देवघरः बाबा बैद्यनाथ धाम और भगवान राम का जुड़ाव आज से नहीं त्रेता युग से हैं. ऐसी मान्यता है कि बाबाधाम में पहली कांवर यात्रा भगवान राम ने ही शुरू की थी. बाबाधाम के मंदिर प्रांगण में भगवान राम का भी मंदिर है. 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर देवघर में भी काफी उत्साह है. आस्था में डूबे लोगों की मान्यता है कि भगवान राम का आगमन मानव जाति के समस्त कष्टों को दूर करेगा.
श्लोक से मिलता है प्रमाण
जब भगवान राम का जन्म हुआ था तभी बाबा बैद्यनाथ का भी स्थापना हुई थी और सबसे पहला कांवर यात्रा भगवान राम द्वारा ही किया गया था. जो त्रेता युग से इसकी शुरुआत हुई थी. जो आनंद रामायण में ऐसा आया है. आज भी बाबा मंदिर प्रांगण स्थित राम लक्ष्मण जानकी मंदिर जहां एक श्लोक खुदा हुआ है.
यदा यदा भवेद ग्लानि: स्थाने स्मिन मनुजाधिप:
तदा तदा चवतरेद्राम: कमल लोचन:!!
तीर्थ पुरोहित की मानें तो त्रेता युग की बातों के मुताबिक मनुष्य लोक में जब-जब हानि होगी, तब भगवान राम का आगमन होगा. इस घटना को 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जा रही है, इससे जोड़कर देख रहे हैं कि भगवान राम के आगमन से मानव जाति को कष्ट से मुक्ति मिलेगी.
साक्षात बाबा बैद्यनाथ विराजमान
देवघर जिसे देवों की नगरी कहा जाता है. जहां साक्षात बाबा बैद्यनाथ विराजमान है. जिसे रावण द्वारा स्थापित किया गया है. अपनी कठिन तप से बाबा बैद्यनाथ का शिवलिंग भगवान शिव से वरदान के रूप में पाया था और भगवान विष्णु ने छल से शिवलिंग को लेकर यहां स्थापित कर दिया गया. उसके बाद रावण शिवलिंग को दोबारा लंका ले जाने के लिए यहां के त्रिकूट पर्वत और तपोवन की गुफाओं में घोर तप किया. जिसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं. त्रिकूट पर्वत में रावण द्वारा उतारा गया पुष्पक विमान का प्रमाण भी इस पर्वत पर विद्यमान है.