ETV Bharat / state

1984 की भयावह घटना आज तक नहीं भुल पाया धनबाद, सुनिए लोगों की दर्द भरी दास्तां - 31 अक्टूबर 1984 में धनबाद में दंगा

31 अक्टूबर 1984 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी. हत्या के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक दंगा फैल गई थी. इस दंगे में एक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था. इस दंगे का गवाह धनबाद भी बना था. जहां एक समुदाय के लोगों का कत्लेआम हो रहा था. हांलाकि, लोगों ने कहा कि हिंसा कहीं से जायज नहीं है और किसी समस्या का समाधान हिंसा से नहीं हो सकता.

छोटा गुरुद्वारा जोड़ाफाटक
author img

By

Published : Oct 31, 2019, 11:04 PM IST

Updated : Nov 1, 2019, 8:39 AM IST

धनबाद: 31 अक्टूबर के दिन 1984 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी. इंदिरा गांधी की हत्या उनकी सुरक्षा में तैनात लोगों ने की थी. जिसके वजह से पूरे देश में हिंसा फैल गया. इस हिंसा से धनबाद भी अछूता नहीं था.

देखें पूरी खबर

आपको बता दें कि आज भी धनबाद में उस घटना से प्रभावित लोग, घटना को याद कर सिहर जाते हैं. आज जिन लोगों ने ईटीवी भारत से बातचीत की उनकी आंखें नम हो गई और वह उस मंजर को याद भी नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वह एक खौफनाक अंधेरी रात थी और वह अपने गुरु से बस यही प्रार्थना करते हैं कि फिर वह घटना किसी धर्म, समुदाय और व्यक्ति विशेष पर ना आए.

ये भी देखें- 370 ने J-K को अलगाववाद और आतंकवाद के सिवाय कुछ नहीं दिया : PM मोदी

उस घटना के गवाह रहे लोगों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वह घटना याद कर आज भी उनकी रूह कांप जाती है. उस हिंसा से धनबाद भी अछूता नहीं था. एक व्यक्ति की मौत धनबाद में भी हुई थी, जो साइकिल की दुकान चलाता था. इसके साथ ही कई दुकानें लूट ली गई, कई लोगों को अपने बाल, दाढ़ी तक कटवाने पड़ गए थे.

ये भी देखें- बहरागोड़ा सीट पर भाजपा के 3 दावेदार, नए उम्मीदवारों पर भरोसा या पुरानों पर विश्वास

कुछ स्थानीय लोगों ने उस घटना को याद कर बताया कि यह एक पार्टी विशेष का कार्यक्रम था और आज जिसे सजा मिलनी चाहिए थी, वह मुख्यमंत्री बना हुआ है. उन्होंने ईटीवी भारत से खुले शब्दों में कहा कि जो मुख्यमंत्री बने हुए हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए, तभी हमारे मन को शांति मिलेगी. लोगों ने कहा कि कंपनसेशन के नाम पर लोगों के साथ छलावा हुआ है. जिनकी पूरी की पूरी दुनिया उजड़ गई, सारा व्यापार चौपट हो गया उन्हें मात्र हजार, दो हजार रुपए दिए गए, जिसे लोगों ने लिया भी नहीं. कुल मिलाकर लोगों ने कहा कि हिंसा कहीं से भी जायज नहीं है. अगर किसी ने गलती की थी तो निर्दोष लोगों का कत्लेआम कहां तक जायज है.

ये भी देखें- पाकिस्तान: कराची-रावलपिंडी तेजगाम एक्सप्रेस में धमाका, 65 की मौत

आपको बता दें कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हिंसा का दौर पूरे देश में चला था. इसका असर धनबाद में भी था और यहां पर भी लोगों को काफी कुछ सहना पड़ा था. लोग आज उस मंजर को याद कर कांप जाते हैं. उनकी आंखें बात करते-करते नम हो जा रही है. कुल मिलाकर सभी लोगों ने यही कहा कि हिंसा का रास्ता कहीं से सही नहीं है. कुछ लोगों ने अगर गलती की है, तो पूरे धर्म और विशेष समुदाय को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. खासकर हमारे लोगों ने देश की सेवा की है और आज अपने बलबूते उस घटना को भुलाकर सभी लोग अपने पैरों पर खड़े हैं.

