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परीक्षा में तनाव से कैसे रहें दूर, मनोचिकित्सक से जानें एग्जाम फोबिया दूर करने के उपाय

आने वाले कुछ दिनों में पूरे झारखंड के साथ-साथ धनबाद में भी बोर्ड और इंटर की परीक्षाएं होनी है. जिसको लेकर बच्चों में काफी तनाव देखा जा रहा है. इसे लेकर मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों का कहना है कि यह एक तरह से एग्जामिनेशन फोबिया है, जो बच्चों में एग्जाम के समय में देखा जाता है. देखें कैसे बच्चे इससे छुटकारा पा सकते हैं.

Psychiatrist Opinion for Students during exams
मनोचिकित्सक बीके सिंह
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Published : Feb 10, 2020, 6:43 AM IST

Updated : Feb 10, 2020, 11:21 AM IST

धनबाद: परीक्षा के समय बच्चे काफी तनाव में होते हैं और इस तनाव से बचने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए, इन सभी विषयों पर धनबाद से हमारे संवाददाता ने मनोचिकित्सक से बातचीत की और उनसे बच्चों को तनाव से कैसे मुक्त रखा इस विषय पर उनसे बातचीत की गई.

देखें मनोचिकित्सक की सलाह
शहर के जाने-माने मनोचिकित्सक बीके सिंह का कहना है कि परीक्षा के समय बच्चे ज्यादा देर तक रात में पढ़ते हैं, जिस कारण से नींद पूरी नहीं हो पाती है. साथ ही साथ रात में जागने से भूख लगना भी कम हो जाता है. जिस कारण वे ढंग से खा-पी भी नहीं पाते हैं. यही कारण है कि उनके शरीर में विटामिन की कमी हो जाती है. कभी-कभार अभिभावक ही अपने बच्चों पर ज्यादा प्रेशर डालते हैं और दूसरों बच्चों से उसकी तुलना अभिभावक करने लगते हैं, जिस कारण बच्चे तनाव में आ जाते हैं.चिकित्सक का कहना है कि बच्चों को परीक्षा के समय तनाव न देकर उन्हें फ्री छोड़ना चाहिए, ऐसे में बच्चे एकाग्र मन से अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सकेंगे. बच्चों को भी चिकित्सक ने सलाह दी है कि वह ज्यादा देर रात तक पढ़ाई न करें समय पर सो जाएं फिर सुबह उठकर छात्र योगा करने का प्रयास करें, जिससे मन शांत रहता है.

ये भी देखें- योग से भगाएं परीक्षा की टेंशन, ऐसे फटाफट याद करें आंसर, मिलेंगे बेहतर नंबर

साथ ही साथ पोस्टिक आहार लेने की भी बात चिकित्सक ने बच्चों को कही है. चिकित्सक का कहना है कि अभिभावक को भी अपने बच्चों पर ज्यादा प्रेशर नहीं डालना चाहिए और दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना नहीं करना चाहिए. इससे बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं.

मनोचिकित्सक का कहना है कि बहुत ज्यादा जरूरी न हो तो बच्चों को डॉक्टर के पास भी नहीं ले जाना चाहिए, लेकिन अगर शरीर में कंपन, चिड़चिड़ापन, पसीना आना इस तरह की समस्या उत्पन्न हो तो तत्काल डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

धनबाद: परीक्षा के समय बच्चे काफी तनाव में होते हैं और इस तनाव से बचने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए, इन सभी विषयों पर धनबाद से हमारे संवाददाता ने मनोचिकित्सक से बातचीत की और उनसे बच्चों को तनाव से कैसे मुक्त रखा इस विषय पर उनसे बातचीत की गई.

