धनबाद: झारखंड के धनबाद शहर में इन दिनों जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air quality index in Dhanbad) यानी वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है, शहर के शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में पिछले दो दिनों के अंदर सांस लेने में तकलीफ वाले 12 लोगों की मौत हो गई. शहर के दूसरे अस्पतालों में भी इसी तरह की समस्या वाले कुछ और मरीजों की मौत होने का अंदेशा है.
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प्राय: सभी अस्पतालों में अस्थमा, दमा, निमोनिया और पल्मोनरी डिजीज वाले मरीजों की तादाद में वृद्धि हुई है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संभावना जताई है कि अगले कुछ दिनों तक शहर में एआईक्यू 300 से ऊपर रह सकता है और इसकी वजह से लोगों को सांस लेने जैसी परेशानी हो सकती है. डॉक्टरों ने लोगों को मास्क का इस्तेमाल करने की सलाह दी है.
शहर के मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार, बीते सोमवार और मंगलवार को सांस संबंधी शिकायत को लेकर पहुंचे जिन मरीजों की मौत हुई है, उनमें एतवारी देवी, बांधी मोहन, ब्रह्मदेव महतो, सुरेश्वर महतो, लगनी देवी, अभिजीत कुमार, रामनाथ बांसफोर, नित्या कुमारी, बबलू बिंद, महावीर साव, छोटू गोस्वामी और विजय यादव के नाम शामिल हैं. इनमें से आठ ऐसे थे, जिनकी उम्र 60 साल या इससे अधिक थी. इनमें से किसी का भी कोविड टेस्ट नहीं कराया गया था.
सीनियर माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ जितेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि जाड़े में सांस संबंधी बीमारियों का प्रकोप सामान्य तौर पर बढ़ता है, लेकिन अगर दो दिनों के अंदर इस तरह के लक्षण वाले एक दर्जन मरीजों की मौत हुई है तो इसे लेकर अलर्ट होने की जरूरत है. एयर क्वालिटी इंडेक्स में गिरावट के परिणाम से सर्दी, खांसी, दमा, अस्थमा, ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, आंखों में जलन जैसी बीमारियां बढ़ती हैं.
सनद रहे कि बीते सोमवार को शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 327 मापा गया था. बुधवार को भी दिन के ग्यारह बजे एआईक्यू 311 मापा गया. किसी स्थान का एआईक्यू 300 से अधिक है तो इसे सिवियर कंडीशन माना जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो धुंध की वजह से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. पिछले तीन दिनों से शहर में धुंध और कोहरा छाया है. धुंध होने की वजह से धूलकण आसमान में नहीं जा पाते हैं. इसके साथ ही कोयला खदानों से निकलने वाला धुआं, झरिया की खदानों में लगी आग, खराब सड़कों पर कोयले की ट्रांसपोर्टिग की वजह से उड़ती धूल धनबाद में प्रदूषण के इजाफे की प्रमुख वजहें हैं. शहर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. प्रदूषित हवा सबसे अधिक फेफड़े को प्रभावित करती है.
इनपुट-आईएएनएस