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ये है भगवान शिव तक अपनी बात पहुंचाने का तरीका, इसी तरीके से माता पार्वती ने भी पहुंचाई थी भोले तक अपनी बात

सावन के महीने में देवघर में शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्त अपनी मनोकामना लेकर बाबा के दरबार में पहुंचते है. यहां सबसे खास बात यह है कि इस महीने में बाबा अपनी तपस्या में लीन रहते है. इस वजह से भक्त अपनी अर्जी नंदी के कान में कह देते हैं. जिससे भक्तों की फरियाद भोले तक पहुंचती है.

भोले तक अपनी बात पहुंचाते भक्त
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Published : Jul 31, 2019, 12:25 PM IST

देवघर: सावन के महीने में बाबा भोले अपनी तपस्या में लीन होते हैं. ऐसे में अपनी मनोकामनाओं को भोले तक नंदी की सहायता से भेजी जाती है. बता दें कि नंदी भोले के प्रिय हैं, यही वजह है कि माता पार्वती ने भी अपने संदेश को भोले तक पहुंचाने के लिए नंदी के कानों में कही थी और उनका संदेश भोले तक पहुंच गया था.

देखें पूरा वीडियो

देवघर में नंदी भोले की मंदिर गर्भ गृह के ठीक बगल में प्रवेश द्वार के पास स्थित है. यहां छोटी बड़ी चार नंदी है जो बाबा भोले के प्रिय ही नहीं, बल्कि इनके वाहन भी है. नंदी इनके द्वार पालक भी कहे जाते हैं. कथाओं में वर्णित है कि सतयुग में भोले बाबा ने नंदी से कहा था कि जब वह ध्यान और तप में रहें तो भक्तों की व्यथा नंदी के कान में कहें. नंदी कान में कहीं बातें मुझ तक पहुंच जाएगी.

जब शिव तप कर रहे थे तो माता पार्वती ने भी नंदी के कानों में अपनी बात कहीं थी और उनकी बात भोले तक पहुंच गयी थी. तब से ये मान्यता है कि नंदी के कान में कुछ भी कहा जाए तो वह बात सीधे भोले तक पहुंच जाती है. भक्त बाबा मंदिर स्थित नंदी बाबा के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं. देवघर बाबा मंदिर में नंदी के कान में बोलने वाले का तांता लगा रहता है.

ये भी पढ़ें-नक्सलियों के शहीद सप्ताह को लेकर प्रशासन सख्त, SSP ने किया औचक निरीक्षण

यूं तो यहां अकसर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन सावन में यहां भक्तों की बेहद भीड़ रहती है. पुजारी कहते हैं कि नंदी बाबा भोले के प्रिय हैं और भोले तक अर्जी पहुंचानी हो तो नंदी से बेहतर कोई विकल्प नहीं है. सावन में अर्घा लगाया जाता है. ऐसे में देवघर मंदिर में भक्तों को बाबा के दर्शन नहीं हो पाते हैं. सावन में भक्त नंदी से अपनी व्यथा और मनोकामनाएं बताते हैं और नंदी भक्तों की आवाज को बाबा भोले तक पहुंचाते हैं.

देवघर: सावन के महीने में बाबा भोले अपनी तपस्या में लीन होते हैं. ऐसे में अपनी मनोकामनाओं को भोले तक नंदी की सहायता से भेजी जाती है. बता दें कि नंदी भोले के प्रिय हैं, यही वजह है कि माता पार्वती ने भी अपने संदेश को भोले तक पहुंचाने के लिए नंदी के कानों में कही थी और उनका संदेश भोले तक पहुंच गया था.

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देवघर में नंदी भोले की मंदिर गर्भ गृह के ठीक बगल में प्रवेश द्वार के पास स्थित है. यहां छोटी बड़ी चार नंदी है जो बाबा भोले के प्रिय ही नहीं, बल्कि इनके वाहन भी है. नंदी इनके द्वार पालक भी कहे जाते हैं. कथाओं में वर्णित है कि सतयुग में भोले बाबा ने नंदी से कहा था कि जब वह ध्यान और तप में रहें तो भक्तों की व्यथा नंदी के कान में कहें. नंदी कान में कहीं बातें मुझ तक पहुंच जाएगी.

