धनबाद: झरिया के घनुडीह स्थित अग्नि प्रभावित और भूधंसान इलाके में लोग रात में अपने घरों में नहीं सो रहें हैं. लोगों में इस बात कि दहशत है कि कहीं उसका घर उसके ऊपर गिर ना जाए. यहां बसे करीब 52 परिवारों की यही स्थित है. क्या बच्चे क्या बड़े सभी घर के बाहर बने पीसीसी सड़क पर सोने को मजबूर हैं.
दहशत में परिवार
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी लोगों को घरों में ही रहने की अपील की जा रही है, लेकिन कई ऐसे परिवार हैं जो घर से बाहर रहने को मजबूर हैं. झरिया का अग्नि प्रभावित और भूधंसान इलाके की ईटीवी भारत की टीम ने रात के 11 बजे के बाद यहां की स्थिति का जायजा लिया. इस मल्लाह बस्ती में करीब 52 परिवार हैं. ये परिवार इन दिनों अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहें हैं. लोगों में दहशत है. घर की दीवारें और आंगन में दरारें पड़ चुकी है. यही कारण है कि लोग रात में अपने घरों के अंदर नहीं सो रहे हैं.
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किसी भी वक्त घर हो सकता है ध्वस्त
लोगों का कहना है कि उनका घर किसी भी वक्त ध्वस्त हो सकता हैं. आंगन में भी दरारें पड़ चुकी है. जिससे जमींदोज होने का खतरा हर समय बना रहता है. बगल में ओपेन कास्ट माइंस के जरिए कोयले उत्खनन किया जा रहा है. आउटसोर्सिंग कंपनी की ओर से हैवी ब्लास्टिंग की जाती है, जिस कारण घरों की आज यह स्थिति हो चुकी है. पुनर्वास के लिए यहां का सर्वे कार्य पूरा किया जा चुका है. लोगों का कहना है कि वो बीसीसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन को कई बार वस्तु स्थिति से अवगत करा चुके हैं, लेकिन लॉकडाउन की बात कहकर पुनर्वास के लिए टालमटोल किया जा रहा है.