धनबाद: बीसीसीएल की पूर्वी झरिया क्षेत्र के आउटसोर्सिंग भौरा 4ए पैच परियोजना कार्य को बंद करा रैयतों ने ट्रांसपोर्टिंग बाधित कर दी. परियोजना के अंदर रैयत प्रदर्शन कर थे. इस दौरान लगातार बम धमाके होने लगे. बम के धमाकों की आवाज सुन ग्रामीणों में भगदड़ मच गई. आंदोलनकारी जान बचाने के लिए मौके से भाग खड़े हुए.
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धमाके को लेकर पुलिस के भी कान खड़े हो गए. पुलिस को भी ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा. पुलिस के द्वारा परियोजना के कैंप में जाकर छानबीन की गई. जिस स्थान पर धमाका हुआ है, उस स्थान पर बम के अवशेष प्राप्त हुए हैं. फिलहाल पुलिस मामले की जांच पड़ताल में जुटी है.
बता दें कि भौरा के आसपास के इलाके के रैयतों ने विस्थापन और मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की थी. इसमें झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति के अध्यक्ष जयराम महतो का संबोधन भी निर्धारित था. लेकिन इसके पहले गुरुवार को जिला प्रशासन के द्वारा आंदोलन स्थल के 500 मीटर क्षेत्रफल की परिधि में तत्काल प्रभाव से अगले आदेश के लिए निषेधाज्ञा लगा दी गई.
जयराम महतो के पहुंचने से पहले ही होने लगे बम धमाके: शुक्रवार के निर्धारित कार्यक्रम को लेकर जयराम महतो पहुंचने वाले थे. रैयत स्थानीय ग्रामीण आंदोलन के लिए परियोजना पहुंच गए थे. धारा 144 लगाने के बाद मजिस्ट्रेट की नियुक्ति में पुलिस बल ने भी निगरानी रखी हुई थी. इसी बीच ग्रामीणों का आंदोलन शुरू हुआ. ग्रामीणों के द्वारा परियोजना कार्य बाधित कर दिया गया. ग्रामीणों ने ट्रांसपोर्टिंग भी रोक दी. रैयत और ग्रामीणों का आंदोलन चल रहा था. इस दौरान ओबी डंप के ऊपर लगातार बम धमाके हुए, जिसके बाद भगदड़ मच गई.
मौके पर नियुक्त मजिस्ट्रेट ने बताया कि काफी जोरदार धमाका हुआ था. धमाके की आवाज सुनकर ग्रामीण इधर-उधर भागने लगे. पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है. ग्रामीणों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे खेमलाल महतो ने कहा कि ग्रामीणों के विस्थापन और मुआवजे की मांग काफी पुरानी है. साल 2021 में रैयतों की 22 एकड़ जमीन पर मुआवजा देने की सहमति बनी थी. जिस पर तत्कालीन डीसी ने रैयतों को मुआवजा देने का निर्देश दिया था. लेकिन साल 2021 से लेकर अब तक बीसीसीएल के साथ ही जिला प्रशासन के कई अधिकारी आए और गए, लेकिन रैयतों की समस्या का समाधान अब तक नहीं हो सका है.
कमरे में बैठकर नहीं करना चाहते वार्ता: उन्होंने कहा कि हम सभी रैयत अधिकारियों के साथ कमरे में बैठकर वार्ता नहीं करना चाहते. पूरी मीडिया के साथ खुले आसमान के नीचे सभी रैयतों के बीच वार्ता चाहते हैं. क्योंकि हर बार अधिकारी मामले को लेकर पल्ला झाड़ लेते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे आंदोलन को गुंडागर्दी के माध्यम से कुचलने का काम किया गया है. जिस कारण बमबाजी की घटना को अंजाम दिया गया है. आंदोलन यहीं खत्म नहीं होगा. पूरे झारखंड में इस आंदोलन की गूंज सुनाई देगी.