धनबाद: 31 अक्टूबर के दिन 1984 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी. इंदिरा गांधी की हत्या उनकी सुरक्षा में तैनात लोगों ने की थी. जिसके वजह से पूरे देश में हिंसा फैल गया. इस हिंसा से धनबाद भी अछूता नहीं था.

देखें पूरी खबर

आपको बता दें कि आज भी धनबाद में उस घटना से प्रभावित लोग, घटना को याद कर सिहर जाते हैं. आज जिन लोगों ने ईटीवी भारत से बातचीत की उनकी आंखें नम हो गई और वह उस मंजर को याद भी नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वह एक खौफनाक अंधेरी रात थी और वह अपने गुरु से बस यही प्रार्थना करते हैं कि फिर वह घटना किसी धर्म, समुदाय और व्यक्ति विशेष पर ना आए.

ये भी देखें- 370 ने J-K को अलगाववाद और आतंकवाद के सिवाय कुछ नहीं दिया : PM मोदी

उस घटना के गवाह रहे लोगों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वह घटना याद कर आज भी उनकी रूह कांप जाती है. उस हिंसा से धनबाद भी अछूता नहीं था. एक व्यक्ति की मौत धनबाद में भी हुई थी, जो साइकिल की दुकान चलाता था. इसके साथ ही कई दुकानें लूट ली गई, कई लोगों को अपने बाल, दाढ़ी तक कटवाने पड़ गए थे.

ये भी देखें- बहरागोड़ा सीट पर भाजपा के 3 दावेदार, नए उम्मीदवारों पर भरोसा या पुरानों पर विश्वास

कुछ स्थानीय लोगों ने उस घटना को याद कर बताया कि यह एक पार्टी विशेष का कार्यक्रम था और आज जिसे सजा मिलनी चाहिए थी, वह मुख्यमंत्री बना हुआ है. उन्होंने ईटीवी भारत से खुले शब्दों में कहा कि जो मुख्यमंत्री बने हुए हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए, तभी हमारे मन को शांति मिलेगी. लोगों ने कहा कि कंपनसेशन के नाम पर लोगों के साथ छलावा हुआ है. जिनकी पूरी की पूरी दुनिया उजड़ गई, सारा व्यापार चौपट हो गया उन्हें मात्र हजार, दो हजार रुपए दिए गए, जिसे लोगों ने लिया भी नहीं. कुल मिलाकर लोगों ने कहा कि हिंसा कहीं से भी जायज नहीं है. अगर किसी ने गलती की थी तो निर्दोष लोगों का कत्लेआम कहां तक जायज है.

ये भी देखें- पाकिस्तान: कराची-रावलपिंडी तेजगाम एक्सप्रेस में धमाका, 65 की मौत

आपको बता दें कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हिंसा का दौर पूरे देश में चला था. इसका असर धनबाद में भी था और यहां पर भी लोगों को काफी कुछ सहना पड़ा था. लोग आज उस मंजर को याद कर कांप जाते हैं. उनकी आंखें बात करते-करते नम हो जा रही है. कुल मिलाकर सभी लोगों ने यही कहा कि हिंसा का रास्ता कहीं से सही नहीं है. कुछ लोगों ने अगर गलती की है, तो पूरे धर्म और विशेष समुदाय को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. खासकर हमारे लोगों ने देश की सेवा की है और आज अपने बलबूते उस घटना को भुलाकर सभी लोग अपने पैरों पर खड़े हैं.

Intro:धनबाद: आज 31 अक्टूबर है और आज एक आज के ही दिन 31 अक्टूबर 1984 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी. इंदिरा गांधी की हत्या में उनकी सुरक्षा में तैनात ईसाई समुदाय के लोगों ने उनकी हत्या की थी.जिसके वजह से पूरे देश में ईसाई लोगों के खिलाफ गुस्सा फैल गया और एक हिंसा का दौर चल पडा था धनबाद भी इससे अछूता नहीं था था.


