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कोयलांचल से निकलेगा 'हीरा': अनोखे 'हीरे' को तराश रहा ISM, गरीब बच्चों के लिए बना वरदान - ISM will make children innovative

IIT-ISM झारखंड में अनोखे 'हीरे' को तराश रहा है. संस्थान की यह पहल गरीब बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है. कई गरीब बच्चों को सही प्लेटफॉर्म मिला है जहां वे अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं.

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अनोखे 'हीरे' को तराश रहा ISM
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Published : Jun 24, 2021, 8:31 PM IST

Updated : Jun 24, 2021, 10:28 PM IST

धनबाद: आईआईटी-आईएसएम(IIT-ISM) न सिर्फ इंजीनियरिंग के क्षेत्र में छात्रों को बेहतर अध्ययन करा रहा है बल्कि झारखंड में छिपे अनोखे 'हीरे' को भी तराश रहा है. धनबाद का आईआईटी-आईएसएम(IIT-ISM) सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को आविष्कार के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के साथ उन्हें संस्थान के बेहतर संसाधनों का उपयोग कराकर आगे बढ़ने में मदद कर रहा है. बच्चों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है और शिक्षक भी पूरी मदद कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: 'बाल आर्यभट्ट' विराट: सीखने की ललक ने बनाया जीनियस, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराकर रचा इतिहास

इनोवेशन चैलेंज में 158 बच्चे शामिल, 9 फेज-3 में पहुंचे

आईएसएम(ISM) के इस प्रोजेक्ट के लिए सरकारी स्कूल के बच्चे भी खरे उतर रहे हैं. झारखंड आविष्कार इनोवेशन चैलेंज 2021 में 18 जिलों के 158 बच्चे शामिल हुए. इसमें 9 बच्चे फेज-3 में पहुंच चुके हैं. इन बच्चों को प्रोफेसर मदद कर रहे हैं. कोरोना के चलते शिक्षक ऑनलाइन बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. महामारी खत्म होने के बाद इन बच्चों को आईएसएम कैंपस में ही प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रोफेसर बच्चों को प्रशिक्षित करेंगे. बच्चों के द्वारा इनोवेट की गई चीजों को प्रोडक्ट में कनवर्ट किया जाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

आइडिया जेनरेट के लिए ट्रेनिंग देंगे प्रोफेसर

दूसरे प्रोजेक्ट के रूप में स्कलाथोन प्रोग्राम हाल में ही लॉन्च किया गया है. इसमें बच्चों को पहले ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद उन्हें आइडिया जेनरेट के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी. रोबोटिक्स, एप डेवलपमेंट, वेब प्रोसेसिंग जैसी विभिन्न तरह की ट्रेनिंग बच्चों को कैंपस में ही दी जाएगी. 350 से अधिक बच्चे इसमें शामिल हुए हैं. आईआईटी-आईएसएम (IIT-ISM) इनोवेशन के डीन प्रोफेसर धीरज कुमार बताते हैं कि इन सब कार्यो के लिए फंड की जरूरत थी. इसके लिए इरा (इंटरनेशनल रिलेशन एल्युमिनी एफेयर) ने बढ़ चढ़कर सहयोग किया.

1997 बैच के आईएसएम के पेट्रोलियम छात्र रहे नरेश वशिष्ठ ने 8.2 करोड़ की राशि संस्थान को अपनी ओर से उपलब्ध कराई. इस राशि से कैंपस में नरेश वशिष्ठ सेंटर फॉर टिंकरिंग एंड इनोवेशन लैब का सेटअप तैयार किया जा रहा है. इस लैब में संस्थान और बाहरी स्कूल के बच्चे यहां अध्यन कर सकेंगे. बच्चे संस्थान के संसाधनों का उपयोग करेंगे और इसके साथ प्रोफेसर उनकी मदद करेंगे. बच्चों को आर्थिक मदद भी दी जा रही है.

