निरसा,धनबादः जिला मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर एग्यारकुंड प्रखंड की कालीपहाड़ी पूरब पंचायत के पोराडीह गांव में पेयजल संकट है. यहां ग्रामीण हर दिन सुबह पानी की जद्दोजहद में लगे रहते हैं. आलम यह है कि सुबह उठने के साथ ही गांव के लोग काम की तलाश में नहीं बर्तन लिए पानी की तलाश में भागते रहते हैं.
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प. बंगाल से लाते हैं पीने का पानी
इस इलाके में कुल 210 घर है, जहां की आबादी लगभग एक हजार की है. इस गांव में मंगलमारा, टूनाघोटू, सिंह बस्ती आते हैं. पेट की आग बुझाने से ज्यादा लोग पानी के लिए हर दिन सुबह से ही जद्दोजहद में लगे रहते हैं. हालत ऐसी है कि गांव के कई लोग साफ पानी के लिए पश्चिम बंगाल के डीबुडीह चेक पोस्ट या बराकर नदी तक जाने को मजबूर हैं. गांव के अधिकतर चापाकल, तालाब और डीप बोरिंग सूख चुके हैं. गर्मी की वजह से तमाम जल स्त्रोतों का जल स्तर काफी नीचे चला गया है. लोगों को पानी के लिए कड़ी मेहनत, काफी मशक्कत और घंटों तक इंतजार करता है.
निरसा विधानसभा में है दो-दो डैम
हैरत की बात यह है कि निरसा विधानसभा में मैथन और पंचेत डैम है. इसके बावजूद यहां के कई गांव में पेयजल का संकट है. जबकि डैम का पानी धनबाद के लाखों लोगों की प्यास बुझा रहा है. इन दो डैम के आस-पास के गांवों में अब तक पेयजल की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई है. इसको लेकर ग्रामीणों ने प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक कई आंदोलन किए, पर नतीजा सिफर रहा. गांव के लोगों को जनप्रतिनिधियों से भी सिर्फ आश्वासन मिला, पानी नहीं.
गर्मी की वजह से नीचे चला गया जल स्तर
कालीपहाड़ी पूरब पंचायत के मुखिया सारोथी मरांडी ने कहा कि गर्मी की वजह से सतह तल से पानी 500 से 600 फीट नीचे चला जाता है. जिससे ना तो हैंडपंप, डीप बोरिंग और ना ही कुआं में पानी रहता है. इस बाबत धनबाद सांसद पशुपति नाथ सिंह और निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी को पत्र लिखा गया है. मगर अब तक पेयजल की समस्या को दूर नहीं किया गया. इसको लेकर एग्यारकुंड प्रखंड विकास पदाधिकारी ललित प्रसाद सिंह ने कहा कि मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं आया है, आप के माध्यम से मुझे यह जानकारी मिल रही है. जल्द ही पोराडीह गांव की पेयजल समस्या पर अधिकारियों के साथ बैठक कर इसका हल निकाला जाएगा.
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कालीपहाड़ी पूरब पंचायत से महज 2 किलोमीटर दूर से ही मैथन डैम का पानी बराकर होते हुए गुजरता है. अगर सरकार पेयजल की इस समस्या पर गंभीर हो तो इसका हल किया जा सकता है. ताकि यहां के ग्रामीणों को पानी के लिए जद्दोजहद ना करना पड़े. अब देखना है कि सरकार कब तक इस गांव की समस्या का निदान कर पाती है.