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घड़बड़ गांव में सब कुछ है गड़बड़, जवानी में ही बुड्ढे हो रहे हैं युवा - Higher quantity of fluoride in water

धनबाद के बलियापुर प्रखंड के घड़बड़ गांव में पानी में तय मानक से ज्यादा फ्लोराइड की मात्रा पाई जा रही है. इसका सीधा असर शरीर की हड्डियों पर पड़ता है. इससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं.

पानी में ज्यादा फ्लोराइड से बूढ़ें हो रहे युवा
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Published : Aug 31, 2019, 8:22 PM IST

धनबाद: कोयलांचल धनबाद के बलियापुर प्रखंड के घड़बड़ गांव में सब कुछ गड़बड़ है. इस गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा काफी अधिक पाई गई है, जिस वजह से लोग जवानी में ही बुड्ढे होते जा रहे हैं. यहां पर लड़कियों की शादी तो जैसे-तैसे हो जाती है, लेकिन लड़कों की शादी में यह पानी अड़चन पैदा करता है.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

इस गांव में जितने भी हैंडपंप हैं उन सभी की जांच रांची से आई एक विशेष टीम ने की है. इसमें फ्लोराइड की मात्रा काफी अधिक पाई गई है. एक-दो हैंडपंप को छोड़ दें, तो लगभग सभी हैंडपंप के पानी को टीम ने पीने लायक नहीं बताया. इस पानी को पीने की वजह से 30-40 साल की उम्र में ही लोगों की कमर झुक जा रही है और उन्हें चलने में परेशानियां होने लगती हैं. कमोबेश गांव के जितने भी 50 साल की उम्र के लोग हैं सभी की कमर झुकी हुई है. स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि उनकी जिंदगी तो जैसे तैसे बीत गई, लेकिन बच्चों का भविष्य कैसे बेहतर हो इसकी चिंता उन्हें सता रही है.

ये भी पढ़ें- इस गांव में चलती है 'खाट एंबुलेंस', बदतर हालातों में जिंदगी बसर कर रहे ग्रामीण

मायके जाने पर लड़कियों के सामने रखते हैं शर्त
इस गांव में कोई भी अपनी लड़की की शादी नहीं करना चाहता. लोगों को डर है कि उनकी लड़की को भी बीमारी हो जाएगी और वह भी झुक जाएगी. जिस कारण इस गांव के दर्जनों जवान लड़के अपनी शादी की आस में बैठे हैं. गांव की लड़कियां अपने पति और बच्चों के साथ जब अपने मायके आती हैं, तो वह अपने गांव से ही पानी लेकर आती है और जब तक वह इस गांव में रहती हैं तब तक इस गांव का पानी नहीं पीती. पानी खत्म होने के साथ ही लड़की फिर अपने ससुराल वापस चली जाती है. ससुराल से भेजने के समय ही यह शर्त रहती है कि वहां पर कोई भी पानी नहीं पिएगा, तभी मायके भेजा जाता है.
रांची से आई टीम ने की पानी की जांच

प्रशासन ने बनवाई पानी की टंकी

हालांकि रांची से आई टीम के द्वारा जांच किए जाने के बाद आनन-फानन में वहां पर पानी की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने जोर लगाया. अब वहां पर एक बड़ी पानी की टंकी भी बना दी गई है. इस पानी टंकी को बनाने में 2 साल लगे और अब पानी की टंकी बन जाने के बाद पानी की सप्लाई की तैयारी भी हो रही है. विडंबना यह है कि इस भोली भाली जनता से तय शुल्क 310 की जगह 600-700 रुपए मांगे जा रहे हैं, जो यह देने में असमर्थ हैं, जिस कारण पानी सप्लाई की पाइप घर-घर पहुंचाने वाले वापस चले गए.

तय मानक में हो पानी में फ्लोराइड

जिले के चिकित्सक और जिला आईएमए सचिव सुशील कुमार का कहना है कि एक तय मानक में फ्लोराइड की मात्रा पानी में होना जरूरी है. WHO के मुताबिक, एक लीटर पानी में 0.7 एमएम फ्लोराइड की मात्रा होनी चाहिए. अगर इससे ज्यादा पानी में फ्लोराइड की मात्रा पाई जाती है तो यह हानिकारक है. इसका सीधा असर हड्डियों पर होता है. हालांकि मामले को लेकर जिले के उपायुक्त अमित कुमार का कहना है कि पानी सप्लाई में ज्यादा पैसा लिया जा रहा है, तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

धनबाद: कोयलांचल धनबाद के बलियापुर प्रखंड के घड़बड़ गांव में सब कुछ गड़बड़ है. इस गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा काफी अधिक पाई गई है, जिस वजह से लोग जवानी में ही बुड्ढे होते जा रहे हैं. यहां पर लड़कियों की शादी तो जैसे-तैसे हो जाती है, लेकिन लड़कों की शादी में यह पानी अड़चन पैदा करता है.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

