धनबाद: कारगिल युद्ध यह शब्द सुनते ही हर भारतीय का सर गर्व से ऊंचा हो जाता है, हो भी क्यों न आखिर भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाकर भारत माता के सरहदों की रक्षा जो की थी. इस जीत के साथ ही कारगिल जवानों के कई किस्से भारतीयों के जेहन में बसे बसाए हैं, लेकिन कारगिल युद्ध के दौरान लिखी वीरता की गाथा में कुछ किस्से ऐसे भी हैं जिससे हम अनजान ही रह गए हैं. इस अनजान किस्सों में ही एक किस्सा है धनबाद की विरांगना गुंजन सक्सेना का.
कौन हैं गुंजन सक्सेना
गुंजन सक्सेना वह शख्सियत है जिसने देश की पहली महिला पायलट होने का इतिहास लिखा है, लेकिन सिर्फ यही इनकी काबिलियत का पैमाना नहीं है. असल में गुंजन सक्सेना ने 1999 के कारगिल युद्ध में फाइटर प्लेन चलाकर दुनिया से अपनी हिम्मत का लोहा मनवाया है. उसने पाकिस्तान सेना को धूल चटाते हुए सरहद पर तैनात जवानों के घायल होने पर उन्हें अस्पताल पहुंचाने का जिम्मा निभाया था. दुश्मनों की मिसाइलों का मुकाबला करते हुए उसने अपनी जिम्मेवारी बखूबी निभाई.
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उधमपुर में हुई थी पोस्टिंग
कारगिल युद्ध के दौरान गुंजन की पोस्टिंग उधमपुर में हुई थी. युद्ध में उसने चिता हेलीकॉप्टर उड़ाया था. पाकिस्तान के सैनिकों के गोलियों और रॉकेट लॉन्चर से हमले के बावजूद द्रास और बटालिक की ऊंची पहाड़ियों से सैनिकों को गुंजन ने सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया था. इस दौरान गुंजन के एयरक्राफ्ट पर मिसाइल से भी प्रहार किया गया था लेकिन वह सुरक्षित बचने में कामयाब रही थी.
कब हुआ था चयन
1975 में गुंजन का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जहां पिता और भाई दोनों सेना में थे. सैनिक के घर में पली-बढ़ी गुंजन के मन में बचपन से ही सेना में भर्ती होने के सपने हिचकोले मार रहे थे. लेकिन उस समय महिलाओं के लिए एनडीए जैसे एक्जाम आयोजीत नहीं किए जाते थे. ऐसे में 1996 में शॉट सर्विस कमीशन के माध्यम से गुंजन महिला पायलट के रूप में चयनित हुई.
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2002 में बंधी परिणय सूत्र में
2002 में गुंजन का विवाह धनबाद के गौतम से हुआ. गौतम वर्तमान में वाराणसी में वायुसेना में विंग कमांडर है. गुंजन सक्सेना का ससुराल धनबाद के चंद्रविहार कॉलानी में है. उनके ससुर गणेश अनुग्रह नारायण बीसीसीएल के रिटायर्ड अधिकारी हैं.
2004 में लिया वीआरएस
साल 2004 में गुंजन मां बनी. इस दौरान लेफ्टिनेंट पद पर काबिज रहते हुए उसने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया.
शौर्य पुरस्कार पाने वाली प्रथम महिला
देशप्रेम के प्रति जज्बे और अदम्य साहस को देखते हुए गूंजन को वर्ष 2000 में शौर्य पुरुस्कार से सम्मानित किया गया. अपने अदम्य साहस के लिए इस साहस के लिए और भी कई संगठनों से वह पुरस्कार पा चुकी है. 2017 में उसे वीरांगना लक्ष्मी बाई पुरुस्कार से भी सम्मानित किया गया है.
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करण जौहर बना रहे हैं फिल्म
कारगिल युद्ध के दौरान अपने कारनामे से देशवासियों का मन मोह लेने वाली धनबाद की बहू गुंजन सक्सेना की कहानी अब जल्द ही बड़े पर्दे पर लोग देख सकेंगे. बॉलीवुड फिल्मों के निर्माता करण जौहर 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' के नाम से एक फ़िल्म बना रहें हैं, जिसमें जाह्नवी कपूर गुंजन की भूमिका में नजर आने वाली है. यह फिल्म 13 मार्च 2020 को रिलीज होने वाली है.