धनबादः जिला के कतरास कोल डंप के रहने वाली सविता मां को हर कोई सैल्यूट कर रहा है. सविता मां की दिलेरी की चर्चा पूरी शहर में है. 2014 में कुआं धंसने से हादसे का मंजर आज भी उनके जेहन में कौंध जाता है. लेकिन उस वक्त भी उन्होंने एक मां का फर्ज अदा किया, जिसकी तसल्ली और खुशी जिंदगी भर रहेगी.
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साल 2014 में उन्होंने साढ़े नौ साल के अपने जुड़वा बेटों और भतीजे को तो ना बचा सकी, उनकी कुएं में डूबने से मौत हो गयी. लेकिन इस हादसे में एक बच्चे को बचाने में वो कामयाब रहीं. 19 जून 2014 को राजगंज के दलूडीह में कुंआ धंसने की घटना घटी थी. इस हादसे को सविता देवी कभी भुला नहीं सकी, आज भी वह मंजर उन्हें याद है. इस मदर्स डे पर ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने एक मां होने का दर्द और एक बच्चे को उसकी मां से मिलाने की दास्तां बयां करते हुए आज भी उनका दिल पसीज जाता है.
सविता देवी ने बताया कि साल 2014 में वह अपने पति के साथ राजगंज के दलूडीह में अपने भाई के साथ रहती थी. वह कहती हैं कि वह घर में काम कर रही थीं. उसके जुड़वा बेटे और बेटी बाहर खेल रही थी. अचानक शोर हुआ कि कुआं धंसने से हादसा हो गया है. सविता घर से बाहर दौड़ते हुए निकली, उसे किसी ने जानकारी दी कि उसके जुड़वा बेटे रोहित और राहुल भी कुएं में गिर गए हैं. सविता आननफानन में कुएं के पास पहुंची.
उसने देखा कि कुएं में एक बच्चे का सिर पानी में दिखाई दे रहा है, कुआं कच्चा होने से धंसान जारी था. लेकिन सविता ने अपनी जान की परवाह किए बगैर, अपनी साड़ी खोलकर कुंए में डाली, बच्चे ने साड़ी पकड़ ली और वो एक हाथ से एक पेड़ को पकड़े रखा. दूसरे हाथ से साड़ी को अपने दाहिने पैर से दबाकर खिंचने लगी. बच्चा कुछ ऊपर आ गया, बच्चे का चेहरा दिखा पर वो सविता का बच्चा नहीं था.
जब तक बच्चा बाहर नहीं निकल आया तब तक सविता ने साड़ी को खींचना जारी रखा और बच्चा कुआं से बाहर निकल गया. उस बच्चे के बाहर निकलने के बाद प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच चुकी थी. इधर सविता के पति एतवारी राय भी कुएं में कूदे थे. जिसे प्रशासन ने बाहर निकलवा लिया. सविता की जिद को देखते हुए उसे एक कमरे में बंद कर दिया गया. प्रशासन के द्वारा दो दिनों तक रेस्कयू ऑपरेशन चलाया गया. दो दिन के रेस्क्यू के बाद सविता के जुड़वा बच्चे और उसकी भतीजी का शव बाहर निकाला गया.
सविता आज भी उस दिन को याद कर काफी दुखी हो जाती है. लेकिन वो कहती हैं कि वो अपने बच्चों को बचा नहीं सकी, इस बात का दुख है. लेकिन मां तो आखिर मां होती है वो एक मां के कलेजे के टुकड़े को बचाकर खुश हैं. वहीं सविता के पति एतवारी राय का कहना है कि उस जगह पर कोई भी मां होती तो वही करती जो सविता ने किया है, उन्हें अपनी पत्नी सविता के उस वक्त लिए पैसले पर गर्व है.