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पीने के पानी के लिए रोज जाते है मौत के मुहाने में, ऐसी है कोयलांचल की कहानी - झारखंड न्यूज

धनबाद के बेड़ा कोलियरी के आसपास बसे हजारों लोग प्रचंड गर्मी में प्यास बुझाने के लिए मौत के मुहाने का सफर तय कर रहे हैं. पिछले कई सालों से कोलियरी की अंडर ग्राउंड माइंस से रिसता हुआ पानी ही इनकी प्यास बुझा रही है.

कोयलांचल की कहानी
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Published : Apr 20, 2019, 5:17 PM IST

Updated : Apr 20, 2019, 5:22 PM IST

धनबादः पानी जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. वो भी कोयलांचल की जनता को नसीब नहीं हो पा रही है. पानी के लिए लोग मौत के मुहाने में भी चले जाते है. मौत के मुंह से पानी के लिए जद्दोजहद का सिलसिला जारी है. वहीं जनता इस चुनाव में वोट मांगने आने वाले नेताओं को सबक सिखाने के मूड में है.

कोयलांचल की कहानी

बेड़ा कोलियरी के आसपास बसे हजारों लोग प्रचंड गर्मी में प्यास बुझाने के लिए मौत के मुहाने का सफर तय कर रहे हैं. पिछले 30-35 सालों कोलियरी की एक नंबर इंक्लाइन यानी अंडर ग्राउंड माइंस से रिसता हुआ पानी ही इनकी प्यास बुझा रही है. बीसीसीएल ने इस माइंस को बंद कर दिया है. बेरा, भुइयां बस्ती, तुरिया पट्टी और छह नंबर बेरा में बसे लोगों के लिए पानी के लिए ये माइंस मुख्य स्रोत है. माइंस के अंदर पानी रिस कर गिरता है. जहां पत्ते लगाकर महिलाएं पानी भरने के लिए आती है.पानी के लिए महिलाओं की लाइन लगी है.

ये भी पढ़ें-विदिशा की हुई थी हत्या या उसने किया था सुसाइड, अब नई SIT करेगी जांच

पानी भरने आई महिलाओं ने बताया कि पानी के लिए किसी तरह की कोई भी व्यवस्था नहीं है. गर्मी में कुंआ भी सुख गया. पीने और नहाने के लिए पानी का प्रयोग किया जाता है. महिलाएं कहती है कि खदान के बाहर 'खतरा' लिखा हुआ है. इसके बाद भी यहां से पानी भरना इनकी मजबूरी है. आम जनता मर रही है जिसकी परवाह नेताओं को नहीं है. नेताओं के प्रति महिलाओं का गुस्सा साफ दिखाई दिया. महिलाएं कहती है कि पानी भरते हुए अगर हम मरते है, तो क्या इसकी जिम्मेवारी नेता लेंगे.

धनबादः पानी जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. वो भी कोयलांचल की जनता को नसीब नहीं हो पा रही है. पानी के लिए लोग मौत के मुहाने में भी चले जाते है. मौत के मुंह से पानी के लिए जद्दोजहद का सिलसिला जारी है. वहीं जनता इस चुनाव में वोट मांगने आने वाले नेताओं को सबक सिखाने के मूड में है.

कोयलांचल की कहानी

बेड़ा कोलियरी के आसपास बसे हजारों लोग प्रचंड गर्मी में प्यास बुझाने के लिए मौत के मुहाने का सफर तय कर रहे हैं. पिछले 30-35 सालों कोलियरी की एक नंबर इंक्लाइन यानी अंडर ग्राउंड माइंस से रिसता हुआ पानी ही इनकी प्यास बुझा रही है. बीसीसीएल ने इस माइंस को बंद कर दिया है. बेरा, भुइयां बस्ती, तुरिया पट्टी और छह नंबर बेरा में बसे लोगों के लिए पानी के लिए ये माइंस मुख्य स्रोत है. माइंस के अंदर पानी रिस कर गिरता है. जहां पत्ते लगाकर महिलाएं पानी भरने के लिए आती है.पानी के लिए महिलाओं की लाइन लगी है.

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पानी भरने आई महिलाओं ने बताया कि पानी के लिए किसी तरह की कोई भी व्यवस्था नहीं है. गर्मी में कुंआ भी सुख गया. पीने और नहाने के लिए पानी का प्रयोग किया जाता है. महिलाएं कहती है कि खदान के बाहर 'खतरा' लिखा हुआ है. इसके बाद भी यहां से पानी भरना इनकी मजबूरी है. आम जनता मर रही है जिसकी परवाह नेताओं को नहीं है. नेताओं के प्रति महिलाओं का गुस्सा साफ दिखाई दिया. महिलाएं कहती है कि पानी भरते हुए अगर हम मरते है, तो क्या इसकी जिम्मेवारी नेता लेंगे.

Intro:धनबाद।पानी जिसके बिना जीवन की परिकल्पना भी नही की जा सकती है।वह पानी जैसी चीज भी कोयलांचल की जनता को नसीब नही हो पा रही है।पानी के लिए लोग मौत के मुहाने में भी चले जा रहे हैं।न जाने किस वक्त मौत उन्हें दस्तक दे और फिर वह पानी के लिए असमय ही काल के गाल में समा जाए।लेकिन मौत के मुँह से पानी के लिए जद्दोजहद का सिलसिला जारी है।इस चुनाव में यहां की जनता वोट मांगने आने वाले नेताओं को सबक सिखाने के मूड में है।



Body:जिले का बेड़ा कोलियरी के आसपास बसे हजारों लोग प्रचंड गर्मी में प्यास बुझाने के लिए मौत के मुहाने का सफर तय कर रहे हैं।पिछले 30-35 सालों कोलियरी की एक नंबर इंक्लाइन यानी अंडर ग्राउंड माइंस से रिसता हुआ पानी ही इनकी प्यास बुझा रही है।बीसीसीएल ने इस माइंस को बंद कर दिया है।बेरा,भुइयां बस्ती तुरिया पट्टी,और छह नम्बर बेरा में बसे लोगों के लिए पानी के लिए यह माइंस मुख्य स्रोत है।माइंस के अन्दर पानी रिस कर गिरता है।माइंस में पत्ते लगाकर यहाँ की महिलाएं पानी भरने के लिए आती है।यहाँ भी महिलाएं पानी के लिए लाइन में लगी रहती है।पानी भर रही गिरिजा देवी ने बताया कि पानी के लिए किसी तरह की कोई भी व्यवस्था नही है।गर्मी में कुंआ भी सुख गया।पीने और नहाने के लिए यह पानी उपयोग में लाते हैं।पानी भर रही अन्य महिलाओं ने बताया कि खदान के बाहर खतरा लिखा हुआ है।लेकिन फिर भी पानी के लिए अंदर आना पड़ता है।हमलोगो क्या करें मरें या बचे इसकी परवाह किसी नेताओं की नही है।महिलाओं का कहना है कि चुनाव में जब नेता वोट मांगने आएंगे तब उन्हें हम कहेंगे जब हमें पानी नही मिलती है तब हम वोट क्यों दें।हम यदि पानी भरते हुए मरते हैं तो नेता इसकी जिम्मेवारी नही लेंगे।इसलिए उन्हें चुनाव में पानी की जिम्मेवारी लेनी होगी।महिलाओं ने कहा कि हम मरे या बचे इससे नेताओं को मतलब नही उन्हें तो सिर्फ वोट चाहिए।


Conclusion:
Last Updated : Apr 20, 2019, 5:22 PM IST
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