धनबाद: जिले में सरकारी योजनाओं का हाल बेहाल है. तमाम सरकारी योजनाएं जो जरूरतमंद लोंगों के लिए बनाई गई हैं, उसका लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है और योजनाओं की राशि की बंदरबांट हो रही है. चाहे वो प्रधानमंत्री आवास योजना हो या शौचालय या अन्य कोई सरकारी योजना.
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10 साल के बाद भी नहीं मिल पाया लाभ
ये मामला जिले के गोविंदपुर प्रखंड के जमडीहा पंचायत का है. झारखंड में मुखिया चुनाव दो बार हो चुका है. दूसरा कार्यकाल भी समाप्त होने को है. 10 साल में दो मुखिया इस पंचायत के बन चुके है. लेकिन किसी भी मुखिया को इस दुखियारी महिला का दुख नहीं दिखा. लोगों ने बताया कि बड़े-बड़े बिल्डिंग वाले लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जा रहा है. लेकिन जरूरतमंद इस महिला को आज तक प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिल सका. 10 साल बीत गए अब तक यह महिला प्रधानमंत्री आवास की आस लगाए बैठी है.
सिर्फ शौचालय का मिला लाभ
जमडीहा गांव के रहने वाली नाजिमा बीबी के पति की मौत लगभग 4 साल पहले हुई थी. इस महिला का पुत्र नहीं है. पांच बेटियों को लेकर यह अपने पुराने टूटे-फूटे मकान में रह रही है. मकान की हालात काफी जर्जर है. मजबूरन उसे उसी बदहाल घर में रहना पड़ रहा है. मुखिया से कई बार मिन्नतें करने के बावजूद उसे प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिला सका. सरकारी योजना का लाभ सिर्फ एक शौचालय के तौर मिला है जिसमें दरवाजा भी नहीं लगाया गया था. महिला ने खुद ही जुगाड़ कर दरवाजा लगाया है और शौचालय का उपयोग कर रही है.
सरकारी योजनाओं का हो रहा बंदरबाट
ठंड के महीने में महिला घर के बाहर बरामदे में किसी तरह रहकर अपना गुजर-बसर कर रही है. महिला ने बताया कि बरसात के दिन में पूरा छत से पानी टपकता था. मजबूरन अपनी जवान बेटियों के कारण वह किसी दूसरे मकान में भी नहीं जा पा रही है. सरकारी योजना का बंदरबांट हो रहा है और जरुरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.
स्थानीय मुखिया ने नहीं ली सुध
इस पूरे मामले में ईटीवी भारत ने स्थानीय मुखिया और उनके पति/प्रतिनिधि गंगाधर राय से बात करने की कोशिश की लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद वो सामने नहीं आए. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि सरकारी योजना आखिर किसके लिए बनाई जाती है और जो जरूरतमंद लोगों को योजना का लाभ ना मिलकर, संपन्न लोगों को इसका लाभ मिल रहा है. इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की जरुरत है.