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Dhanbad Panchet Dam: 'गांव में ही मिलता रोजगार तो बेटा आज जिंदा होता' पलायन की समस्या पर छलके मां के आंसू, पढ़िए पूरी खबर - Panchet Dam Employment problem

पंचेत डैम के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा सुनाई है. उनका कहना है कि प्रतिबंधित जाल के प्रयोग से गांव में बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई है. कहा कि गैरकानूनी धंधेबाजों के कारण ग्रामीण पलायन को मजबूर है. जिसमें उनकी जान तक चली जा रही है.

Dhanbad Panchet Dam
पंचेत डैम के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा सुनाई है
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 4, 2023, 4:01 PM IST

Updated : Sep 4, 2023, 10:29 PM IST

देखें पूरी खबर

धनबाद: पंचेत डैम के आस पास गुजर बसर करने वाले एवं मछुआरे इन दिनों अपनी रोजी रोटी की तलाश में पलायन कर रहे हैं. प्रतिबंधित जाल नदी में फेंके जाने के कारण बेरोजगारी की समस्य उतपन्न हो गई हैं. जिसके कारण मछुआरे जिला मत्स्य विभाग से लेकर सरकार तक गुहार लगा चुके हैं. उनका कहना है कि उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला गया है.

ये भी पढ़ें:पंचेत के नेहरू पार्क में छिपा है कई रहस्य, पिकनिक मनाने काफी संख्या में पहुंचते हैं लोग

समस्या का समाधान नहीं होने के कारण ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. उनका कहना है कि अगर समय पर सरकार कार्रवाई की होती तो अपने रोजी रोजगार एवं परिवार के भरण पोषण के लिए ग्रामीण पलायन नहीं करते.

गांव में ही रोजगार होता तो जिंदा होता बेटा: कलियासोल प्रखण्ड कालुबथान ओपी अंर्तगत धोबाड़ी गांव निवसी मछुआरे नटवर धीवर और प्रतिमा धीवर को जवान बेटे को खोना पड़ा. मां प्रतिमा धीवर अपने बेटे की तस्वीर को देखकर याद करते रहती है. धीवर का पुत्र पंचेत डैम में मछली मार कर अपने परिवार को सहारा दिया करता था. उनका कहना है कि जब से डैम में प्रतिबंधित जाल फेके जाने लगी तब से बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई. उसके बाद परिवार के भरण पोषण के लिए बेटा अन्य राज्य चला गया जहां उसकी रहस्मय मौत हो गई. उनका कहना है कि अगर गांव में ही रोजगार होता तो उनका बेटा आज जिंदा होता है.

मछुआरे के समक्ष रोजी रोटी की समस्या: गौरतलब है कि पंचेत डैम के जलाशय में हजारों विस्थापित ग्रामीण मछुआरे सदियों से मछली मारकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे. ग्रामीणों का कहना है कि गैरकानूनी धंधेबाजों ने पंचेत जलाशय में सैकड़ों मछुआरे के समक्ष रोजी रोटी की गंभीर समस्या उत्पन्न कर दी है. गैर कानूनी धंधेबाज लाखों रुपये मूल्य के तीन तरह के प्रतिबंधित जाल (मशहरी जाल, चट जाल, कोचाल जाल) का परिचालन कर मछली का अंडा और छोटा जीरा प्रतिदिन कई क्विंटल की मात्रा में नष्ट कर दे रहे हैं. इसी कारण मछुआरे के सामने बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई.

विस्थापित ग्रामीण मछुआरों ने इन जालों को प्रतिबंधित करने को लेकर झारखंड सरकार के मंत्री बादल पत्रलेख एवं निदेशक मत्स्य के पास गुहार लगाई और मत्स्य निदेशक ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों तरह के जालों को गैर कानूनी एवं प्रतिबंधित घोषित करते हुए धनबाद जिला मत्स्य पदाधिकारी को कार्रवाई हेतु आदेश दिया.

अवैध धंधेबाजों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं: जिला मत्स्य पदाधिकारी ने कागजी तौर पर सरकार के आदेश का अनुपालन कर दिया. ग्रामीणों का कहना है कि अबतक अवैध धंधेबाजों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई. इसके खिलाफ हजारों ग्रामीण महिला पुरुष ने कलियासोल अंचल कार्यालय के समक्ष विशाल प्रदर्शन किया था. प्रशासनिक अधिकारी ने झूठा आश्वासन देकर धरना-प्रदर्शन समाप्त करा दिया गया. अब तक कार्रवाई नहीं हुई. गौरतलब है कि पूर्व उपायुक्त ने जिला मत्स्य पदाधिकारी को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया था. जिसपर मत्स्य विभाग द्वारा माइकिंग के जरिए सूचना दी गई थी कि पंचेत जलाशय में प्रतिबंधित जाल से मछली पकड़ने वाले के विरुद्ध कानूनी कर्रवाई की जाएगी. उनका कहना है कि धरातल पर ऐसा कुछ नहीं हो सका है.

