने का काम करते हैं, बच्चे कोयला चुनकर बेचते हैं. जिससे इनके परिवार का भरण पोषण होता है. ऐसा नहीं है कि बच्चे पढ़ लिखकर कुछ अच्छा नहीं करना चाहते हैं. उनके अंदर भी करने की इच्छा है. लेकिन उनके माथे पर लिखी कोयला चोर उन्हें आगे बढ़ने नहीं देती.

शिक्षक दिवस विशेष पर स्पेशल रिपोर्ट

पिनाकी ने उठाया बीड़ा

डिनोबिली स्कूल में बतौर टीचर पिनाकी राय को इनकी व्यथा देखी नहीं गई. उन्होंने साल 2015 में कोलफील्ड चिल्ड्रन क्लासेस की झरिया के हेटली बांध में स्थापना की. कोयला चुनने वाले बच्चे आज यहां शिक्षा ग्रहण करते हैं. धीरे-धीरे यहां बच्चों का आना यहां शुरू हुआ और सैकड़ों बच्चे लाभांवित हो रहे हैं. वर्तमान में तीन स्थानों पर यह क्लासेज कराई जा रही है. चिल्ड्रेन क्लास से जुड़े सात बच्चे मैट्रिक पास कर चुके हैं.

शिक्षा से बदल सकते हैं भविष्य

पिनाकी राय का कहना है कि बीसीसीएल ऐसे बच्चों को कोयला चोर कहकर उन्हें डेमोरलाइज करने का काम करती है. उन्होंने कहा कि यह एक सामाजिक समस्या है. इसे दूसरे एंगल से देखने की जरूरत है. शिक्षा के माध्यम से ही इन बच्चों के भविष्य को बदल सकते हैं. उन्होंने बताया कि विदेशी संस्था भी हमारे इस कार्य से प्रेरित होकर सहयोग कर रही है. जर्मन की एक संस्था की ओर से आर्थिक सहयोग किया जा रहा है. बच्चों को फ्री में कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए फ्रांस (पेरिस) ऑन दी वे स्कूल के प्रेजिडेंट डेजी निकोलस, एनी मोरिया, फाउंडर बेली थॉमस फगुआ ने तीन डेस्कटॉप कंप्यूटर उपलब्ध कराया है. इसके जरिए बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा दी जा रही है. कुछ भारतीय कंपनियां भी आगे आई हैं. पिनाकी राय चाहते हैं कि राज्य सरकार के साथ मिलकर इस कार्य को करें. कोल इंडिया को भी इसे सामाजिक समस्या के रूप में लेना चाहिए.

दाग धोने की दरकार

पिनाकी राय की तरह ही अगर कोल कंपनियां और यहां की सरकार पहल करें तो इन बच्चों के माथे पर लिखे कोयला चोर का दाग अवश्य ही धूल जाएगा.

इसे भी पढ़ें- कोयला चोर और सुरक्षाकर्मियों में जमकर हुई झड़प, मौके पर गोली चलने की खबर


इंस्पेक्टर बनना चाहती हैं शिवानी

चिल्ड्रेन क्लास कर रही शिवानी कहती हैं कि वह दस साल की उम्र से यहां आती है, पिनाकी सर उसे यहां लेकर आए थे. पिछले दस सालों से शिवानी लगातार क्लास कर रही है. पढ़ लिखकर शिवानी इंस्पेक्टर बनना चाहती है. लेकिन अब भी वह कोयला चुनकर बेचती है. क्योंकि कोई रोजगार नहीं है और शुरू से ही यह काम वह करते आ रही है. यहां पढ़ने वाले अन्य बच्चे भी कोयला चुनने के लगे दाग को मिटाकर कुछ अच्छा करने की ठान ली है.

अभिभावक भी चाहते हैं अच्छा भविष्य

इन बच्चों की माताओं का कहना है कि बच्चे कोयला चुनकर लाते हैं. उसी से गुजर बसर चलता है. लेकिन हम भी चाहते हैं कि बच्चों को ऐसे काम से छुटकारा मिले और जीवन मे कुछ बेहतर कर सके, इसलिए चिल्ड्रेन क्लास भेजती हूं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.