देवघरः बाबा बैद्यनाथ धाम में महाशिवरात्रि की तैयारियां जोरों पर हैं. इसी कड़ी में पौराणिक परंपरा के अनुसार गुरुवार को बाबा मंदिर के ऊपर लगे पंचशूल को उतारा गया. इस मौके पर मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. पंचशूल को अपने ललाट से स्पर्श करने के लिए भक्त आतुर दिखे. मान्यता है कि इस पंचशूल की पूजा से मानव शरीर में मौजूद पांच विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या का नाश होता है.
शुक्रवार को पूरे विधि-विधान से वापस पंचशूल को लगाया जाएगा शिखर परः आपको बता देते हैं कि बाबा मंदिर के शिखर पर लगे पंचशूल को गुरुवार को उतार लिया गया है और शिवरात्रि के एक दिन पहले यानी शुक्रवार को पूरे विधि विधान से माता पार्वती मंदिर के शिखर से उतारे गये पंचशूल को साथ जोड़कर इसकी पूजा अर्चना की जाएगी. उसके बाद फिर से पंचशूल को वापस शिखर पर स्थापित कर दिया जाएगा. इसके साथ ही बाबा मंदिर और पार्वती मंदिर के बीच में जो लाल कपड़े और लाल सूत का जो गठबंधन होता है उसे भी खोल दिया गया. शुक्रवार को पंचशूल की पुनः स्थापना के बाद इस गठबंधन को भी फिर से लगा दिया जाएगा.
उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने दी जानकारीः देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री पंचशूल को शिखर पर से नीचे लाने के दौरान मंदिर परिसर में ही मौजूद थे. अत्यधिक भीड़ को देखते हुए उन्होंने सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था कर रखी थी. बाद में मंदिर परिसर स्थित बाबा मंदिर कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि गुरुवार को बाबा मंदिर के शिखर पर लगे पंचशूल को नीचे उतारा गया है. शुक्रवार को पूरे विधि विधान से इसकी पूजा की जाएगी. उसके बाद पुनः इसे मंदिर के शिखर पर स्थापित कर दिया जाएगा. साथ ही गठबंधन को भी जोड़ दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि पूरे भारत में एकमात्र यही ज्योतिर्लिंग है जहां मंदिर के शिखर पर त्रिशूल की जगह पंचशूल है. इसकी वजह है एक तो इस ज्योतिर्लिंग में शिव - पार्वती दोनों विराजमान हैं. यहां जो पंचशूल है वह पृथ्वी, जल, पावक, गगन और समीर इन पांच तत्वों का द्योतक है.