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E nam पोर्टल से देवघर के किसानों को नहीं मिल रहा लाभ, सरकार गंभीर नहीं - connect farmers to market

देवघर में किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले इसके लिए E nam पोर्टल की शुरुआत की गई. इसके तहत किसानों को देश की किसी भी मंडी में अपनी उपज बेचने की सुविधा दी गई है, लेकिन देवघर के किसानों को इसकी जानकारी नहीं हैं.

e-nam portal
किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर E nam पोर्टल के जरिये बाजार से जोड़ने का निर्णय
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Published : Feb 10, 2021, 9:51 PM IST

Updated : Feb 11, 2021, 10:35 PM IST

देवघरः किसानों के लिए बना समृद्ध बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 3 कृषि कानून बनाए हैं जिसका भारी विरोध हो रहा है. दिल्ली में पिछले दो महीनों से किसान धरने पर बैठे हैं. केंद्र सरकार और किसान संगठन के बीच कई दौर ती बातचीत हो चुकी है. दूसरी ओर देश भर के किसानों को एक मंच पर लाने के लिए E nam पोर्टल की शुरुआत की गई. इसका बड़े पैमाने पर किसानों को लाभ मिला है. देश के अनेक किसानों को इससे उम्मीद से बढ़कर आमदनी हुई है.

देखें पूरी खबर

यह भी पढ़ेंः नीरज सिन्हा बने झारखंड के नए DGP, एमवी राव हटाए गए

किसानों की खराब स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा एक अहम फैसला लिया गया है. किसानों की हमेशा से यह शिकायत रहती थी, कि उन्हे उनकी फसल के उचित दाम कभी नहीं मिलते, और इसके अलावा दलालों के माध्यम से बिकी फसल का पैसा भी समय पर नहीं मिला पाता था. लिहाजा किसानों की इसी समस्या को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा E nam पोर्टल की शुरूआत की गई है. इसके माध्यम से किसान आसानी से अपनी फसल को बेच कर उचित दाम हासिल कर सकेंगे.

राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम पोर्टल कोई अन्य बाजार नहीं है, बल्कि यह देश में मौजूदा मंडियों का एक नेटवर्क है, जिसके जरिए किसान और व्यापारी एक दूसरे से फसल खरीदने और बेचने का काम घर बैठे ही कर सकते हैं. इस योजना के तहत किसान अपनी फसल की कीमत कहां सही मिल रही है, यह देख सकते हैं और उसे बेच सकते हैं. बेची गई फसल की धन राशि किसानों के खातो में सीधा ट्रांसफर कर दी जाती है. पोर्टल पर फसल बेचने के लिए किसानों को अपना पंजीकरण कराना होता है.

जानकारी का अभाव

किसान किसी भी राज्य में अपना माल बेच सकते हैं. देश में चल रहे किसान आंदोलन के बीच कम लोगों तक इसकी जानकारी पहुंच पाई है. देवघर जिले की भी कमोवेश यही स्थिति है. या यूं कहें कि इस जिले के किसान इस पोर्टल की सुविधा से वंचित हैं. इसके लिए राज्य सरकार की उदासीनता है.

देवघर बाजार समिति में भी किसानों को E nam की सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी की गई है, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण किसान इसकी सुविधा से वंचित रह गए हैं. स्थानीय किसान इस पोर्टल से जुड़कर अपनी उपज देश की दूसरी मंडियों तक पहुंचाना चाहते हैं. देवघर कृषि बाजार समिति की ओर से वर्ष 2017 में पोर्टल के लिए अलग भवन का निर्माण कर उसे सभी सुविधाओं से लैस किया गया.

यह भी पढ़ेंः बोकारोः पुलिस-नक्सलियों के बीच मुठभेड़, दो जवान घायल

पोर्टल में जुड़ने वाले किसानों और ट्रेडर्स का निबंधन भी किया गया. साथ ही देवघर में पोर्टल के लिए 5 हजार से अधिक किसान और 223 ट्रेडर्स का निबंधन भी किया गया, लेकिन इन किसानों को अब e nam की सुविधा का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. किसानों के हक की लड़ाई लड़ने वाले पर अब खुद किसान सवाल उठा रहे हैं. हालांकि, अधिकारी की ओर से इसे अब गंभीरता से लेकर इसका रिव्यू करने की बात की जा रही है. कृषि बाजार समिति तक किसानों को लाने और यहां उनकी उपज को सुरक्षित रखने सहित तमाम सुविधाओं को फिर से बहाल करने का आश्वाशन दिया जा रहा है.

पढ़ें-सहारनपुर में प्रियंका ने कहा ये राक्षस रूपी कानून किसानों को मार डालेगा

जानकारी के अनुसार साल 2017 तक ई-मंडी से सिर्फ 17 हजार किसान ही जुड़े थे जो पूरे भारत में मौजूद एग्री प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी को एक नेटवर्क में जोड़ने का काम करती है. इसका मकसद एग्रीकल्चर प्रोडक्ट के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार उपलब्ध करवाना है. इससे फायदे को देखते हुए किसान तेजी से इसके साथ जुड़ रहे हैं. नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट के जरिए कृषि उत्‍पादों का अधिक दाम मिलेगा तो 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी भी हो जाएगी.