शुभम ने तैयार किया रोबोट, आपदा के समय मिलेगी मदद

राजकीयकृत मध्य विद्यालय धैया में पढ़ने वाले 8वीं के छात्र शुभम कुमार शर्मा ने बताया कि इस पहल से वे काफी खुश हैं. शुभम के पिता भगवान शर्मा बढ़ई का काम करते हैं. धैया के भेलाटांड़ में शुभम का पूरा परिवार किराये पर रहता है. शुभम झारखंड आविष्कार इनोवेशन चैलेंज 2021 के फेज-3 में पहुंच चुका है.

शुभम ने एक रोबोट बनाया है जिससे आपदा के समय लोगों की जान बचाने में काफी मदद मिलेगी. मलबे में दबे लोगों को इस रोबोट के जरिये उन्हें ढूंढकर आसानी से निकाला जा सकता है. माइंस एक्सीडेंट होने के बाद मलबे में फंसे लोग भी बाहर निकाले जा सकते हैं. बॉर्डर पर भी इससे विशेष फायदा सेना को मिलेगा. रोबोट ट्रांसमीटर के जरिए काम करता है. जिस एरिया में मोबाइल फ्रीक्वेंसी कम है, वहां रोबोट अपना काम और भी आसानी से करता है. रोबोट को फ्रीक्वेंसी के अनुसार बनाया गया है. शुभम कहते हैं कि आईएसएम ने मुझे एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है.

प्रतिभावान बच्चों के लिए बड़ा अवसर

शुभम की मां सुनीता देवी कहती हैं कि घर में जितना जुट पाता था उतना बेटे को दिया. अब उसकी काबिलियत पर उसे एक मुकाम मिला है. उन्होंने आईएसएम को इसके लिए धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि अब मेरे बेटे की जिंदगी आईएसएम में ही संवारेगा. राजकीयकृत मध्य विद्यालय धैया के सीनियर टीचर राजकुमार वर्मा ने भी आईएसएम के इस कार्य के लिए सराहना की है. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में गरीब तबके के बच्चे पढ़ते हैं जिन्हें घर मे दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती है. ऐसे में आईएसएम की यह पहल प्रतिभावान बच्चों को उनके मुकाम तक पहुंचाने में काफी कारगर साबित होगी.

धनबाद: आईआईटी-आईएसएम(IIT-ISM) न सिर्फ इंजीनियरिंग के क्षेत्र में छात्रों को बेहतर अध्ययन करा रहा है बल्कि झारखंड में छिपे अनोखे 'हीरे' को भी तराश रहा है. धनबाद का आईआईटी-आईएसएम(IIT-ISM) सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को आविष्कार के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के साथ उन्हें संस्थान के बेहतर संसाधनों का उपयोग कराकर आगे बढ़ने में मदद कर रहा है. बच्चों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है और शिक्षक भी पूरी मदद कर रहे हैं.

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इनोवेशन चैलेंज में 158 बच्चे शामिल, 9 फेज-3 में पहुंचे

आईएसएम(ISM) के इस प्रोजेक्ट के लिए सरकारी स्कूल के बच्चे भी खरे उतर रहे हैं. झारखंड आविष्कार इनोवेशन चैलेंज 2021 में 18 जिलों के 158 बच्चे शामिल हुए. इसमें 9 बच्चे फेज-3 में पहुंच चुके हैं. इन बच्चों को प्रोफेसर मदद कर रहे हैं. कोरोना के चलते शिक्षक ऑनलाइन बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. महामारी खत्म होने के बाद इन बच्चों को आईएसएम कैंपस में ही प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रोफेसर बच्चों को प्रशिक्षित करेंगे. बच्चों के द्वारा इनोवेट की गई चीजों को प्रोडक्ट में कनवर्ट किया जाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

