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देवघर: मत्स्य विभाग की घोर लापरवाही, लाखों की लागत से बनी हैचरी हो रही कबाड़ - देवघर मत्स्य विभाग खबर

देवघर जिले में मत्स्य पालकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जीरा उत्पादन हैचरी बनाया गया है. लेकिन बिना देख रेख के लाखों रुपयों की लागत से बना हैचरी अब कबाड़ होता जा रहा है.

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मत्स्य पालकों की लापरवाही
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Published : Dec 23, 2020, 12:23 PM IST

देवघर: मत्स्य पालकों को आत्मनिर्भर और नए तकनीक के जरिए ज्यादा से ज्यादा मत्स्य उत्पादन के लिए सरकार करोड़ों खर्च कर रही है. मगर मत्स्य विभाग उतना ही लापरवाह दिख रहे है. मत्स्य पालकों को जीरा उत्पादन के लिए जिले में कुल 8 हैचरी लगाया गया है. जिसका कुल लागत कीमत 1 करोड़ 20 लाख है.

देखें पूरी खबर

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मत्स्य पालकों की लापरवाही
जगह-जगह लगाए गए तालाबों में हैचरी तो लगा दिया गया. मगर उसकी देख रेख या फिर मेंटेनेंस की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में करोड़ों की लागत से लगाया गया हैचरी अब कबाड़ में तब्दील हो रहा है. ऐसे में मत्स्य पदाधिकारी से इस संदर्भ में बात चीत की गई तो इन्होंने कहा कि चाहर दिवारी नहीं रहने के कारण चरवाहा लोगों की तरफ से तोड़ दिया जाता है. जीरा उत्पादन के समय ठीक करा दिया जाता है और मत्स्य पालक के समिति को सुपुर्द कर दिया जाता है.

देवघर: मत्स्य पालकों को आत्मनिर्भर और नए तकनीक के जरिए ज्यादा से ज्यादा मत्स्य उत्पादन के लिए सरकार करोड़ों खर्च कर रही है. मगर मत्स्य विभाग उतना ही लापरवाह दिख रहे है. मत्स्य पालकों को जीरा उत्पादन के लिए जिले में कुल 8 हैचरी लगाया गया है. जिसका कुल लागत कीमत 1 करोड़ 20 लाख है.

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मत्स्य पालकों की लापरवाही
जगह-जगह लगाए गए तालाबों में हैचरी तो लगा दिया गया. मगर उसकी देख रेख या फिर मेंटेनेंस की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में करोड़ों की लागत से लगाया गया हैचरी अब कबाड़ में तब्दील हो रहा है. ऐसे में मत्स्य पदाधिकारी से इस संदर्भ में बात चीत की गई तो इन्होंने कहा कि चाहर दिवारी नहीं रहने के कारण चरवाहा लोगों की तरफ से तोड़ दिया जाता है. जीरा उत्पादन के समय ठीक करा दिया जाता है और मत्स्य पालक के समिति को सुपुर्द कर दिया जाता है.

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