धनबाद: धनबाद में कोरोना संक्रमण की वजह से लगातार हो रही मरीजों की मौत के बाद श्मशान घाटों पर हर दिन दर्जनों शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है. इसको लेकर नगर निगम ने दामोदर नदी के किनारे मोहलबनी श्मशान घाट पर बंद पड़े विद्युत शवदाहगृह की जगह अब नए विद्युत शवदाह गृह बनाने का निर्णय लिया है. नए शवदाहगृह में विद्युत के साथ-साथ गैस की भी व्यवस्था रहेगी ताकि बिजली नहीं रहने पर लोगों को ज्यादा समय तक इंतजार न करना पड़े.
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टेंडर प्रक्रिया पूरी
नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि विद्युत शवदाह गृह के लिए दो करोड़ की राशि निर्गत की गई है. टेंडर की प्रकिया पूरी ली गई है. उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए शव ज्यादा आ रहे हैं. शवदाह गृह के बन जाने से लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. विद्युत के साथ साथ गैस से भी शवदाह गृह चलाने की व्यवस्था की जाएगी. मोहलबनी में शवदाह गृह बनाया जाएगा. राशि बचने पर अन्य शमशान घाटों पर भी शवदाह गृह बनाए जाएंगे.
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विवाद के बाद बंद कर दिया गया था शवदाह गृह
विद्युत शवदाह गृह का सबसे पहले उद्घाटन 14 नवंबर 1997 को बिहार के नगर विकास मंत्री नारायण यादव और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री आबो देवी ने संयुक्त रूप से किया था. अक्टूबर 1998 में यहां भारी विवाद हुआ था. शव जलाने को लेकर हुए विवाद के बाद प्रशासन ने इसे पूरी तरह बंद कर दिया था. एक वर्ष चलने के बाद एक दिन लोदना से शव का अंतिम संस्कार के लिए लोग विद्युत शवदाह गृह पहुंचे. उस समय यहां बिजली नहीं थी. विद्युत शवदाह गृह में तैनात माडा के कर्मियों ने शव को जलाए बिना उसे पीछे रख दिया. काफी देर बाद शव जलाने आए लोगों से कहा कि बिजली आ गई है. शव को जला दिया गया है. कर्मियों ने शव की राख भी मृतक के परिवार वालों को दे दी. इसी बीच एक व्यक्ति पीछे गया तो देखा कि शव पड़ा हुआ है. इसके बाद लोगों ने कर्मी की पिटाई कर उस पर शवों की तस्करी करने के गंभीर आरोप लगाया. विवाद बढ़ने के कारण प्रशासन ने इसे बंद कर दिया. 22 दिसंबर 2005 को धनबाद की तत्कालीन उपायुक्त बीला राजेश ने विद्युत शवदाह गृह का फिर उद्घाटन किया था. लेकिन बिजली की कमी के कारण कुछ माह बाद विद्युत शवदाह गृह फिर बंद हो गया.