धनबाद: भारत सरकार की अति महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कार्य चल रहा है. बीते बजट में वित्त मंत्री के अनुदान की घोषणा के बाद इस कॉरिडोर को एक बार फिर से संजीवनी मिल गई है.
धनबाद रेल मंडल में भी अधिकारियों का हौसला बढ़ा है और कोयलांचलवासियों को भी फ्रेट कॉरिडोर के शुरू होने से काफी उम्मीद है. अगर सब कुछ सही रहा तो कुछ वर्षों में डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का कार्य धरातल पर भी देखने को मिलेगा.
सबसे सस्ता मार्ग जलमार्ग होता है फिर रेल मार्ग और अंतिम में सड़क मार्ग का नंबर आता है लोगों ने बताया कि फ्रेट कॉरिडोर के धरातल पर आने के बाद सड़क मार्ग से व्यापार करने वाले व्यापारियों का भी रुझान रेल मार्ग की ओर बढ़ेगा.
गौरतलब है कि वर्षों से ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कार्य चल रहा है, हालांकि स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की तरह सभी क्षेत्रों में इसका निर्माण कार्य चल रहा है. पहले फेज में सोननगर से नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो तक कार्य किया जाना है. वहीं दूसरे फेज में गोमो से पश्चिम बंगाल के दानकुनी तक निर्माण कार्य होगा. ईटीवी भारत से बात करते हुए धनबाद के सीनियर डीसीएम एके पांडेय ने कहा कि जमीन अधिग्रहण का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है.
हटाया जा रहा अतिक्रमण
रेलवे की जमीनों से अतिक्रमण भी हटाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अतिक्रमण हटाने का कार्य सिर्फ डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए ही नहीं यह एक अलग प्रक्रिया है, लेकिन कॉरिडोर के लिए भी अतिक्रमण हटाओ अभियान शामिल है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए सीनियर डीसीएम एके पांडेय ने बताया कि कॉरिडोर निर्माण कार्य पूरा होने से रेलवे के माल ढुलाई क्षमता में काफी वृद्धि होगी. लगभग दोगुनी क्षमता से माल ढुलाई हो सकेगी, जिससे रेलवे को काफी आमदनी भी होगी. साथ ही साथ उन्होंने बताया कि मालगाड़ी के लिए अलग ट्रैक होने के कारण सवारी गाड़ियों की लेटलतीफी से भी लोगों को राहत मिलेगी.
उन्होंने कहा कि अक्सर मालगाड़ी के कारण ही सवारी गाड़ी परिचालन में बाधा उत्पन्न होती है लेकिन दोनों का अलग-अलग ट्रैक होने से दोनों को ही लाभ होगा. फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण कार्य को लेकर यह भी कयास लगाया जा रहा है कि धनबाद रेलवे स्टेशन के अगले हिस्से को तोड़ना पड़ेगा.
रेलवे के लिए वरदान साबित होगा
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह कोई जरूरी नहीं है कि स्टेशन को तोड़ा ही जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो कहीं-कहीं फ्रेट कॉरिडोर को अंडरग्राउंड भी निकाला जा सकता है.
उन्होंने बताया कि गोमो से धनबाद, प्रधानखांटा स्टेशन होते हुए यह पश्चिम बंगाल के दानकुनी तक चला जाएगा. उन्होंने बताया कि बजट में अनुदान की घोषणा के बाद इसके निर्माण कार्य में और भी तेजी आएगी. फ्रेट कॉरिडोर आने वाले दिनों में रेलवे के लिए वरदान साबित होगा.
गौरतलब है कि विगत 1 फरवरी को बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगभग 13,000 करोड़ के अनुदान से ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण कार्य की घोषणा के बाद ECR में उच्चस्तरीय बैठकों का दौर लगातार जारी है.
इसी क्रम में आगामी 17 फरवरी को पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक धनबाद रेल मंडल के दौरे पर भी रहेंगे निरीक्षण के दौरान धनबाद में EDFC की प्रगति की भी समीक्षा करेंगे.
बता दें कि ईस्टन डीएफसी के पहले पेज में सोन नगर से नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो खंड का काम इसी साल शुरू किया जाएगा.
यह काम पीपीपी मोड पर किया जाना है. पहले फेज में 263 किलोमीटर लंबा रेल लाइन का काम तीव्र गति से किया जाना है. वहीं दूसरे फेज में हावड़ा के दानकुनी से गोमो तक इसका विस्तार होगा. रेलवे की कमाई माल ढुलाई पर ही निर्भर है
लेकिन सवारी गाड़ियों के चलते मालगाड़ी को जहां-तहां रोक दिया जाता था जिससे माल ढुलाई में काफी कठिनाइयां सामने आते थे लेकिन फ्रेट कॉरिडोर के बन जाने से दोनों लाइन अलग होगी एक तरफ जहां सवारी गाड़ी अपने समय पर चलेगी वही माल ढुलाई में भी समय और लागत दोनों की ही बचत होगी.
पत्रकार मृत्युंजय पाठक का कहना है कि डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के बनने से लोगों को काफी राहत मिलेगी. सवारी गाड़ियां समय पर चलेंगी और सवारी गाड़ियों के विलंब से चलने का लंबा सिलसिला जो चला रहा है उस पर काफी हद तक लगाम लग जाएगी.
वहीं दूसरी तरफ धनबाद एक खनिज क्षेत्र है यहां के कोयला को दूसरे राज्यों या फिर विदेशों तक भेजने में भी आसानी होगी. साथ ही साथ यहां के किसान भी अपने पैदावार को दूसरे राज्यों तक समय पर पहुंचा सकेंगे साथ ही साथ रोजगार भी बढ़ेंगे.
यह भी पढ़ेंः पूर्व सैनिकों ने की JPSC में आरक्षण की मांग, कर्नल जेके सिंह ने दिया आश्वासन
जीटा(JITA) झारखंड इंडस्ट्रीज ट्रेड एसोसिएशन के महासचिव राजीव शर्मा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सबसे सस्ता मार्ग जलमार्ग होता है उसके बाद रेल मार्ग फिर सड़क मार्ग का नंबर आता है.
वास्तव में डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण से सभी वर्गों को राहत मिलेगी. सवारी गाड़ियों के समय पर चलने से इसका तत्काल फायदा आम लोगों को मिलेगा वहीं अलग ट्रैक होने के कारण माल ढुलाई में आसानी होगी.
इससे लागत और समय दोनों की बचत होगी, लेकिन उन्होंने कहा कि फ्रेट कॉरिडोर निर्माण कार्य में लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर एक यार्ड का निर्माण होना चाहिए जिससे छोटे छोटे व्यवसाई भी इस निर्माण कार्य का लाभ ले सकें. साथ ही सभी बड़े स्टेशनों से एक बोगी भी जोड़नी चाहिए अगर ऐसा भविष्य में होता है तो वास्तव में यह कॉरिडोर लाइफ लाइन साबित होगी.