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आदिवासियों की मेहनत पर फिरा पानी, बारिश में बह गई ग्रामीणों की बनाई सड़क - Roads built by villagers in Dhanbad

कोयलांचल के धनबाद-गिरिडीह बॉर्डर इलाके में लॉकडाउन का सदुपयोग कर आदिवासियों ने पहाड़ काटकर खुद से 2 किलोमीटर की सड़क बनाई थी. लेकिन, बारिश की पानी की वजह से सड़क टूट चुका है. ग्रामीणों ने कहा कि सरकार, जिला प्रशासन के साथ-साथ भगवान भी हमारी परीक्षा ले रहे हैं. उन्होंने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.

Roads built by villagers in Dhanbad got washed away in water
आदिवासियों की मेहनत पर फिरा पानी
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Published : Aug 18, 2020, 8:08 PM IST

धनबाद: धनबाद-गिरिडीह बॉर्डर का इलाका टुंडी विधानसभा के बाघमारा ब्लॉक में पहाड़ी पर दो गांव गंगापुर और बस्तीकुल्ही हैं. पहाड़ी में रह रहे इन दोनों गांव के लोगों ने लॉकडाउन के दौरान पहाड़ काटकर 2 किलोमीटर की सड़क बनाई. जिससे लोगों को 18 से 20 किलोमीटर की दूरी तय नहीं करनी पड़ती है. यहां के ग्रामीणों को धनबाद या फिर अपने प्रखंड बाघमारा जाने के लिए भी लगभग 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. सड़क की वजह से बस्तीकुल्ही के लोगों को धनबाद आने में काफी आसानी हुई है. वहीं गंगापुर के लोगों को गिरिडीह जाने में काफी सुविधा हुई है. लेकिन अब इनके सारे मंसूबों पर पानी फिर गया है और बारिश का पानी से सड़क बर्बाद हो रहा है. जिसे देखकर ग्रामीण पछताने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं. अपना दम लगा कर इन्होंने सड़क का निर्माण तो कर लिया लेकिन प्रकृति के आगे बेबस हो चुके हैं.

देखें पूरी खबर

भगवान भी ले रहे परीक्षा

लॉकडाउन का सदुपयोग कर आदिवासियों ने 2 किलोमीटर की सड़क पहाड़ को काटकर खुद से बना डाली थी. इस खबर को बड़े ही प्रमुखता के साथ ईटीवी भारत ने दिखाया था. इस सड़क के कारण इन्हें 18 से 20 किलोमीटर घूमना नहीं पड़ता था. अब बारिश की वजह से सड़क टूट चुका है. ग्रामीणों ने कहा की सरकार, जिला प्रशासन के साथ-साथ भगवान भी हमारी परीक्षा ले रहे हैं.

मेहनत पर फिरा पानी

वन विभाग की जमीन होने से इस जगह पर सड़क का निर्माण नहीं हो रहा था. वहां ग्रामीण खुद से पहाड़ काटकर सड़क बना चुके हैं. उन्होंने सड़क बनाते समय सोचा भी नहीं था कि इनकी सारी मेहनत पानी में बह जाएगी. अब ग्रामीण काफी मायूस हैं. इनका कहना है कि हमारी सारी मेहनत बर्बाद हो रही है. यह देख कर काफी खराब लग रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य में इस समय आदिवासी मुखिया हेमंत सोरेन बैठे हैं वह हमारी मदद करें. उन्होंने कहा कि अगर एनओसी मिल जाए तो इस जगह पर सड़क का निर्माण हो सकता है.

वन विभाग और प्रशासन के बीच फंसी सड़क

इस मामले में जब धनबाद उप विकास आयुक्त (डीडीसी) दशरथ चंद्र दास से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें भी जानकारी है. यह वन विभाग की जमीन है और वन विभाग की जमीन पर बगैर वन विभाग से एनओसी लिए सड़क निर्माण नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीण सड़क निर्माण के लिए आवेदन देंगे तो उसे वन विभाग को भेजा जाएगा और वन विभाग से एनओसी लेकर उस जगह पर सड़क का निर्माण करवाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- धनबादः कोरोना के कारण खाद्यान्न कारोबार में 75 फीसदी तक गिरावट, गोदामों में खराब हो रहा स्टाक

माउंटेन मैन से प्रभावित होकर बना दी थी सड़क

ग्रामीणों ने कहा की सड़क नहीं होने के कारण बीमार और लाचार लोगों को खाट के सहारे पहाड़ से उतार कर लाना पड़ता था. तब जाकर बस्तीकुल्ही के लोग अपने मरीजों को धनबाद ले जा पाते थे. लॉकडाउन में जब सभी घर पर बैठे थे तो सबने सोचा कि जब एक दशरथ मांझी माउंटेन मैन बनकर अकेले ही पहाड़ काटकर सड़क बना सकता है तो हम 2 गांव के लोग क्यों नहीं बना सकते. इसी सोच के साथ दोनों गांव के ग्रामीणों ने 100-200 की संख्या में मिलकर बगैर मशीन का उपयोग किए ही इन्होंने पहाड़ को काटकर सड़क बना दी.