इस गांव में जितने भी हैंडपंप हैं उन सभी की जांच रांची से आई एक विशेष टीम ने की है. इसमें फ्लोराइड की मात्रा काफी अधिक पाई गई है. एक-दो हैंडपंप को छोड़ दें, तो लगभग सभी हैंडपंप के पानी को टीम ने पीने लायक नहीं बताया. इस पानी को पीने की वजह से 30-40 साल की उम्र में ही लोगों की कमर झुक जा रही है और उन्हें चलने में परेशानियां होने लगती हैं. कमोबेश गांव के जितने भी 50 साल की उम्र के लोग हैं सभी की कमर झुकी हुई है. स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि उनकी जिंदगी तो जैसे तैसे बीत गई, लेकिन बच्चों का भविष्य कैसे बेहतर हो इसकी चिंता उन्हें सता रही है.

ये भी पढ़ें- इस गांव में चलती है 'खाट एंबुलेंस', बदतर हालातों में जिंदगी बसर कर रहे ग्रामीण

मायके जाने पर लड़कियों के सामने रखते हैं शर्त
इस गांव में कोई भी अपनी लड़की की शादी नहीं करना चाहता. लोगों को डर है कि उनकी लड़की को भी बीमारी हो जाएगी और वह भी झुक जाएगी. जिस कारण इस गांव के दर्जनों जवान लड़के अपनी शादी की आस में बैठे हैं. गांव की लड़कियां अपने पति और बच्चों के साथ जब अपने मायके आती हैं, तो वह अपने गांव से ही पानी लेकर आती है और जब तक वह इस गांव में रहती हैं तब तक इस गांव का पानी नहीं पीती. पानी खत्म होने के साथ ही लड़की फिर अपने ससुराल वापस चली जाती है. ससुराल से भेजने के समय ही यह शर्त रहती है कि वहां पर कोई भी पानी नहीं पिएगा, तभी मायके भेजा जाता है.
रांची से आई टीम ने की पानी की जांच

प्रशासन ने बनवाई पानी की टंकी

हालांकि रांची से आई टीम के द्वारा जांच किए जाने के बाद आनन-फानन में वहां पर पानी की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने जोर लगाया. अब वहां पर एक बड़ी पानी की टंकी भी बना दी गई है. इस पानी टंकी को बनाने में 2 साल लगे और अब पानी की टंकी बन जाने के बाद पानी की सप्लाई की तैयारी भी हो रही है. विडंबना यह है कि इस भोली भाली जनता से तय शुल्क 310 की जगह 600-700 रुपए मांगे जा रहे हैं, जो यह देने में असमर्थ हैं, जिस कारण पानी सप्लाई की पाइप घर-घर पहुंचाने वाले वापस चले गए.

तय मानक में हो पानी में फ्लोराइड

जिले के चिकित्सक और जिला आईएमए सचिव सुशील कुमार का कहना है कि एक तय मानक में फ्लोराइड की मात्रा पानी में होना जरूरी है. WHO के मुताबिक, एक लीटर पानी में 0.7 एमएम फ्लोराइड की मात्रा होनी चाहिए. अगर इससे ज्यादा पानी में फ्लोराइड की मात्रा पाई जाती है तो यह हानिकारक है. इसका सीधा असर हड्डियों पर होता है. हालांकि मामले को लेकर जिले के उपायुक्त अमित कुमार का कहना है कि पानी सप्लाई में ज्यादा पैसा लिया जा रहा है, तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

Intro:घड़बड़ गांव में सब कुछ है गड़बड़, जवानी में ही बुड्ढे हो जाते हैं लोग नहीं बचती है शहनाई

धनबाद: कोयलांचल धनबाद के बलियापुर प्रखंड के घड़बड़ गांव में सब कुछ गड़बड़ है. आपको बता दें कि इस गांव की पानी में फ्लोराइड की मात्रा काफी अधिक पाई गई है.जिसके कारण लोग जवानी में ही बुड्ढे हो जा रहे हैं. यहां पर लड़कियों की शादी तो जैसे-तैसे हो जाती है पर, यहां के लड़कों की शादी में यह पानी अड़चन पैदा करती है.और लड़कों की शादी नहीं हो पाती है लोग जवानी में ही बुड्ढे हो जा रहे हैं.जानिए क्या है पूरी कहानी


Body:आपको बता दें कि इस गांव में जितने भी चापानल है उन सभी की जांच रांची से आई एक विशेष टीम ने की है. जिसमें फ्लोराइड की मात्रा काफी अधिक पाई गई है एक-दो चापानल को छोड़ दे तो यहां पर लगभग सभी चापानल को उस टीम ने पीने के पानी योग्य नहीं बताया था. जिसको पीने योग्य बतलाया गया था उसमें भी फ्लोराइड की मात्रा सामान्य से ज्यादा थी जिसके बाद लोग यहां पर खरीद कर पानी पीने को मजबूर हैं.


