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मुर्दों से पैसे वसूलता अस्पताल ! इलाज के नाम पर पैसे वसूलने का आरोप, जानिए क्या है पूरा माजरा

धनबाद के असर्फी अस्पताल में मरीज के मरने के बाद इलाज के नाम पर तीमारदारों से पैसे ऐंठने का आरोप है. पिछले कई दिनों में दो अलग-अलग मृत मरीजों के परिजनों ने हंगमा कर यह आरोप लगाया गया है कि अस्पताल प्रबंधन उनके मृत मरीज को जिंदा बता उसके इलाज के नाम पर उनसे मोटी रकम लेते रहे. पूरे मामले पर पुलिस सच्चाई जानने में जुटी है.

family uproar in asarfi hospital in dhanbad
मुर्दों से पैसे वसूलता अस्पताल !
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Published : Dec 13, 2020, 12:58 PM IST

Updated : Dec 13, 2020, 9:53 PM IST

धनबादः शहर का असर्फी अस्पताल पिछले दो दिनों से काफी चर्चा में है. दरअसल इस अस्पताल में पिछले दो दिनों के भीतर इस अस्पताल दो मौत हुई और हर मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर यह आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन ने मोटी रकम वसूलने के लिए उनके मृत रिश्तेदार का इलाज करने का बहाना करती रही. जिला प्रशासन ने भी इस अस्पताल की सच्चाई जानने के लिए एक जांच कमिटी गठित कर सच्चाई सामने लाकर दोषियों को कार्रवाई का भरोसा दिया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

पहला मामला

9 दिसंबर को धनबाद के कांड्रा निवासी बिंदु देवी को बेहोशी की हालत में तत्काल असर्फी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया. जहां डॉक्टर्स ने बताया कि मरीज का ब्रेन हेमरेज हो गया है. इसके बाद डॉक्टर्स ने परिजनों को बताया कि ऐसे मामले में ज्यादातर मरीज ठीक हो जाते हैं, पर सही इलाज करना होगा. जिसके बाद परिजन उसके इलाज के लिए तैयार हो गए. मरीज को आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया, जहां उसकी सांसे चलती हुई दिखाई गई. इस बीच अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के इलाज के नाम पर परिजनों से मोटी रकम वसूल ली.

इसके बाद अचानक शुक्रवार यानि 11 दिसंबर को अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि आपका मरीज ठीक है. आप मरीज को घर ले जा सकते हैं. इसके बाद मरीज को एक इंजेक्शन लगाया गया जिससे उसका शरीर गर्म महसूस होने लगा, जैसे ही उसे वेंटिलेटर से हटा कर उन्होंने गाड़ी में रखा, मरीज ने सांस लेना बंद कर दिया. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने तुरंत मरीज को मृत घोषित कर उसका डेथ सर्टिफिकेट जारी कर शव ले जाने को कहा. इसके बाद जब परिजनों ने एंबुलेंस में रखकर मरीज को वेंटिलेटर लगाया तो मरीज फिर से सांस लेता हुआ दिखने लगा. इसपर जब परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से सवाल किया तो उन्होंने बताया कि यह वेंटिलेटर के कारण हो रहा है. जिसके बाद परिजनों को मामला समझते देर नहीं लगी और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर पैसों के लिए मृत मरीज का इलाज करने का आरोप लगा हंगामा करने लगे.

मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह परिजनों को शांत कराया. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. दरअसल शव देखकर पुलिस भी हैरान थी कि वेंटिलेटर पर मृतक किसी जिंदा इंसान जैसा दिख रहा था.

