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देवघर: रीति रिवाज के साथ शीर्ष पर विराजमान किया गया पंचशूल, भारी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

देवघर में महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा मंदिर सहित सभी 22 मंदिरों के शिखर पर लगे पंचशूल को उतार कर उसकी पूजा की जाती है, जिसके बाद महाशिवरात्रि के एक दिन पहले पंचशूल को फिर से शिखर पर स्थापित कर दिया जाता है. पंचशूल को स्पर्श करने के लिए बुधवार को भारी संख्या में भक्त मंदिर में पहुंचे.

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पंचशूल की पूजा
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Published : Mar 10, 2021, 9:28 PM IST

देवघर: शहर में महाशिवरात्रि के अवसर पर मुख्य मंदिर सहित सभी 22 मंदिरों के शिखर पर लगे पंचशूल को उतार कर उसकी पूजा की जाती है और फिर महाशिवरात्रि से एक दिन पहले पुन: पंचशूल को शिखर पर स्थापित कर दिया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. बाबा मंदिर और मां पार्वती मंदिर का पंचशूल उतारने के समय पंचशूका के स्पर्श करने के लिए बुधवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी.

देखें पूरी खबर

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पुरोहित के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बाबा बैद्यनाथ और मां पार्वती मंदिर के शिखर से पंचशूल उतारा जाता है और दूसरे दिन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पूरे वैदिक रीति-रिवाज और मंत्रोच्चारण के साथ इन पंचशूलों की विधिवत पूजा की जाती है. उसके बाद पंचशूल को शिखर पर स्थापित किया जाता है. साल में एक बार सिर्फ महाशिवरात्रि के अवसर पर ही पंचशूल को शिखर से उतार कर पूजा करने की परंपरा है. धार्मिक अनुष्ठान के तौर पर पंचशूल का दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपने को धन्य मानते हैं.

देवघर: शहर में महाशिवरात्रि के अवसर पर मुख्य मंदिर सहित सभी 22 मंदिरों के शिखर पर लगे पंचशूल को उतार कर उसकी पूजा की जाती है और फिर महाशिवरात्रि से एक दिन पहले पुन: पंचशूल को शिखर पर स्थापित कर दिया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. बाबा मंदिर और मां पार्वती मंदिर का पंचशूल उतारने के समय पंचशूका के स्पर्श करने के लिए बुधवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी.

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