Body:आपको बता देते आज भी धनबाद में उस घटना से प्रभावित लोग उस घटना को याद कर सिहर जाते हैं. आज जिन लोगों ने ईटीवी भारत से बातचीत की उनकी आंखें नम हो गई और वह उस मंजर को याद करना नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा कि वह एक खौफनाक अंधेरी रात थी. जिसे अब वह याद करना नहीं चाहते और वह अपने गुरु से बस यही प्रार्थना करते हैं कि फिर वह घटना किसी धर्म,समुदाय,व्यक्ति विशेष को वही मंजर नहीं दिखाएं.

उस घटना के गवाह रहे बहुत लोगों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बतलाया कि वह घटना याद कर आज भी रूह कांप जाती है. उस हिंसा से धनबाद भी अछूता नहीं था. एक व्यक्ति की मौत धनबाद में भी हुई थी जो साइकिल की दुकान चलाता था. और कई दुकानें लूट ली गई कई लोगों को अपने बाल, दाढ़ी तक कटवाने पड़ गए वह खौफनाक मंजर अब यह लोग याद नहीं करना चाहते हैं.

कुछ स्थानीय लोगों ने उस घटना को याद कर बतलाया कि यह एक पार्टी विशेष का कार्यक्रम था और आज जिसे सजा मिलनी चाहिए थी वह मुख्यमंत्री बना हुआ है उन्होंने ईटीवी भारत से खुले शब्दों में कहा कि कमलनाथ जो मुख्यमंत्री बने हुए हैं उन्हें और जगदीश टाइटलर को सजा मिलनी चाहिए तभी हमारी मन को शांति मिलेगी. लोगों ने कहा कि कंपनसेशन के नाम पर भी लोगों के साथ छलावा हुआ है जिनकी पूरी की पूरी दुनिया उजड़ गई सारा व्यापार चौपट हो गया उन्हें मात्र हजार,दो हजार रुपये दिया गया जो लोगों ने लिया भी नहीं.

कुल मिलाकर लोगों ने कहा कि हिंसा कहीं से भी जायज नहीं है. अगर किसी ने गलती की थी तो निर्देश निर्दोष लोगों का कत्लेआम कहां तक जायज है. ईसाई धर्म के लोगों ने कहा ऊपर वाले यह घटना किसी धर्म समुदाय के लोगों को मत दिखाएं.



Conclusion:यहां आपको बता दें कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हिंसा का जो दौर पूरे देश में चला था धनबाद भी इससे अछूता नहीं था और यहां पर भी ईसाई धर्म के लोगों को काफी कुछ सहना पड़ा था. लोग आज उस मंजर को याद कर कांप जाते हैं उनकी रूह कांप जा रही है. उनकी आंखें बात करते-करते नाम हो जा रही है .कुल मिलाकर सभी लोगों ने यही कहा कि हिंसा का रास्ता कहीं से सही नहीं है कुछ लोगों ने अगर कुछ गलती की है तो पूरे धर्म और विशेष समुदाय को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. खासकर ईसाई धर्म के लोगों ने देश की सेवा की है और आज अपने बलबूते उस घटना को बुलाकर सभी लोग अपने पैरों पर खड़े हैं सरकार ने भी बहुत कुछ मदद नहीं किया है.

बाइट
1. अमरजीत सिंह दुआ-महासचिव छोटा गुरुद्वारा जोड़ाफाटक
2. राजेंद्र सिंह-स्थानीय निवासी चश्मदीद
3. अमरजीत सिंह- मैनेजर छोटा गुरुद्वारा जोड़ाफाटक
4. जगदीश सिंह- स्थानीय निवासी चश्मदीद- कमलनाथ और टाइटलर पर लगाया आरोप
5.दलवीर कौर- स्थानीय महिला
Last Updated : Nov 1, 2019, 8:39 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.