देखें मनोचिकित्सक की सलाह
शहर के जाने-माने मनोचिकित्सक बीके सिंह का कहना है कि परीक्षा के समय बच्चे ज्यादा देर तक रात में पढ़ते हैं, जिस कारण से नींद पूरी नहीं हो पाती है. साथ ही साथ रात में जागने से भूख लगना भी कम हो जाता है. जिस कारण वे ढंग से खा-पी भी नहीं पाते हैं. यही कारण है कि उनके शरीर में विटामिन की कमी हो जाती है. कभी-कभार अभिभावक ही अपने बच्चों पर ज्यादा प्रेशर डालते हैं और दूसरों बच्चों से उसकी तुलना अभिभावक करने लगते हैं, जिस कारण बच्चे तनाव में आ जाते हैं.चिकित्सक का कहना है कि बच्चों को परीक्षा के समय तनाव न देकर उन्हें फ्री छोड़ना चाहिए, ऐसे में बच्चे एकाग्र मन से अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सकेंगे. बच्चों को भी चिकित्सक ने सलाह दी है कि वह ज्यादा देर रात तक पढ़ाई न करें समय पर सो जाएं फिर सुबह उठकर छात्र योगा करने का प्रयास करें, जिससे मन शांत रहता है.

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साथ ही साथ पोस्टिक आहार लेने की भी बात चिकित्सक ने बच्चों को कही है. चिकित्सक का कहना है कि अभिभावक को भी अपने बच्चों पर ज्यादा प्रेशर नहीं डालना चाहिए और दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना नहीं करना चाहिए. इससे बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं.

मनोचिकित्सक का कहना है कि बहुत ज्यादा जरूरी न हो तो बच्चों को डॉक्टर के पास भी नहीं ले जाना चाहिए, लेकिन अगर शरीर में कंपन, चिड़चिड़ापन, पसीना आना इस तरह की समस्या उत्पन्न हो तो तत्काल डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

Intro:धनबाद: आने वाले कुछ दिनों में पूरे झारखंड के साथ-साथ धनबाद में भी बोर्ड और इंटर की परीक्षाएं होनी है. जिसको लेकर बच्चों में काफी तनाव देखा जा रहा है.मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों का कहना है कि यह एक तरह से एग्जामिनेशन फोबिया है, जो बच्चों में एग्जाम के समय में देखा जाता है.

Body:परीक्षा के समय बच्चे काफी तनाव में होते हैं और इस तनाव से बचने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए,इन सभी विषयों पर धनबाद से हमारे संवाददाता ने मनोचिकित्सक से बातचीत की और उनसे बच्चों को तनाव से कैसे मुक्त रखा इस विषय पर उनसे बातचीत की गई.

शहर के जाने-माने मनोचिकित्सक बीके सिंह का कहना है कि परीक्षा के समय बच्चे ज्यादा देर तक रात में पढ़ते हैं जिस कारणों ने नींद पूरी नहीं हो पाती, साथ ही साथ रात में जागने से भूख लगना भी कम हो जाता है जिस कारण व ढंग से खा पी भी नहीं पाते,यही कारण है कि उनके शरीर में विटामिन की कमी हो जाती है. कभी-कभार अभिभावक ही अपने बच्चों पर ज्यादा प्रेशर डालते हैं और दूसरों बच्चों से उसकी तुलना अभिभावक करने लगते हैं जिस कारण बच्चे तनाव में आ जाते हैं.

चिकित्सक का कहना है कि बच्चों को परीक्षा के समय तनाव ना देकर उन्हें फ्री छोड़ना चाहिए, ऐसे में बच्चे एकाग्र मन से अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सकेंगे. बच्चों को भी चिकित्सक ने सलाह दी है कि वह ज्यादा देर रात तक पढ़ाई ना करें समय पर वह सो जाएं फिर सुबह उठकर वह योगा करने का प्रयास करें जिससे मन शांत रहता है.साथ ही साथ पोस्टिक आहार लेने की भी बात चिकित्सक ने बच्चों को कही है. चिकित्सक का कहना है कि अभिभावक को भी अपने बच्चों पर ज्यादा प्रेशर नहीं डालना चाहिए और दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना नहीं करना चाहिए. इससे बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं.

Conclusion:मनोचिकित्सक का कहना है कि बहुत ज्यादा जरूरी ना हो तो बच्चों को डॉक्टर के पास भी नहीं ले जाना चाहिए लेकिन अगर शरीर में कंपन,चिड़चिड़ापन,पसीना आना इस तरह की समस्या उत्पन्न हो तो तत्काल डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और बच्चों को डॉक्टर से दिखानी चाहिए.

121-बीके सिंह मनोचिकित्सक
Last Updated : Feb 10, 2020, 11:21 AM IST
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