जब शिव तप कर रहे थे तो माता पार्वती ने भी नंदी के कानों में अपनी बात कहीं थी और उनकी बात भोले तक पहुंच गयी थी. तब से ये मान्यता है कि नंदी के कान में कुछ भी कहा जाए तो वह बात सीधे भोले तक पहुंच जाती है. भक्त बाबा मंदिर स्थित नंदी बाबा के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं. देवघर बाबा मंदिर में नंदी के कान में बोलने वाले का तांता लगा रहता है.

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यूं तो यहां अकसर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन सावन में यहां भक्तों की बेहद भीड़ रहती है. पुजारी कहते हैं कि नंदी बाबा भोले के प्रिय हैं और भोले तक अर्जी पहुंचानी हो तो नंदी से बेहतर कोई विकल्प नहीं है. सावन में अर्घा लगाया जाता है. ऐसे में देवघर मंदिर में भक्तों को बाबा के दर्शन नहीं हो पाते हैं. सावन में भक्त नंदी से अपनी व्यथा और मनोकामनाएं बताते हैं और नंदी भक्तों की आवाज को बाबा भोले तक पहुंचाते हैं.

Intro:एंकर देवघर दुनिया का दस्तूर है कि अगर आपको आका से बात नही हो रही है तो उनके पिए से बात करके देखिए आपका काम बन जायेगा। भोले के नगरी में भी कुछ ऐसा नही होता भोले के खास सवारी नंदी बाबा को भक्त अपनी अर्जी बाबा भोले तक पहुचाने के लिए नंदी बाबा के कान में अपनी मनोकामना कहते है। और इनकी मान्यता है कि अगर नंदी के कान में अपनी मनोकामना कही जाय तो भोले के पास उनकी फरियाद पहुचती है। और इनकी कामना पूर्ण होती है।


Body:देवघर नंदी बाबा भोले की नगरी में गर्भ गृह के ठीक बगल में प्रवेश द्वार स्थित है। यहाँ छोटी बड़ी चार नंदी है जो बाबा भोले के प्रिय नही बल्कि इनके वाहन भी है नंदी इनके द्वारा पालक भी कहे जाते है कथाओं में वर्णित है कि सतयुग में भोले बाबा ने नंदी से कहा था कि जब मैं ध्यान और तप में राहु तो भक्तो ओर इनसे मिलने वालो की व्यथा आप अपने कान में कहना तुम्हारे कान में कही बाते मेरे तक पहुच जाएगी। माता पार्वती भी जब तप कर रहे थे तो इन्होंने भी नंदि के कान में बात कही थी और इनकी बात भोले तक पहुच गयी थी तब से ये मान्यता है नंदी के कान में कुछ कहा जय तो भोले तक बात पहुच जाती है। बाबा मंदिर स्थित नंदी बाबा के कान में अपनी मनोकामना कहते है देवघर बाबा मंदिर में नंदी के कान में बोलने वाले का तांता लगा रहता है यहां चार छोटी बड़ी नंदी की मूर्ति है जो ठीक मंदिर के प्रवेश द्वार पर है ऐसे तो अन्य दिन में भी यहां भीड़ लगती है लेकिन सावन में यहां भक्तो का तांता लगा रहता है पुजारी कहते है कि नंदी बाबा भोले के पिए है और भोले तक अर्जी पहुचानी हो तो नंदी से बेहतर कोई विकल्प नही है। सावन में अर्घा लगा जाता है ऐसे में देवघर मंदिर में भक्तो के बाबा के दर्शन नही हो पाते ऐसे में सावन में भक्त नंदी से अपनी व्यथा ओर मनोकामनाये बताते है और इनकी मान्यता है कि इनकी आवाज भोले अपने आराध्य देव बाबा भोले तक जरूर पहुचाते है।


Conclusion:बहरहाल,देवघर के नंदी बाबा इन दिनों डिमांड में है और अर्घा सिस्टम लग जाने से इनके डिमांड में ओर बढ़ोतरी हुई है। तो जब भी आप देवघर आये तो नंदी के कान में अपनी बात जरूर रखें भोले आपकी मनोकामना जरूर पूरी करेंगे।

बाइट नवीन बाबा,नंदी पुरोहित बाबा मंदिर।
बाइट भक्त।
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