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कलियुग में जन्मे 'श्रवण कुमार', पढ़ें पूरी कहानी

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Published : Jul 24, 2022, 6:26 PM IST

Updated : Jul 24, 2022, 7:39 PM IST

कन्हाई के जन्म पर बधाई तो बहुत बजती है. लेकिन ऐसे समय में जब घरों में वृद्ध माता-पिता और सास-ससुर का अनादर होता हो तो हमें श्रवण कुमार के किरदार को पढ़ना चाहिए. ऐसा पात्र किताबों में ही नहीं होते..हमारे आसपास भी हैं...बस उन्हें ढूंढ़ने की नजर चाहिए...तो सावन 2022 यानी शिव को प्रिय इस पवित्र महीने में हम आपको ऐसे ही नेक विचार वाले, नेक दिल कलियुग के श्रवण कुमार के बारे में बताने जा रहे हैं..खास बात है कि उनकी पत्नी भी उनकी कहानी की प्रमुख किरदार हैं.. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Shravan Kumar born in Kaliyuga
कलियुग में श्रवण कुमार

देवघरः हिंदू धर्म ग्रंथों में त्रेता युग की कई कहानियां पढ़ी होंगी, जिनमें श्रवण कुमार के अंधे माता-पिता को कांधे पर बिठाकर तीर्थाटन कराने का जिक्र है. लेकिन आइए हम आपको कलियुग के श्रवण कुमार के बारे में बताते हैं. ये हैं जहानाबाद के केवाली के रहने वाले चंदन कुमार जो बूढ़े मां-बाप को कांवड़ से बैद्यनाथ धाम का दर्शन कराने निकले हैं.

ये भी पढ़ें-ये हैं आज के 'श्रवण कुमार', मां-बाप को कांवड़ में बैठाकर चल पड़े 'बाबा' के द्वार

कलियुगी श्रवण कुमार चंदन ने सुल्तानगंज से जलभरा और कावड़ में अपने माता पिता को बैठाकर रविवार को बाबा धाम पहुंचे. इस तरह अकेले पैदल जिस यात्रा को करने में भक्तों के हौसले डिगने लगते हैं, मां-बाप के प्रति श्रद्धा और बाबा बैद्यनाथ की भक्ति के बल पर चंदन ने मां-बाप को कांवड़ में बिठाकर 105 किलोमीटर की कठिन यात्रा पूरी कर डाली. इससे निश्चित ही उन्हें भोलेनाथ की कृपा के साथ, धरती पर ईश्वर के प्रतिनिधि माता-पिता का भी आशीर्वाद मिला होगा.

देखें पूरी खबर

ऐसे आया मन में विचारः रविवार सुबह बाबाधाम पहुंचे चंदन कुमार ने बताया कि हम हर महीने सत्यनारायण व्रत करते हैं और उसी दौरान मन में इच्छा हुई कि माता-पिता को बाबा धाम की पैदल तीर्थ यात्रा कराएं. लेकिन उनके माता-पिता वृद्ध हैं उनसे 105 किलोमीटर की यात्रा करना संभव नहीं था. चंदन ने बताया ये बात मैंने अपनी पत्नी रानी देवी को बताई तो उसने हिम्मत बढ़ाई और इस काम में साथ देने का आश्वासन दिया. इसके बाद हम दोनों ने यह काम करने का संकल्प लिया और इसके लिए माता-पिता की भी अनुमति ली और निकल पड़े कावड़ यात्रा पर.

बहू बनी पति के पुण्य की साझेदारः चंदन कुमार ने बताया कि हम दोनों ने निर्णय लिया था कि माता-पिता को हम कावड़ में बिठाकर आपने कंधे पर कांवड़ लेकर इस यात्रा को पूरी करेंगे. इसके लिए एक मजबूत कांवड़ तैयार कराई और पिछले रविवार को सुल्तानगंज से जल भरकर उस कांवड़ में आगे पिता और पीछे माता को बिठाकर यात्रा शुरू की. कांवड़ यात्रा में पति की साझेदार रानी देवी ने बताया की पति के मन में इच्छा हुई तो मेरा भी इस पवित्र कार्य में भागीदारी करने का मन हुआ. मैं खुश हूं कि अपने सास ससुर को बाबाधाम की यात्रा कराने निकली हूं और लोग भी हमारा हौसला बढ़ा रहे हैं.

देवघरः हिंदू धर्म ग्रंथों में त्रेता युग की कई कहानियां पढ़ी होंगी, जिनमें श्रवण कुमार के अंधे माता-पिता को कांधे पर बिठाकर तीर्थाटन कराने का जिक्र है. लेकिन आइए हम आपको कलियुग के श्रवण कुमार के बारे में बताते हैं. ये हैं जहानाबाद के केवाली के रहने वाले चंदन कुमार जो बूढ़े मां-बाप को कांवड़ से बैद्यनाथ धाम का दर्शन कराने निकले हैं.

ये भी पढ़ें-ये हैं आज के 'श्रवण कुमार', मां-बाप को कांवड़ में बैठाकर चल पड़े 'बाबा' के द्वार

कलियुगी श्रवण कुमार चंदन ने सुल्तानगंज से जलभरा और कावड़ में अपने माता पिता को बैठाकर रविवार को बाबा धाम पहुंचे. इस तरह अकेले पैदल जिस यात्रा को करने में भक्तों के हौसले डिगने लगते हैं, मां-बाप के प्रति श्रद्धा और बाबा बैद्यनाथ की भक्ति के बल पर चंदन ने मां-बाप को कांवड़ में बिठाकर 105 किलोमीटर की कठिन यात्रा पूरी कर डाली. इससे निश्चित ही उन्हें भोलेनाथ की कृपा के साथ, धरती पर ईश्वर के प्रतिनिधि माता-पिता का भी आशीर्वाद मिला होगा.

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ऐसे आया मन में विचारः रविवार सुबह बाबाधाम पहुंचे चंदन कुमार ने बताया कि हम हर महीने सत्यनारायण व्रत करते हैं और उसी दौरान मन में इच्छा हुई कि माता-पिता को बाबा धाम की पैदल तीर्थ यात्रा कराएं. लेकिन उनके माता-पिता वृद्ध हैं उनसे 105 किलोमीटर की यात्रा करना संभव नहीं था. चंदन ने बताया ये बात मैंने अपनी पत्नी रानी देवी को बताई तो उसने हिम्मत बढ़ाई और इस काम में साथ देने का आश्वासन दिया. इसके बाद हम दोनों ने यह काम करने का संकल्प लिया और इसके लिए माता-पिता की भी अनुमति ली और निकल पड़े कावड़ यात्रा पर.

बहू बनी पति के पुण्य की साझेदारः चंदन कुमार ने बताया कि हम दोनों ने निर्णय लिया था कि माता-पिता को हम कावड़ में बिठाकर आपने कंधे पर कांवड़ लेकर इस यात्रा को पूरी करेंगे. इसके लिए एक मजबूत कांवड़ तैयार कराई और पिछले रविवार को सुल्तानगंज से जल भरकर उस कांवड़ में आगे पिता और पीछे माता को बिठाकर यात्रा शुरू की. कांवड़ यात्रा में पति की साझेदार रानी देवी ने बताया की पति के मन में इच्छा हुई तो मेरा भी इस पवित्र कार्य में भागीदारी करने का मन हुआ. मैं खुश हूं कि अपने सास ससुर को बाबाधाम की यात्रा कराने निकली हूं और लोग भी हमारा हौसला बढ़ा रहे हैं.

Last Updated : Jul 24, 2022, 7:39 PM IST
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