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धनबाद: पंचेत डैम के आस पास गुजर बसर करने वाले एवं मछुआरे इन दिनों अपनी रोजी रोटी की तलाश में पलायन कर रहे हैं. प्रतिबंधित जाल नदी में फेंके जाने के कारण बेरोजगारी की समस्य उतपन्न हो गई हैं. जिसके कारण मछुआरे जिला मत्स्य विभाग से लेकर सरकार तक गुहार लगा चुके हैं. उनका कहना है कि उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला गया है.

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समस्या का समाधान नहीं होने के कारण ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. उनका कहना है कि अगर समय पर सरकार कार्रवाई की होती तो अपने रोजी रोजगार एवं परिवार के भरण पोषण के लिए ग्रामीण पलायन नहीं करते.

गांव में ही रोजगार होता तो जिंदा होता बेटा: कलियासोल प्रखण्ड कालुबथान ओपी अंर्तगत धोबाड़ी गांव निवसी मछुआरे नटवर धीवर और प्रतिमा धीवर को जवान बेटे को खोना पड़ा. मां प्रतिमा धीवर अपने बेटे की तस्वीर को देखकर याद करते रहती है. धीवर का पुत्र पंचेत डैम में मछली मार कर अपने परिवार को सहारा दिया करता था. उनका कहना है कि जब से डैम में प्रतिबंधित जाल फेके जाने लगी तब से बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई. उसके बाद परिवार के भरण पोषण के लिए बेटा अन्य राज्य चला गया जहां उसकी रहस्मय मौत हो गई. उनका कहना है कि अगर गांव में ही रोजगार होता तो उनका बेटा आज जिंदा होता है.

मछुआरे के समक्ष रोजी रोटी की समस्या: गौरतलब है कि पंचेत डैम के जलाशय में हजारों विस्थापित ग्रामीण मछुआरे सदियों से मछली मारकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे. ग्रामीणों का कहना है कि गैरकानूनी धंधेबाजों ने पंचेत जलाशय में सैकड़ों मछुआरे के समक्ष रोजी रोटी की गंभीर समस्या उत्पन्न कर दी है. गैर कानूनी धंधेबाज लाखों रुपये मूल्य के तीन तरह के प्रतिबंधित जाल (मशहरी जाल, चट जाल, कोचाल जाल) का परिचालन कर मछली का अंडा और छोटा जीरा प्रतिदिन कई क्विंटल की मात्रा में नष्ट कर दे रहे हैं. इसी कारण मछुआरे के सामने बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई.

विस्थापित ग्रामीण मछुआरों ने इन जालों को प्रतिबंधित करने को लेकर झारखंड सरकार के मंत्री बादल पत्रलेख एवं निदेशक मत्स्य के पास गुहार लगाई और मत्स्य निदेशक ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों तरह के जालों को गैर कानूनी एवं प्रतिबंधित घोषित करते हुए धनबाद जिला मत्स्य पदाधिकारी को कार्रवाई हेतु आदेश दिया.

अवैध धंधेबाजों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं: जिला मत्स्य पदाधिकारी ने कागजी तौर पर सरकार के आदेश का अनुपालन कर दिया. ग्रामीणों का कहना है कि अबतक अवैध धंधेबाजों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई. इसके खिलाफ हजारों ग्रामीण महिला पुरुष ने कलियासोल अंचल कार्यालय के समक्ष विशाल प्रदर्शन किया था. प्रशासनिक अधिकारी ने झूठा आश्वासन देकर धरना-प्रदर्शन समाप्त करा दिया गया. अब तक कार्रवाई नहीं हुई. गौरतलब है कि पूर्व उपायुक्त ने जिला मत्स्य पदाधिकारी को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया था. जिसपर मत्स्य विभाग द्वारा माइकिंग के जरिए सूचना दी गई थी कि पंचेत जलाशय में प्रतिबंधित जाल से मछली पकड़ने वाले के विरुद्ध कानूनी कर्रवाई की जाएगी. उनका कहना है कि धरातल पर ऐसा कुछ नहीं हो सका है.

Last Updated : Sep 4, 2023, 10:29 PM IST
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