धनबाद: कोरोना वायरस के कारण लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. अगर मजदूर वर्गों की बात करें. तो सबसे ज्यादा परेशानी इन्हें ही उठानी पड़ी है. इस वायरस ने पूरे विश्व में मानव जाति की कमर तोड़ कर रख दी. वहीं, कोरोना वायरस के कारण देश में लगाए गए इस लॉकडाउन के कुछ गुड इफेक्ट भी दिखने को मिले हैं. देखिए यह खास रिपोर्ट
कोयलांचल धनबाद का झरिया इलाका देश के सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाता था, लेकिन इस लॉकडाउन में यहां भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. इस लॉकडाउन के कारण प्रकृति को काफी फायदा हुआ है. यहां की नदियों का जल स्वतः ही साफ हो गया है, जबकि पहले करोड़ों खर्च करने के बावजूद भी यहां की नदियां साफ नहीं हो पाई थी.
प्रकृति ने अपने साथ छेड़छाड़ को नहीं किया है बर्दाश्त
पंडित सोमनाथ उपाध्याय का कहना है कि प्रकृति अपने आपको रिचार्ज करती है. अगर प्रकृति का दोहन किया जाए तो प्रकृति अपना संतुलन बनाने के लिए कुछ इस प्रकार का कार्य करती है. जो कभी महामारी, आपदा ऐसी स्थिति में देखने को मिलता है. यही कोरोना के तौर पर भी देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि जब-जब प्रकृति का दोहन होगा. तब-तब इस प्रकार की महामारी और आपदा देखने को मिलेगी. प्रकृति ने कभी भी अपने साथ छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं किया है और न आगे करेगी.
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लोगों ने तोड़ा नशा से नाता
वहीं, इस लॉकडाउन के कुछ बैड इफेक्ट भी देखने को मिले हैं. देश में लगे लॉकडाउन के कारण लोगों के काम धंधे चौपट हो गए. जिसके कारण लोगों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई, लोग खेती की तरफ आकर्षित हुए. इसके साथ ही शराब, पान, खैनी, गुटखा आदि चीजों में भी लॉकडाउन के कारण बंदी देखी गई. बंदी के कारण और लोगों के सामने पैसे नहीं होने के कारण बहुत सारे लोगों ने इस से नाता तोड़ा है यह भी कोरोना वायरस का दूसरा पहलू है.
खेती में आमदनी कम, लेकिन सुकून ज्यादा है
धनबाद में पहले कोयला चोरी कर अपना व्यवसाय चलाने वाले एक व्यक्ति ने बतलाया कि पहले वह साइकिल से कोयला लाकर अपना घर परिवार चला रहे थे. जिससे काफी आमदनी होती थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद यह बंद हो गया. जिसके कारण उन्होंने अपने घर में खेती करना शुरू कर दिया और आज वह खेती कर सब्जी बेचने का काम करते हैं. जिससे भी काफी आमदनी हो रही है. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा अब इसी कार्य को वह करते रहेंगे क्योंकि इसमें थोड़ा कम आमदनी है, लेकिन सुकून ज्यादा है.
लॉकडाउन के कारण छूटी हैं बुरी आदतें
स्थानीय युवा ने बताया कि वह पहले गुटखा खाते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण रोजगार भी छीन गया है और गुटखा भी ज्यादा दाम में बिक रहा है. जिसके कारण वह अब गुटखा खाना छोड़ चुके हैं और लॉकडाउन के बाद भी वह इस बुरी चीज को हाथ नहीं लगाएंगे. उन्होंने कहा कि कारण जो कुछ भी हो लेकिन बुरी आदतें छूटना लाभदायक है.
पर्यावरण में हुआ है काफी सुधार
डॉक्टर बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण पर्यावरण में भी काफी सुधार हुआ है. लोग घरों से निकलना बंद कर चुके हैं. बाजार में निकलकर सड़कों पर खाने वाले सामान भी अब नहीं मिल पा रहे हैं. जिस कारण लोग कम बीमार हो रहे हैं. मेडिकल लाइन के लिए पीक सीजन कहे जाने वाले अप्रैल-मई के महीने में भी लोग बीमार नहीं पड़ रहे हैं और कंपनियां काफी घाटे में चल रही हैं, लेकिन दूसरी तरफ अगर इसे लोगों के स्वास्थ्य से जोड़कर देखा जाए. तो यह राहत भरी बात है.
कोरोना वायरस के हैं दो पहलू
वरिष्ठ पत्रकार पंकज सिन्हा ने कहा कि प्रत्येक चीज के दो पहलू होते हैं. कोरोना वायरस के भी दो पहलू हैं. अगर कुछ या बहुत कुछ परेशानियां इस वायरस के कारण लोगों को उठानी पड़ी है तो दूसरी तरफ लोगों को इससे कुछ फायदा भी हुआ है. इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता.
कोरोना महामारी ने न जाने कितनों के रोजगार को छीन लिया है. अर्थव्यवस्था कब पटरी पर लौटेगी ये बात साफ कहना मुश्किल है, लेकिन इस महामारी ने एक बात साफ कर दी है कि मुश्किल घड़ी में सारी दुनिया एक दूसरे के साथ खड़ी हो कर एक-दूसरे का साथ देने को तैयार है.