ETV Bharat / state

2019 में 1 लाख 27 हजार लोगों ने की खुदकुशी, लोगों ने कहा- संयुक्त परिवार का टूटना है वजह - राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो

पूरे विश्व में आज आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जा रहा है. इसे लेकर कई जगहों पर लोगों को जागरूक करने के कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. वर्तमान समय में देश और दुनिया में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बहुत बढ़ गई है.

अंतरराष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम दिवस
author img

By

Published : Sep 10, 2019, 8:49 PM IST

धनबाद: आज आत्महत्या रोकथाम दिवस है. वर्तमान समय में देश और दुनिया में आत्महत्या की प्रवृत्ति सभी वर्गों में काफी बढ़ गई है. बच्चे, बूढ़े और युवाओं सभी में आत्महत्या की प्रवृत्ति में काफी इजाफा हुआ है. इसे लेकर धनबाद के लोगों अपनी राय दी है.

धनबाद के शिक्षकों का कहना है कि छात्रों में आत्महत्या करने की प्रवृति सबसे ज्यादा है. इसका मुख्य कारण अभिभावकों, छात्रों और शिक्षकों में समन्वय की कमी है. अभिभावक और शिक्षकों को छात्रों से लगातार बातचीत करना चाहिए कि छात्र क्या करना चाहते हैं और उनके मन में क्या चल रहा है.

शिक्षक की प्रतिक्रिया

इसे भी पढ़ें:- रांची: होटल के कमरे में तेलंगाना के व्यक्ति की मिली लाश, ज्यादा शराब पीने से हुई मौत

वहीं, महिलाओं ने कहा कि एकल परिवार इसका सबसे बड़ा कारण है, पहले लोग संयुक्त परिवार में रहते थे जिससे किसी भी प्रकार की समस्या होने पर वह एक दूसरे से बात कर लेते थे जिससे मन हल्का होता था, लेकिन आज के दौर में लोग एकल परिवार को प्राथमिकता दे रहे हैं जिससे बच्चों में अकेलापन और चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है. ऐसे में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है.

महिलाओं की प्रतिक्रिया

खुदकुशी को लेकर युवा वर्ग का कहना है कि हर किसी की अपनी महत्वाकांक्षाएं होती है, लेकिन अभिभावक दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना करते हैं ऐसे में बच्चों के मन में हीन भावना जागृत होती है और वह डिप्रेशन में चले जाते हैं. दूसरी ओर पढ़ाई लिखाई के बाद बेरोजगारी और कुछ ना कर पाने की स्थिति में आत्महत्या करने के लिए उकसाते हैं.

युवाओं की प्रतिक्रिया

इसे भी पढ़ें:- हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति कर लेता है आत्महत्या, जानिए आखिर क्यों हार जाते हैं जिंदगी की जंग

मनोचिकित्सक की राय
वहीं, मनोचिकित्सक वीके सिंह ने बताया कि यह एक मानसिक रोग है. किसी भी कारणवश चाहे वह सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक या फिर किसी भी अन्य कारण से लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि डिप्रेशन के भी कई रूप होते हैं. संयुक्त डिप्रेशन और सीवियर डिप्रेशन में जाने के कारण शरीर में बायो केमिकल चेंज होता है और इस कारण मन में आत्महत्या की प्रवृत्ति जागृत हो जाती है.

मनोचिकित्सक की प्रतिक्रिया

बढ़ता जा रहा आत्महत्या का ग्राफ
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार भारत में हर 4 मिनट में 1 खुदकुशी होती है. हर 12 मिनट में 30 वर्ष से कम उम्र का एक युवा अपनी जान दे देता है. हाल ही में आए दुर्घटनाओं और आत्महत्या के कारण मौतों पर वर्ष 2009 के रिकार्ड के मुताबिक 2009 में कुल 1,27,151 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें 68.7 प्रतिशत 15 से 44 वर्ष की उम्र वर्ग के थे.

धनबाद: आज आत्महत्या रोकथाम दिवस है. वर्तमान समय में देश और दुनिया में आत्महत्या की प्रवृत्ति सभी वर्गों में काफी बढ़ गई है. बच्चे, बूढ़े और युवाओं सभी में आत्महत्या की प्रवृत्ति में काफी इजाफा हुआ है. इसे लेकर धनबाद के लोगों अपनी राय दी है.

धनबाद के शिक्षकों का कहना है कि छात्रों में आत्महत्या करने की प्रवृति सबसे ज्यादा है. इसका मुख्य कारण अभिभावकों, छात्रों और शिक्षकों में समन्वय की कमी है. अभिभावक और शिक्षकों को छात्रों से लगातार बातचीत करना चाहिए कि छात्र क्या करना चाहते हैं और उनके मन में क्या चल रहा है.

शिक्षक की प्रतिक्रिया

इसे भी पढ़ें:- रांची: होटल के कमरे में तेलंगाना के व्यक्ति की मिली लाश, ज्यादा शराब पीने से हुई मौत

वहीं, महिलाओं ने कहा कि एकल परिवार इसका सबसे बड़ा कारण है, पहले लोग संयुक्त परिवार में रहते थे जिससे किसी भी प्रकार की समस्या होने पर वह एक दूसरे से बात कर लेते थे जिससे मन हल्का होता था, लेकिन आज के दौर में लोग एकल परिवार को प्राथमिकता दे रहे हैं जिससे बच्चों में अकेलापन और चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है. ऐसे में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है.

