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Shravani Mela Deoghar: श्रावण मास का दूसरा पक्ष शुरू होते ही बाबा धाम में उमड़े भक्त, सोमवारी को लेकर प्रशासन चुस्त

मलमास समाप्त होने और सावन का दूसरा पक्ष शुरू होने के साथ ही देवघर श्रावणी मेला की रौनक काफी बढ़ गई है. वहीं सोमवारी को श्रद्धालुओं की भीड़ की संभावना को लेकर प्रशासन भी अलर्ट मोड में है. सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.

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Devotees Increased In Baba Nagri Deoghar
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Published : Aug 20, 2023, 9:34 PM IST

देवघरः श्रावण मास के दूसरे पक्ष में दो सोमवारी पड़ेगी. इसको लेकर देवघर श्रावणी मेला में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है. श्रद्धालु बिहार के सुल्तानगंज से जल उठाकर 105 किलोमीटर कांवर यात्रा करने के बाद बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर पहुंचते हैं. इस वर्ष सावन का महीना दो भागों में विभाजित हो गया है. जिसमें एक पक्ष समाप्त हो गया है और दूसरे पक्ष की शुरुआत हो गई है. इसको लेकर जिला प्रशासन में भी कांवरियों की भीड़ को देखते हुए अपनी तैयारी कर ली है. श्रद्धालुओं को सुलभ और सुरक्षित जलार्पण कराने के लिए प्रशासन की ओर से समुचित व्यवस्था की गई है.

ये भी पढ़ें-Deoghar News: उपायुक्त ने बाबा मंदिर प्रांगण व आसपास के क्षेत्रों का किया निरीक्षण, सुगम जलार्पण जिला प्रशासन के लिए चुनौती

सावन के दूसरे पक्ष की पहली सोमवारी पर विशेष महत्वः वहीं तीर्थ पुरोहितों के अनुसार सावन के दूसरे पक्ष की पहली सोमवारी पर विशेष महत्व है, क्योंकि पहली सोमवारी को ही नाग पंचमी भी है. बैद्यनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित दुर्लभ मिश्रा बताते हैं कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि सोमवार को है. जिसे नाग पंचमी भी कहते हैं. नाग भगवान शिव को अति प्रिय हैं. इस वजह से श्रावन मास में शिव आराधना के साथ नाग देवता की भी पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास शुक्ल पंचमी को नाग देवता की पूजा के साथ भगवान शिव पर दूध से अभिषेक करने से सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं.

नागपंचमी के दिन भोलेनाथ की पूजा करने से मिलता है विशेष फलः तीर्थ पुरोहित दुर्लभ मिश्रा ने कहा कि राजा बासुकी का श्रावण शुक्ल पंचमी को ही प्रादुर्भाव माना जाता है. धर्म शास्त्रों में सर्प को प्रकृति का पूरक माना गया है. यही वजह है कि है कि प्रकृति के पालक भगवान शिव की पूजा के साथ नाग देवता की भी पूजा की जाती है. साथ ही उन्होंने बताया कि नागपंचमी के दिन बाबा बैद्यनाथ को दूध और दही का भोग लगाया जाएगा. श्रद्धालु यदि नागपंचमी को भोलेनाथ को गंगाजल के साथ बेलपत्र, हल्दी मिश्रित दूध, दही अर्पित करेंगे तो उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होगी.

सोमवारी को लेकर तीर्थ पुरोहितों और दुकानदारों में उत्साहः श्रावण मास के शेष बची दो सोमवारी को लेकर तीर्थ पुरोहित और दुकानदारों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है. सावन का दूसरा पक्ष शुरू होने के साथ ही बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है. पुरुषोत्तम मास में श्रद्धालुओं की भीड़ कम थी. उम्मीद जताई जा रही है कि अब पूर्व की भांति श्रावणी मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी.

देवघरः श्रावण मास के दूसरे पक्ष में दो सोमवारी पड़ेगी. इसको लेकर देवघर श्रावणी मेला में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है. श्रद्धालु बिहार के सुल्तानगंज से जल उठाकर 105 किलोमीटर कांवर यात्रा करने के बाद बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर पहुंचते हैं. इस वर्ष सावन का महीना दो भागों में विभाजित हो गया है. जिसमें एक पक्ष समाप्त हो गया है और दूसरे पक्ष की शुरुआत हो गई है. इसको लेकर जिला प्रशासन में भी कांवरियों की भीड़ को देखते हुए अपनी तैयारी कर ली है. श्रद्धालुओं को सुलभ और सुरक्षित जलार्पण कराने के लिए प्रशासन की ओर से समुचित व्यवस्था की गई है.

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सावन के दूसरे पक्ष की पहली सोमवारी पर विशेष महत्वः वहीं तीर्थ पुरोहितों के अनुसार सावन के दूसरे पक्ष की पहली सोमवारी पर विशेष महत्व है, क्योंकि पहली सोमवारी को ही नाग पंचमी भी है. बैद्यनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित दुर्लभ मिश्रा बताते हैं कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि सोमवार को है. जिसे नाग पंचमी भी कहते हैं. नाग भगवान शिव को अति प्रिय हैं. इस वजह से श्रावन मास में शिव आराधना के साथ नाग देवता की भी पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास शुक्ल पंचमी को नाग देवता की पूजा के साथ भगवान शिव पर दूध से अभिषेक करने से सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं.

नागपंचमी के दिन भोलेनाथ की पूजा करने से मिलता है विशेष फलः तीर्थ पुरोहित दुर्लभ मिश्रा ने कहा कि राजा बासुकी का श्रावण शुक्ल पंचमी को ही प्रादुर्भाव माना जाता है. धर्म शास्त्रों में सर्प को प्रकृति का पूरक माना गया है. यही वजह है कि है कि प्रकृति के पालक भगवान शिव की पूजा के साथ नाग देवता की भी पूजा की जाती है. साथ ही उन्होंने बताया कि नागपंचमी के दिन बाबा बैद्यनाथ को दूध और दही का भोग लगाया जाएगा. श्रद्धालु यदि नागपंचमी को भोलेनाथ को गंगाजल के साथ बेलपत्र, हल्दी मिश्रित दूध, दही अर्पित करेंगे तो उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होगी.

सोमवारी को लेकर तीर्थ पुरोहितों और दुकानदारों में उत्साहः श्रावण मास के शेष बची दो सोमवारी को लेकर तीर्थ पुरोहित और दुकानदारों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है. सावन का दूसरा पक्ष शुरू होने के साथ ही बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है. पुरुषोत्तम मास में श्रद्धालुओं की भीड़ कम थी. उम्मीद जताई जा रही है कि अब पूर्व की भांति श्रावणी मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी.

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