आइडिया जेनरेट के लिए ट्रेनिंग देंगे प्रोफेसर

दूसरे प्रोजेक्ट के रूप में स्कलाथोन प्रोग्राम हाल में ही लॉन्च किया गया है. इसमें बच्चों को पहले ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद उन्हें आइडिया जेनरेट के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी. रोबोटिक्स, एप डेवलपमेंट, वेब प्रोसेसिंग जैसी विभिन्न तरह की ट्रेनिंग बच्चों को कैंपस में ही दी जाएगी. 350 से अधिक बच्चे इसमें शामिल हुए हैं. आईआईटी-आईएसएम (IIT-ISM) इनोवेशन के डीन प्रोफेसर धीरज कुमार बताते हैं कि इन सब कार्यो के लिए फंड की जरूरत थी. इसके लिए इरा (इंटरनेशनल रिलेशन एल्युमिनी एफेयर) ने बढ़ चढ़कर सहयोग किया.

1997 बैच के आईएसएम के पेट्रोलियम छात्र रहे नरेश वशिष्ठ ने 8.2 करोड़ की राशि संस्थान को अपनी ओर से उपलब्ध कराई. इस राशि से कैंपस में नरेश वशिष्ठ सेंटर फॉर टिंकरिंग एंड इनोवेशन लैब का सेटअप तैयार किया जा रहा है. इस लैब में संस्थान और बाहरी स्कूल के बच्चे यहां अध्यन कर सकेंगे. बच्चे संस्थान के संसाधनों का उपयोग करेंगे और इसके साथ प्रोफेसर उनकी मदद करेंगे. बच्चों को आर्थिक मदद भी दी जा रही है.

शुभम ने तैयार किया रोबोट, आपदा के समय मिलेगी मदद

राजकीयकृत मध्य विद्यालय धैया में पढ़ने वाले 8वीं के छात्र शुभम कुमार शर्मा ने बताया कि इस पहल से वे काफी खुश हैं. शुभम के पिता भगवान शर्मा बढ़ई का काम करते हैं. धैया के भेलाटांड़ में शुभम का पूरा परिवार किराये पर रहता है. शुभम झारखंड आविष्कार इनोवेशन चैलेंज 2021 के फेज-3 में पहुंच चुका है.

शुभम ने एक रोबोट बनाया है जिससे आपदा के समय लोगों की जान बचाने में काफी मदद मिलेगी. मलबे में दबे लोगों को इस रोबोट के जरिये उन्हें ढूंढकर आसानी से निकाला जा सकता है. माइंस एक्सीडेंट होने के बाद मलबे में फंसे लोग भी बाहर निकाले जा सकते हैं. बॉर्डर पर भी इससे विशेष फायदा सेना को मिलेगा. रोबोट ट्रांसमीटर के जरिए काम करता है. जिस एरिया में मोबाइल फ्रीक्वेंसी कम है, वहां रोबोट अपना काम और भी आसानी से करता है. रोबोट को फ्रीक्वेंसी के अनुसार बनाया गया है. शुभम कहते हैं कि आईएसएम ने मुझे एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है.

प्रतिभावान बच्चों के लिए बड़ा अवसर

शुभम की मां सुनीता देवी कहती हैं कि घर में जितना जुट पाता था उतना बेटे को दिया. अब उसकी काबिलियत पर उसे एक मुकाम मिला है. उन्होंने आईएसएम को इसके लिए धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि अब मेरे बेटे की जिंदगी आईएसएम में ही संवारेगा. राजकीयकृत मध्य विद्यालय धैया के सीनियर टीचर राजकुमार वर्मा ने भी आईएसएम के इस कार्य के लिए सराहना की है. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में गरीब तबके के बच्चे पढ़ते हैं जिन्हें घर मे दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती है. ऐसे में आईएसएम की यह पहल प्रतिभावान बच्चों को उनके मुकाम तक पहुंचाने में काफी कारगर साबित होगी.

Last Updated : Jun 24, 2021, 10:28 PM IST
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