देवघर: सावन के महीने में बाबा भोले अपनी तपस्या में लीन होते हैं. ऐसे में अपनी मनोकामनाओं को भोले तक नंदी की सहायता से भेजी जाती है. बता दें कि नंदी भोले के प्रिय हैं, यही वजह है कि माता पार्वती ने भी अपने संदेश को भोले तक पहुंचाने के लिए नंदी के कानों में कही थी और उनका संदेश भोले तक पहुंच गया था.
देवघर में नंदी भोले की मंदिर गर्भ गृह के ठीक बगल में प्रवेश द्वार के पास स्थित है. यहां छोटी बड़ी चार नंदी है जो बाबा भोले के प्रिय ही नहीं, बल्कि इनके वाहन भी है. नंदी इनके द्वार पालक भी कहे जाते हैं. कथाओं में वर्णित है कि सतयुग में भोले बाबा ने नंदी से कहा था कि जब वह ध्यान और तप में रहें तो भक्तों की व्यथा नंदी के कान में कहें. नंदी कान में कहीं बातें मुझ तक पहुंच जाएगी.
जब शिव तप कर रहे थे तो माता पार्वती ने भी नंदी के कानों में अपनी बात कहीं थी और उनकी बात भोले तक पहुंच गयी थी. तब से ये मान्यता है कि नंदी के कान में कुछ भी कहा जाए तो वह बात सीधे भोले तक पहुंच जाती है. भक्त बाबा मंदिर स्थित नंदी बाबा के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं. देवघर बाबा मंदिर में नंदी के कान में बोलने वाले का तांता लगा रहता है.
ये भी पढ़ें-नक्सलियों के शहीद सप्ताह को लेकर प्रशासन सख्त, SSP ने किया औचक निरीक्षण
यूं तो यहां अकसर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन सावन में यहां भक्तों की बेहद भीड़ रहती है. पुजारी कहते हैं कि नंदी बाबा भोले के प्रिय हैं और भोले तक अर्जी पहुंचानी हो तो नंदी से बेहतर कोई विकल्प नहीं है. सावन में अर्घा लगाया जाता है. ऐसे में देवघर मंदिर में भक्तों को बाबा के दर्शन नहीं हो पाते हैं. सावन में भक्त नंदी से अपनी व्यथा और मनोकामनाएं बताते हैं और नंदी भक्तों की आवाज को बाबा भोले तक पहुंचाते हैं.