देवघर: प्राकृतिक छटाओं से घिरा देवघर जिला जो पहाड़ों, पत्थर और बंजर भूमि और जंगलों से पटा हुआ है. यहां की जमीन औषधीय पेड़-पौधों की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. एलोविरा अश्वगंधा, सतावरी, लेमनग्रास और सफेद मूसली जैसे औषधीय जड़ी बूटियों की खेती होती है. इसको बढ़ावा देने के लिए अश्वन मशीन लगाया गया था, जो 15 साल से बंद पड़ा है, लेकिन भारत सरकार की ओर से दिए गए आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा के बाद से किसानों की उम्मीद बढ़ गई है.
देवघर के त्रिकुट पहाड़, तपोवन पहाड़, डीगरिया पहाड़ सहित कई ऐसे जगह हैं जहां औषधीय जड़ी बूटियों का दुर्लभ भंडार है. त्रिकुट पर्वत डीगरिया पहाड़ के आसपास के क्षेत्रों में औषधीय जड़ी-बूटी पर्याप्त मात्रा में है. पहाड़ों से मिली इन जड़ी बूटियों को बेचकर आज भी सैकड़ों लोग अपना भरण पोषण कर रहे हैं.
15 साल पहले शुरू की गई हर्बल खेती के साथ यहां अश्वन मशीन भी लगाया गया था जो अब शोभा की वस्तु बनी हुई है और किसानों में मायूसी छाई गई थी, लेकिन अब भारत सरकार ने हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए चार हजार करोड़ का राहत पैकेज की घोषणा की है, जिसके बाद औषधीय खेती करने वाला किसानो में एक नई किरण दिखाई दे रहा है. किसान अब हर्बल खेती के साथ स्थाई बाजार की भी मांग कर रहे हैं.
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भारत सरकार की तरफ से राहत पैकेज के एलान के बाद हर्बल खेती करने वाले किसानों में खुशी है. देवघर जिला प्रशाशन भी राज्य सरकार के अनुरूप हर्बल खेती के लिए एक एक्शन प्लान तैयार कर हर्बल खेती की संभावना तलाशने का प्रयास कर रहा है. इसके लिए इन हर्बल प्रोडक्ट का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर इसका स्थाई बाजार विकसित करने की दिशा में भी प्रयास किया जा रहा है.