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पूर्व महापौर ने पानी कनेक्शन शुल्क में बढ़ोतरी का किया विरोध, उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

धनबाद में पूर्व महापौर चंद्रशेखर अग्रवाल ने सोमवार को निवर्तमान पार्षदों के साथ उपायुक्त से मुलाकात की. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से जल संयोजन शुल्क में की गई बढ़ोतरी का विरोध किया. उन्होंने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर कनेक्शन शुल्क खत्म करने की मांग की.

Former mayor of dhanbad opposed to increasing water connection fee
पूर्व महापौर ने पानी कनेक्शन शुल्क में बढ़ोतरी का किया विरोध
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Published : Jan 18, 2021, 10:27 PM IST

धनबादः पूर्व महापौर चंद्रशेखर अग्रवाल ने सोमवार को निवर्तमान पार्षदों के साथ उपायुक्त से मुलाकात की. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से जल संयोजन शुल्क में की गई बढ़ोतरी का विरोध किया और उपायुक्त उमा शंकर सिंह को ज्ञापन सौंपा.

उपायुक्त को ज्ञापन सौंपने के बाद पूर्व महापौर ने कहा कि गत 31 दिसंबर 2020 को नगर विकास विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर राज्य में जल संयोजन शुल्क में भारी बढ़ोतरी की गई है. यह मध्यम वर्गीय परिवार पर बोझ के समान है. उन्होंने कहा कि नए नियम के अनुसार अब एक हजार वर्गफीट तक के क्षेत्रफल वाले आवास में वॉटर कनेक्शन लेने पर ₹7000 और एक हजार से अधिक पर ₹14000 का शुल्क निर्धारित किया गया है. वहीं कमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए ₹26 प्रति स्क्वायर फीट की दर निर्धारित की गई है, जो लाखों रुपये तक जा सकती है.


ये भी पढ़ें-झारखंड के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी, कैसे सुधरेगी उच्च शिक्षा की स्थिति ?


पूर्व महापौर ने जल संयोजन(कनेक्शन) को निशुल्क करने की मांग की. नए नियम के लागू होने से वाटर मीटर नहीं लगाने से 6 माह में जल संयोजन स्वतः अवैध करने को भी गलत ठहराया और कहा कि लोगों को पहले नियम की जानकारी दी जाए और एक-एक उपभोक्ता को सूचना प्राप्त हो जाने के पश्चात 6 माह का समय दिया जाय. बिजली विभाग की तरह वाटर मीटर को सर्टिफाई किया जाए, पानी नहीं मिलने पर उसकी जवाबदेही तय की जाए, जिन घरों में पानी की बोरिंग है वहां नगर निगम के द्वारा जलापूर्ति नहीं करने के निर्णय को गलत ठहराया और इसका विरोध किया. ज्ञापन सौंपते समय पूर्व महापौर चंद्रशेखर अग्रवाल के साथ निवर्तमान वार्ड पार्षद प्रिया रंजन कुमार, राकेश राम, निर्मल मुखर्जी, संजय यादव, अंडेला देवी, कुमार कौशल भी शामिल थे.

धनबादः पूर्व महापौर चंद्रशेखर अग्रवाल ने सोमवार को निवर्तमान पार्षदों के साथ उपायुक्त से मुलाकात की. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से जल संयोजन शुल्क में की गई बढ़ोतरी का विरोध किया और उपायुक्त उमा शंकर सिंह को ज्ञापन सौंपा.

उपायुक्त को ज्ञापन सौंपने के बाद पूर्व महापौर ने कहा कि गत 31 दिसंबर 2020 को नगर विकास विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर राज्य में जल संयोजन शुल्क में भारी बढ़ोतरी की गई है. यह मध्यम वर्गीय परिवार पर बोझ के समान है. उन्होंने कहा कि नए नियम के अनुसार अब एक हजार वर्गफीट तक के क्षेत्रफल वाले आवास में वॉटर कनेक्शन लेने पर ₹7000 और एक हजार से अधिक पर ₹14000 का शुल्क निर्धारित किया गया है. वहीं कमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए ₹26 प्रति स्क्वायर फीट की दर निर्धारित की गई है, जो लाखों रुपये तक जा सकती है.


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पूर्व महापौर ने जल संयोजन(कनेक्शन) को निशुल्क करने की मांग की. नए नियम के लागू होने से वाटर मीटर नहीं लगाने से 6 माह में जल संयोजन स्वतः अवैध करने को भी गलत ठहराया और कहा कि लोगों को पहले नियम की जानकारी दी जाए और एक-एक उपभोक्ता को सूचना प्राप्त हो जाने के पश्चात 6 माह का समय दिया जाय. बिजली विभाग की तरह वाटर मीटर को सर्टिफाई किया जाए, पानी नहीं मिलने पर उसकी जवाबदेही तय की जाए, जिन घरों में पानी की बोरिंग है वहां नगर निगम के द्वारा जलापूर्ति नहीं करने के निर्णय को गलत ठहराया और इसका विरोध किया. ज्ञापन सौंपते समय पूर्व महापौर चंद्रशेखर अग्रवाल के साथ निवर्तमान वार्ड पार्षद प्रिया रंजन कुमार, राकेश राम, निर्मल मुखर्जी, संजय यादव, अंडेला देवी, कुमार कौशल भी शामिल थे.

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