इसे भी पढ़ें- धनबादः DC ने किया प्रेस वार्ता को संबोधित, ई-समाधान पोर्टल के बारे में जानकारी


दूसरा मामला

इसके बाद दूसरे ही दिन यानि कि आज ठीक ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है। दरअसल एक परिवार अस्पताल प्रबंधन पर आज पैसों के लिए उसके मर चुके परिजन का झूठा इलाज करने का आरोप लगा हंगामा करने लगे। इस दौरान मृत मरीज के परिजन ने बताया कि 3 दिसंबर को बरवाअड्डा के लोहारकुली निवासी 38 वर्षीय निर्मला देवी की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें असर्फी अस्पताल में भर्ती कराया था. डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि मरीज का ब्रेन हेमरेज हुआ है. जिसके बाद मोटी रकम जमा करने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को आईसीयू में वेंटिलेटर पर रख उसका इलाज शुरू किया. कुछ दिन ऐसे रखने के बाद शुक्रवार को अस्पताल प्रबंधन ने अचानक बताया कि उनके मरीज की मौत हो चुकी है. जिसके बाद उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके मरीज की मौत पहले ही हो चुकी थी, अस्पताल प्रबंधन ने उनसे मोटी रकम वसूलने की लालच उनके मरीज को वेंटिलेटर पर रख उसे जिंदा बताता रहा. परिजनों धनबाद पुलिस प्रशासन से मामले में जांच की मांग की है.


डीसी ने लिया संज्ञान

वहीं धनबाद के असर्फी अस्पताल से लगातार इस तरह का मामला आता देख धनबाद उपायुक्त ने मामले में संज्ञान लेते हुए इसपर जांच कराने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि वो जल्द ही एक जांच टीम का गठन करेंगे जो पूरे मामले का निष्पक्ष जांच करेगी और जांच में अगर अस्पताल की कार्यशैली संदिग्ध पाई जाती है तो उसपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

जालान अस्पताल पर लगे आरोप

10 दिसंबर को झरिया से राजेंद्र केशरी को जालान अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रविवार सुबह मौत हो गई. इसको लेकर परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर्स ने हार्ट की सर्जरी करने की बात कही और ₹1,77,000 देने की बात कही. साथ ही 50000 का दवा भी लिखा. उसके बाद 12 दिसंबर को उनको घर ले जाने को कहा और रविवार 12 बजे रांची ले जाने की बात कही. परिजनों का दावा है कि इस बीच उनके मरीज की मौत हो चुकी थी. इसके बाद भी डॉक्टर्स ने उन्हें दवा लाने के लिए पर्ची दी. इधर अस्पताल प्रबंधन की ओर से मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया था. जब मरीज के पुत्र और परिजन उनके पास गए तो उन्होंने राजेंद्र को मरा हुआ पाया. जिसके बाद तीमारदारों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और अस्पताल पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया. इस मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन से लगातार बात करने की कोशिश की गई. लेकिन उनसे किसी तरह का संपर्क नहीं हो पाया. इसको लेकर अभी तक अस्पताल प्रबंधन का पक्ष सामने नहीं आया है.

धनबादः शहर का असर्फी अस्पताल पिछले दो दिनों से काफी चर्चा में है. दरअसल इस अस्पताल में पिछले दो दिनों के भीतर इस अस्पताल दो मौत हुई और हर मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर यह आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन ने मोटी रकम वसूलने के लिए उनके मृत रिश्तेदार का इलाज करने का बहाना करती रही. जिला प्रशासन ने भी इस अस्पताल की सच्चाई जानने के लिए एक जांच कमिटी गठित कर सच्चाई सामने लाकर दोषियों को कार्रवाई का भरोसा दिया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

पहला मामला

9 दिसंबर को धनबाद के कांड्रा निवासी बिंदु देवी को बेहोशी की हालत में तत्काल असर्फी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया. जहां डॉक्टर्स ने बताया कि मरीज का ब्रेन हेमरेज हो गया है. इसके बाद डॉक्टर्स ने परिजनों को बताया कि ऐसे मामले में ज्यादातर मरीज ठीक हो जाते हैं, पर सही इलाज करना होगा. जिसके बाद परिजन उसके इलाज के लिए तैयार हो गए. मरीज को आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया, जहां उसकी सांसे चलती हुई दिखाई गई. इस बीच अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के इलाज के नाम पर परिजनों से मोटी रकम वसूल ली.

