धनबाद: कृषि बिल के पारित होने से लगातार देश के कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन जारी है. कांग्रेस इस बिल को लेकर हमलावर हो गई है. झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सह जामताड़ा विधायक डॉ इरफान अंसारी ने कहा है कि कृषि विधेयक से देश के किसानों का ना सिर्फ शोषण बढ़ेगा, बल्कि कुछ पूंजीपतियों के ओर से उनके जमीन को हड़प ली जाएगी, झारखंड में किसी भी सूरत में इस बिल को लागू नहीं होने दिया जाएगा.
धनबाद जिला परिषद निरीक्षण भवन में प्रेस वार्ता कर जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार किसानों को अपनी जमीन से बेदखल करना चाहती है, इससे देश की जनता में आक्रोश बढ़ रहा है, झारखंड में दुमका और बेरमो के दोनों उपचुनाव में भी जनता केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार को सबक सिखाएगी.
झरिया विधायक ने किया कृषि बिल का विरोध
वहीं झरिया के विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने कहा कि केंद्र की किसान विरोधी कृषि बिल से किसानों को ना सिर्फ नुकसान होगा, बल्कि बड़े-बड़े कॉरपोरेट घराने और पूंजीपति सिर्फ लाभान्वित होंगे और किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा, अभी भी देश में 5 एकड़ से कम जमीन वाले किसानों की संख्या ज्यादा है, ऐसे में उनका शोषण ज्यादा बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र के कृषि सुधार बिल का कांग्रेस विरोध करेगी और चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की जाएगी.
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बाबूलाल मरांडी पर निशाना
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष इरफान अंसारी ने बीजेपी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे इस कार्यकाल में नेता प्रतिपक्ष बनने का सपना पूरा नहीं कर पाएंगे, अगर बाबूलाल मरांडी बीजेपी की ओर से नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते हैं तो उन्हें बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत कर आना पड़ेगा, फिलहाल उनके जेवीएम का बीजेपी में विलय का झारखंड विधानसभा में मान्यता नहीं मिली है, ऐसे में अभी भी वे निर्दलीय हैं. एक सवाल के जवाब में जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी ने स्वीकार किया कि जेवीएम छोड़कर आए प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भी विधिवत रूप से कांग्रेसी नहीं हैं, उन्हें अभी भी निर्दलीय का ही दर्जा प्राप्त है और उन्हें सरकार में शामिल करने की कोई मंशा भी नहीं है.
उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी के ऊपर यह बड़ा सवाल जरूर उठता है कि वे चुनाव लड़े तो जेवीएम के टिकट पर लड़े, सभी वर्गो का सेकुलर वोट हासिल किए और पार्टी के मुखिया होने के बावजूद अपना घर छोड़कर बीजेपी से जा मिले, ऐसे में उन्हें जनता का जनादेश प्राप्त करने के लिए इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहिए था. झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने भी कहा कि बाबूलाल मरांडी का मामला टेक्निकल पेंच के कारण फंसा हुआ है और जब तक वह क्लियर नहीं हो जाता उनको नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिलना फिलहाल मुश्किल लग रहा है.