धनबाद: आज आत्महत्या रोकथाम दिवस है. वर्तमान समय में देश और दुनिया में आत्महत्या की प्रवृत्ति सभी वर्गों में काफी बढ़ गई है. बच्चे, बूढ़े और युवाओं सभी में आत्महत्या की प्रवृत्ति में काफी इजाफा हुआ है. इसे लेकर धनबाद के लोगों अपनी राय दी है.
धनबाद के शिक्षकों का कहना है कि छात्रों में आत्महत्या करने की प्रवृति सबसे ज्यादा है. इसका मुख्य कारण अभिभावकों, छात्रों और शिक्षकों में समन्वय की कमी है. अभिभावक और शिक्षकों को छात्रों से लगातार बातचीत करना चाहिए कि छात्र क्या करना चाहते हैं और उनके मन में क्या चल रहा है.
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वहीं, महिलाओं ने कहा कि एकल परिवार इसका सबसे बड़ा कारण है, पहले लोग संयुक्त परिवार में रहते थे जिससे किसी भी प्रकार की समस्या होने पर वह एक दूसरे से बात कर लेते थे जिससे मन हल्का होता था, लेकिन आज के दौर में लोग एकल परिवार को प्राथमिकता दे रहे हैं जिससे बच्चों में अकेलापन और चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है. ऐसे में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है.
खुदकुशी को लेकर युवा वर्ग का कहना है कि हर किसी की अपनी महत्वाकांक्षाएं होती है, लेकिन अभिभावक दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना करते हैं ऐसे में बच्चों के मन में हीन भावना जागृत होती है और वह डिप्रेशन में चले जाते हैं. दूसरी ओर पढ़ाई लिखाई के बाद बेरोजगारी और कुछ ना कर पाने की स्थिति में आत्महत्या करने के लिए उकसाते हैं.
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मनोचिकित्सक की राय
वहीं, मनोचिकित्सक वीके सिंह ने बताया कि यह एक मानसिक रोग है. किसी भी कारणवश चाहे वह सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक या फिर किसी भी अन्य कारण से लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि डिप्रेशन के भी कई रूप होते हैं. संयुक्त डिप्रेशन और सीवियर डिप्रेशन में जाने के कारण शरीर में बायो केमिकल चेंज होता है और इस कारण मन में आत्महत्या की प्रवृत्ति जागृत हो जाती है.
बढ़ता जा रहा आत्महत्या का ग्राफ
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार भारत में हर 4 मिनट में 1 खुदकुशी होती है. हर 12 मिनट में 30 वर्ष से कम उम्र का एक युवा अपनी जान दे देता है. हाल ही में आए दुर्घटनाओं और आत्महत्या के कारण मौतों पर वर्ष 2009 के रिकार्ड के मुताबिक 2009 में कुल 1,27,151 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें 68.7 प्रतिशत 15 से 44 वर्ष की उम्र वर्ग के थे.