महिलाओं की प्रतिक्रिया

खुदकुशी को लेकर युवा वर्ग का कहना है कि हर किसी की अपनी महत्वाकांक्षाएं होती है, लेकिन अभिभावक दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना करते हैं ऐसे में बच्चों के मन में हीन भावना जागृत होती है और वह डिप्रेशन में चले जाते हैं. दूसरी ओर पढ़ाई लिखाई के बाद बेरोजगारी और कुछ ना कर पाने की स्थिति में आत्महत्या करने के लिए उकसाते हैं.

युवाओं की प्रतिक्रिया

इसे भी पढ़ें:- हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति कर लेता है आत्महत्या, जानिए आखिर क्यों हार जाते हैं जिंदगी की जंग

मनोचिकित्सक की राय
वहीं, मनोचिकित्सक वीके सिंह ने बताया कि यह एक मानसिक रोग है. किसी भी कारणवश चाहे वह सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक या फिर किसी भी अन्य कारण से लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि डिप्रेशन के भी कई रूप होते हैं. संयुक्त डिप्रेशन और सीवियर डिप्रेशन में जाने के कारण शरीर में बायो केमिकल चेंज होता है और इस कारण मन में आत्महत्या की प्रवृत्ति जागृत हो जाती है.

मनोचिकित्सक की प्रतिक्रिया

बढ़ता जा रहा आत्महत्या का ग्राफ
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार भारत में हर 4 मिनट में 1 खुदकुशी होती है. हर 12 मिनट में 30 वर्ष से कम उम्र का एक युवा अपनी जान दे देता है. हाल ही में आए दुर्घटनाओं और आत्महत्या के कारण मौतों पर वर्ष 2009 के रिकार्ड के मुताबिक 2009 में कुल 1,27,151 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें 68.7 प्रतिशत 15 से 44 वर्ष की उम्र वर्ग के थे.

Intro:धनबाद: आज आत्महत्या रोकथाम दिवस है.आज के वर्तमान समय में आत्महत्या की प्रवृत्ति सभी वर्गों में काफी बढ़ गई है. चाहे वह किसी भी वर्ग के लोग हो, अगर हम बच्चे, युवा, बुजुर्ग किसी की भी बात करें तो सभी में आत्महत्या की प्रवृत्ति में काफी इजाफा हुआ है. इस बारे में धनबाद के लोगों की क्या राय है आइए जानते हैं.


Body:आपको बता देते धनबाद के विभिन्न वर्गों के लोगों से आत्महत्या से संबंधित बातचीत की गई. शिक्षकों का कहना है कि बच्चों में आत्महत्या खासकर छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति का सबसे बड़ा कारण अभिभावक, छात्र और शिक्षक में समन्वय की कमी इसका मुख्य कारण है. अभिभावक और शिक्षकों को छात्रों से सामान्य में स्थापित करना चाहिए छात्र क्या करना चाह रहे हैं उनके मन में क्या चल रहा है इन सभी चीजों का ध्यान दोनों को रखना आवश्यक है.

वहीं महिलाओं ने कहा कि एकल परिवार इसका सबसे बड़ा कारण है क्योंकि पहले के समय में लोग संयुक्त परिवार में रहा करते थे किसी भी प्रकार की परिवार में परेशानी होने पर वह एक दूसरे से बातों का आदान-प्रदान करते थे. जिससे मन हल्का हो जाता था और लोग आत्महत्या के लिए प्रेरित नहीं होते थे. लेकिन आज के इस समय में लोग एकल परिवार को प्राथमिकता दे रहे हैं. जहां पर पति-पत्नी और बच्चे के अलावा कोई नहीं होता. पति पत्नी भी काम के सिलसिले में बाहर निकल जाते हैं. बच्चों में अकेलापन के कारण चिड़चिड़ापन आ जाता है. ऐसे कई कारण है जिससे आत्महत्या की प्रवृत्ति लोगों में बढ़ रही है इंटरनेट और मोबाइल भी इसका मुख्य कारण है.

वही युवा वर्ग का कहना है कि हर किसी की अपनी महत्वाकांक्षा या होती है लेकिन अभिभावक पास पड़ोस के बच्चों से अपने बच्चों की तुलना करते हैं यह ठीक नहीं है. ऐसे में बच्चों के मन में हीन भावना जागृत होती है और वह डिप्रेशन में चले जाते हैं. दूसरी ओर पढ़ाई लिखाई के बाद बेरोजगारी और कुछ ना कर पाने की स्थिति में आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं.जिस कारण उसके अंदर जीने की चाहत ही नहीं होती.


Conclusion:वही जब फिर फिल्में जिले के जाने-माने मनोरोग चिकित्सक वीके सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि यह एक मानसिक रोग है किसी भी कारणवश चाहे वह सामाजिक हो आर्थिक हो शारीरिक हो या फिर किसी भी कारण के चलते लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि डिप्रेशन के भी कई रूप हैं संयुक्त डिप्रेशन सीवियर डिप्रेशन में जाने के कारण शरीर में बायो केमिकल चेंजेज हो जाते हैं. और इस कारण मन में आत्महत्या की प्रवृत्ति जागृत हो जाती है.

कुल मिलाकर सभी लोगों ने यह कहा कि यह एक गंभीर समस्या है और इसकी रोकथाम बहुत ही जरूरी है. लोगों ने कहा कि यह एक मानसिक बीमारी है.मनोरोग चिकित्सक ने कहा की सामाजिक जागरूकता के जरिए इसकी रोकथाम की जा सकती है.जागरूकता फैलाकर 75 से 90% तक इसे कम किया जा सकता है.

बाइट सीरियल है

1. प्रदीप गोस्वामी -शिक्षक
2.विकास साव -युवा
3.पूनम सिंह- गृहिणी
4.डॉ बी के सिंह-मनोरोग चिकित्सक
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.