इसके बाद अचानक शुक्रवार यानि 11 दिसंबर को अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि आपका मरीज ठीक है. आप मरीज को घर ले जा सकते हैं. इसके बाद मरीज को एक इंजेक्शन लगाया गया जिससे उसका शरीर गर्म महसूस होने लगा, जैसे ही उसे वेंटिलेटर से हटा कर उन्होंने गाड़ी में रखा, मरीज ने सांस लेना बंद कर दिया. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने तुरंत मरीज को मृत घोषित कर उसका डेथ सर्टिफिकेट जारी कर शव ले जाने को कहा. इसके बाद जब परिजनों ने एंबुलेंस में रखकर मरीज को वेंटिलेटर लगाया तो मरीज फिर से सांस लेता हुआ दिखने लगा. इसपर जब परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से सवाल किया तो उन्होंने बताया कि यह वेंटिलेटर के कारण हो रहा है. जिसके बाद परिजनों को मामला समझते देर नहीं लगी और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर पैसों के लिए मृत मरीज का इलाज करने का आरोप लगा हंगामा करने लगे.

मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह परिजनों को शांत कराया. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. दरअसल शव देखकर पुलिस भी हैरान थी कि वेंटिलेटर पर मृतक किसी जिंदा इंसान जैसा दिख रहा था.

इसे भी पढ़ें- धनबादः DC ने किया प्रेस वार्ता को संबोधित, ई-समाधान पोर्टल के बारे में जानकारी


दूसरा मामला

इसके बाद दूसरे ही दिन यानि कि आज ठीक ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है। दरअसल एक परिवार अस्पताल प्रबंधन पर आज पैसों के लिए उसके मर चुके परिजन का झूठा इलाज करने का आरोप लगा हंगामा करने लगे। इस दौरान मृत मरीज के परिजन ने बताया कि 3 दिसंबर को बरवाअड्डा के लोहारकुली निवासी 38 वर्षीय निर्मला देवी की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें असर्फी अस्पताल में भर्ती कराया था. डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि मरीज का ब्रेन हेमरेज हुआ है. जिसके बाद मोटी रकम जमा करने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को आईसीयू में वेंटिलेटर पर रख उसका इलाज शुरू किया. कुछ दिन ऐसे रखने के बाद शुक्रवार को अस्पताल प्रबंधन ने अचानक बताया कि उनके मरीज की मौत हो चुकी है. जिसके बाद उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके मरीज की मौत पहले ही हो चुकी थी, अस्पताल प्रबंधन ने उनसे मोटी रकम वसूलने की लालच उनके मरीज को वेंटिलेटर पर रख उसे जिंदा बताता रहा. परिजनों धनबाद पुलिस प्रशासन से मामले में जांच की मांग की है.


डीसी ने लिया संज्ञान

वहीं धनबाद के असर्फी अस्पताल से लगातार इस तरह का मामला आता देख धनबाद उपायुक्त ने मामले में संज्ञान लेते हुए इसपर जांच कराने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि वो जल्द ही एक जांच टीम का गठन करेंगे जो पूरे मामले का निष्पक्ष जांच करेगी और जांच में अगर अस्पताल की कार्यशैली संदिग्ध पाई जाती है तो उसपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

जालान अस्पताल पर लगे आरोप

10 दिसंबर को झरिया से राजेंद्र केशरी को जालान अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रविवार सुबह मौत हो गई. इसको लेकर परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर्स ने हार्ट की सर्जरी करने की बात कही और ₹1,77,000 देने की बात कही. साथ ही 50000 का दवा भी लिखा. उसके बाद 12 दिसंबर को उनको घर ले जाने को कहा और रविवार 12 बजे रांची ले जाने की बात कही. परिजनों का दावा है कि इस बीच उनके मरीज की मौत हो चुकी थी. इसके बाद भी डॉक्टर्स ने उन्हें दवा लाने के लिए पर्ची दी. इधर अस्पताल प्रबंधन की ओर से मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया था. जब मरीज के पुत्र और परिजन उनके पास गए तो उन्होंने राजेंद्र को मरा हुआ पाया. जिसके बाद तीमारदारों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और अस्पताल पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया. इस मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन से लगातार बात करने की कोशिश की गई. लेकिन उनसे किसी तरह का संपर्क नहीं हो पाया. इसको लेकर अभी तक अस्पताल प्रबंधन का पक्ष सामने नहीं आया है.

Last Updated : Dec 13, 2020, 9:53 PM IST
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