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EXCLUSIVE: यहां मौत के साए में जीते हैं 52 परिवार, प्रशासन कर रहा है नजर अंदाज - dhanbad news today

कोरोना के बढ़ते प्रकोप को लेकर सरकार लोगों से लगातार घर से नहीं निकलने की अपील कर रही है, ताकि इसके संक्रमण को कम किया जा सके, लेकिन धनबाद के एक गांव में 52 ऐसे परिवार है, जिसे मजबूरन घर से बाहर सोना पड़ रहा है और प्रशासन तमाशा देख रहा है.

साए में जीता है धनबाद का 52 परिवार
52 families of Dhanbad forced to sleep outside house
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Published : Apr 19, 2020, 6:57 PM IST

धनबाद: झरिया के घनुडीह स्थित अग्नि प्रभावित और भूधंसान इलाके में लोग रात में अपने घरों में नहीं सो रहें हैं. लोगों में इस बात कि दहशत है कि कहीं उसका घर उसके ऊपर गिर ना जाए. यहां बसे करीब 52 परिवारों की यही स्थित है. क्या बच्चे क्या बड़े सभी घर के बाहर बने पीसीसी सड़क पर सोने को मजबूर हैं.

देखें एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

दहशत में परिवार

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी लोगों को घरों में ही रहने की अपील की जा रही है, लेकिन कई ऐसे परिवार हैं जो घर से बाहर रहने को मजबूर हैं. झरिया का अग्नि प्रभावित और भूधंसान इलाके की ईटीवी भारत की टीम ने रात के 11 बजे के बाद यहां की स्थिति का जायजा लिया. इस मल्लाह बस्ती में करीब 52 परिवार हैं. ये परिवार इन दिनों अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहें हैं. लोगों में दहशत है. घर की दीवारें और आंगन में दरारें पड़ चुकी है. यही कारण है कि लोग रात में अपने घरों के अंदर नहीं सो रहे हैं.
ये भी पढ़ें-रांची में एक और कोरोना मरीज की पुष्टि, वेस्टइंडीज का नागरिक है मरीज

किसी भी वक्त घर हो सकता है ध्वस्त

लोगों का कहना है कि उनका घर किसी भी वक्त ध्वस्त हो सकता हैं. आंगन में भी दरारें पड़ चुकी है. जिससे जमींदोज होने का खतरा हर समय बना रहता है. बगल में ओपेन कास्ट माइंस के जरिए कोयले उत्खनन किया जा रहा है. आउटसोर्सिंग कंपनी की ओर से हैवी ब्लास्टिंग की जाती है, जिस कारण घरों की आज यह स्थिति हो चुकी है. पुनर्वास के लिए यहां का सर्वे कार्य पूरा किया जा चुका है. लोगों का कहना है कि वो बीसीसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन को कई बार वस्तु स्थिति से अवगत करा चुके हैं, लेकिन लॉकडाउन की बात कहकर पुनर्वास के लिए टालमटोल किया जा रहा है.

धनबाद: झरिया के घनुडीह स्थित अग्नि प्रभावित और भूधंसान इलाके में लोग रात में अपने घरों में नहीं सो रहें हैं. लोगों में इस बात कि दहशत है कि कहीं उसका घर उसके ऊपर गिर ना जाए. यहां बसे करीब 52 परिवारों की यही स्थित है. क्या बच्चे क्या बड़े सभी घर के बाहर बने पीसीसी सड़क पर सोने को मजबूर हैं.

देखें एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

दहशत में परिवार

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी लोगों को घरों में ही रहने की अपील की जा रही है, लेकिन कई ऐसे परिवार हैं जो घर से बाहर रहने को मजबूर हैं. झरिया का अग्नि प्रभावित और भूधंसान इलाके की ईटीवी भारत की टीम ने रात के 11 बजे के बाद यहां की स्थिति का जायजा लिया. इस मल्लाह बस्ती में करीब 52 परिवार हैं. ये परिवार इन दिनों अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहें हैं. लोगों में दहशत है. घर की दीवारें और आंगन में दरारें पड़ चुकी है. यही कारण है कि लोग रात में अपने घरों के अंदर नहीं सो रहे हैं.
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किसी भी वक्त घर हो सकता है ध्वस्त

लोगों का कहना है कि उनका घर किसी भी वक्त ध्वस्त हो सकता हैं. आंगन में भी दरारें पड़ चुकी है. जिससे जमींदोज होने का खतरा हर समय बना रहता है. बगल में ओपेन कास्ट माइंस के जरिए कोयले उत्खनन किया जा रहा है. आउटसोर्सिंग कंपनी की ओर से हैवी ब्लास्टिंग की जाती है, जिस कारण घरों की आज यह स्थिति हो चुकी है. पुनर्वास के लिए यहां का सर्वे कार्य पूरा किया जा चुका है. लोगों का कहना है कि वो बीसीसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन को कई बार वस्तु स्थिति से अवगत करा चुके हैं, लेकिन लॉकडाउन की बात कहकर पुनर्वास के लिए टालमटोल किया जा रहा है.

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