इंटरनेट से जोड़ी गई हैं मंडियां

ई-नाम के तहत देश के विभिन्‍न राज्‍यों में स्थित कृषि उपज मंडी को इंटरनेट के जरिए जोड़ा गया है. इसका टारगेट यह है कि पूरा देश एक मंडी क्षेत्र बने. जानकारी के अनुसार करीब 585 मंडियां जोड़ी गईं हैं.

देवघरः किसानों के लिए बना समृद्ध बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 3 कृषि कानून बनाए हैं जिसका भारी विरोध हो रहा है. दिल्ली में पिछले दो महीनों से किसान धरने पर बैठे हैं. केंद्र सरकार और किसान संगठन के बीच कई दौर ती बातचीत हो चुकी है. दूसरी ओर देश भर के किसानों को एक मंच पर लाने के लिए E nam पोर्टल की शुरुआत की गई. इसका बड़े पैमाने पर किसानों को लाभ मिला है. देश के अनेक किसानों को इससे उम्मीद से बढ़कर आमदनी हुई है.

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किसानों की खराब स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा एक अहम फैसला लिया गया है. किसानों की हमेशा से यह शिकायत रहती थी, कि उन्हे उनकी फसल के उचित दाम कभी नहीं मिलते, और इसके अलावा दलालों के माध्यम से बिकी फसल का पैसा भी समय पर नहीं मिला पाता था. लिहाजा किसानों की इसी समस्या को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा E nam पोर्टल की शुरूआत की गई है. इसके माध्यम से किसान आसानी से अपनी फसल को बेच कर उचित दाम हासिल कर सकेंगे.

राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम पोर्टल कोई अन्य बाजार नहीं है, बल्कि यह देश में मौजूदा मंडियों का एक नेटवर्क है, जिसके जरिए किसान और व्यापारी एक दूसरे से फसल खरीदने और बेचने का काम घर बैठे ही कर सकते हैं. इस योजना के तहत किसान अपनी फसल की कीमत कहां सही मिल रही है, यह देख सकते हैं और उसे बेच सकते हैं. बेची गई फसल की धन राशि किसानों के खातो में सीधा ट्रांसफर कर दी जाती है. पोर्टल पर फसल बेचने के लिए किसानों को अपना पंजीकरण कराना होता है.

जानकारी का अभाव

किसान किसी भी राज्य में अपना माल बेच सकते हैं. देश में चल रहे किसान आंदोलन के बीच कम लोगों तक इसकी जानकारी पहुंच पाई है. देवघर जिले की भी कमोवेश यही स्थिति है. या यूं कहें कि इस जिले के किसान इस पोर्टल की सुविधा से वंचित हैं. इसके लिए राज्य सरकार की उदासीनता है.

देवघर बाजार समिति में भी किसानों को E nam की सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी की गई है, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण किसान इसकी सुविधा से वंचित रह गए हैं. स्थानीय किसान इस पोर्टल से जुड़कर अपनी उपज देश की दूसरी मंडियों तक पहुंचाना चाहते हैं. देवघर कृषि बाजार समिति की ओर से वर्ष 2017 में पोर्टल के लिए अलग भवन का निर्माण कर उसे सभी सुविधाओं से लैस किया गया.

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पोर्टल में जुड़ने वाले किसानों और ट्रेडर्स का निबंधन भी किया गया. साथ ही देवघर में पोर्टल के लिए 5 हजार से अधिक किसान और 223 ट्रेडर्स का निबंधन भी किया गया, लेकिन इन किसानों को अब e nam की सुविधा का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. किसानों के हक की लड़ाई लड़ने वाले पर अब खुद किसान सवाल उठा रहे हैं. हालांकि, अधिकारी की ओर से इसे अब गंभीरता से लेकर इसका रिव्यू करने की बात की जा रही है. कृषि बाजार समिति तक किसानों को लाने और यहां उनकी उपज को सुरक्षित रखने सहित तमाम सुविधाओं को फिर से बहाल करने का आश्वाशन दिया जा रहा है.

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जानकारी के अनुसार साल 2017 तक ई-मंडी से सिर्फ 17 हजार किसान ही जुड़े थे जो पूरे भारत में मौजूद एग्री प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी को एक नेटवर्क में जोड़ने का काम करती है. इसका मकसद एग्रीकल्चर प्रोडक्ट के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार उपलब्ध करवाना है. इससे फायदे को देखते हुए किसान तेजी से इसके साथ जुड़ रहे हैं. नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट के जरिए कृषि उत्‍पादों का अधिक दाम मिलेगा तो 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी भी हो जाएगी.

इंटरनेट से जोड़ी गई हैं मंडियां

ई-नाम के तहत देश के विभिन्‍न राज्‍यों में स्थित कृषि उपज मंडी को इंटरनेट के जरिए जोड़ा गया है. इसका टारगेट यह है कि पूरा देश एक मंडी क्षेत्र बने. जानकारी के अनुसार करीब 585 मंडियां जोड़ी गईं हैं.

Last Updated : Feb 11, 2021, 10:35 PM IST
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