धनबाद: धनबाद-गिरिडीह बॉर्डर का इलाका टुंडी विधानसभा के बाघमारा ब्लॉक में पहाड़ी पर दो गांव गंगापुर और बस्तीकुल्ही हैं. पहाड़ी में रह रहे इन दोनों गांव के लोगों ने लॉकडाउन के दौरान पहाड़ काटकर 2 किलोमीटर की सड़क बनाई. जिससे लोगों को 18 से 20 किलोमीटर की दूरी तय नहीं करनी पड़ती है. यहां के ग्रामीणों को धनबाद या फिर अपने प्रखंड बाघमारा जाने के लिए भी लगभग 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. सड़क की वजह से बस्तीकुल्ही के लोगों को धनबाद आने में काफी आसानी हुई है. वहीं गंगापुर के लोगों को गिरिडीह जाने में काफी सुविधा हुई है. लेकिन अब इनके सारे मंसूबों पर पानी फिर गया है और बारिश का पानी से सड़क बर्बाद हो रहा है. जिसे देखकर ग्रामीण पछताने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं. अपना दम लगा कर इन्होंने सड़क का निर्माण तो कर लिया लेकिन प्रकृति के आगे बेबस हो चुके हैं.

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भगवान भी ले रहे परीक्षा

लॉकडाउन का सदुपयोग कर आदिवासियों ने 2 किलोमीटर की सड़क पहाड़ को काटकर खुद से बना डाली थी. इस खबर को बड़े ही प्रमुखता के साथ ईटीवी भारत ने दिखाया था. इस सड़क के कारण इन्हें 18 से 20 किलोमीटर घूमना नहीं पड़ता था. अब बारिश की वजह से सड़क टूट चुका है. ग्रामीणों ने कहा की सरकार, जिला प्रशासन के साथ-साथ भगवान भी हमारी परीक्षा ले रहे हैं.

मेहनत पर फिरा पानी

वन विभाग की जमीन होने से इस जगह पर सड़क का निर्माण नहीं हो रहा था. वहां ग्रामीण खुद से पहाड़ काटकर सड़क बना चुके हैं. उन्होंने सड़क बनाते समय सोचा भी नहीं था कि इनकी सारी मेहनत पानी में बह जाएगी. अब ग्रामीण काफी मायूस हैं. इनका कहना है कि हमारी सारी मेहनत बर्बाद हो रही है. यह देख कर काफी खराब लग रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य में इस समय आदिवासी मुखिया हेमंत सोरेन बैठे हैं वह हमारी मदद करें. उन्होंने कहा कि अगर एनओसी मिल जाए तो इस जगह पर सड़क का निर्माण हो सकता है.

वन विभाग और प्रशासन के बीच फंसी सड़क

इस मामले में जब धनबाद उप विकास आयुक्त (डीडीसी) दशरथ चंद्र दास से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें भी जानकारी है. यह वन विभाग की जमीन है और वन विभाग की जमीन पर बगैर वन विभाग से एनओसी लिए सड़क निर्माण नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीण सड़क निर्माण के लिए आवेदन देंगे तो उसे वन विभाग को भेजा जाएगा और वन विभाग से एनओसी लेकर उस जगह पर सड़क का निर्माण करवाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- धनबादः कोरोना के कारण खाद्यान्न कारोबार में 75 फीसदी तक गिरावट, गोदामों में खराब हो रहा स्टाक

माउंटेन मैन से प्रभावित होकर बना दी थी सड़क

ग्रामीणों ने कहा की सड़क नहीं होने के कारण बीमार और लाचार लोगों को खाट के सहारे पहाड़ से उतार कर लाना पड़ता था. तब जाकर बस्तीकुल्ही के लोग अपने मरीजों को धनबाद ले जा पाते थे. लॉकडाउन में जब सभी घर पर बैठे थे तो सबने सोचा कि जब एक दशरथ मांझी माउंटेन मैन बनकर अकेले ही पहाड़ काटकर सड़क बना सकता है तो हम 2 गांव के लोग क्यों नहीं बना सकते. इसी सोच के साथ दोनों गांव के ग्रामीणों ने 100-200 की संख्या में मिलकर बगैर मशीन का उपयोग किए ही इन्होंने पहाड़ को काटकर सड़क बना दी.

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