इस पानी को पीने की वजह से 30-40 वर्ष की उम्र में ही लोग झुक जा रहे हैं और उन्हें चलने में परेशानियां होने लगती हैं. कमोबेश गांव के जितने भी 50 वर्ष की उम्र के लोग हैं सभी की कमर झुकी हुई है ओर बहुत लोग इस कारण भगवान को प्यारे हो चुके हैं. स्थानीय बुजुर्गों ने कहा कि उनकी जिंदगी तो जैसे तैसे बीत गई है पर बच्चों का भविष्य कैसे बेहतर हो इसकी चिंता सता रही है.

इस गांव के लड़कियों की शादी जैसे तैसे हो जाती है क्योंकि लड़कियों को यहां नहीं रहना है इस कारण लड़कियों की शादी दूसरे गांव के लोग कर लेते हैं,लेकिन इस गांव में कोई भी अपनी लड़की देना नहीं चाहता क्योंकि उन लोगों को भी डर है कि उसकी लड़की को भी बीमारी हो जाएगी और वह भी झुक जाएगी.जिस कारण इस गांव के दर्जनों जवान लड़के अपनी शादी की बाट जोह रहे हैं ताकि कोई कुटुंब इस गांव में आए और इन लड़कों को अपनी लड़की दे.

इस गांव की लड़कियां अपने पति और बच्चे के साथ जब अपने मायके आती है तो वह अपने गांव से ही पानी लेकर आती है और जब तक वह इस गांव में रहती है तब तक इस गांव का पानी नहीं पीती है. अपना लाया हुआ पानी ही पीकर रहती है. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि लड़की के पिता को कितनी भारी किल्लत का सामना करना पड़ता होगा. पानी खत्म होने के साथ ही लड़की फिर अपने ससुराल वापस चली जाती है. ससुराल से भेजने के समय ही यह शर्त रहती है कि वहां पर कोई भी जाकर पानी नहीं पिएगा तभी मायके भेजा जाता है.

हालांकि रांची से आई टीम के द्वारा जांच किए जाने के बाद आनन-फानन में वहां पर पानी की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने जोर लगाया.अब वहां पर एक बड़ी पानी की टंकी भी बना दी गई है.इस पानी टंकी को बनाने में 2 वर्ष लगे और अब पानी की टंकी बन जाने के बाद पानी की सप्लाई की तैयारी भी हो रही है लेकिन, विडंबना यह है कि इन भोली भाली जनता को 310 की जगह 600-700 रुपए मांगा जा रहा है जो यह देने में असमर्थ हैं. जिस कारण पानी सप्लाई की पाइप घर-घर पहुंचाने वाले वापस चले गए.

जिले के जाने-माने चिकित्सक व जिला आईएमए सचिव सुशील कुमार का कहना है कि फ्लोराइड की मात्रा पानी में होनी चाहिए यह भी जरूरी है. एक लीटर पानी में w.h.o. के अनुसार 0.7 एमएम फ्लोराइड की मात्रा होनी चाहिए.अगर इससे ज्यादा पानी में फ्लोराइड की मात्रा पाई जाती है तो यह हानिकारक है क्योंकि, यह हड्डी पर ही असर करता है जिस कारण वहां के लोग समय से पहले झुक जाते हैं.


Conclusion:हालांकि की जब इस मामले की जानकारी जिले के उपायुक्त अमित कुमार को दी गई तो उन्होंने कहा कि वहां पर इस प्रकार की समस्या है वह मालूम है और वहां पर जल्दी पानी की सप्लाई भी की जा रही है लेकिन, पानी सप्लाई में ज्यादा पैसा लेने की बात उन्हें बताई गई तो उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए तुरंत ही बलियापुर प्रखंड विकास पदाधिकारी को फोन किया और उनसे इस मामले की जांच करने का आदेश दिया उन्होंने कहा कि अगर ऐसी बात है तो दोषियों के ऊपर उचित कार्रवाई की जाएगी.

बाइट सीरियल है।

1. हिमांशु चक्रवर्ती- ग्रामीण
2. अचिंतो सरखेल -ग्रामीण
3. ईशान मुखर्जी -ग्रामीण
4. अधीर सरखेल- ग्रामीण
5. दीपो मनु-स्थानीय युवा
6. सुशील कुमार- चिकित्सक
7. अमित कुमार -उपायुक्त -धनबाद
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