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एक शिक्षक जिसने बदल दी स्कूल की तकदीर, अपनी मेहनत से लाखों के लिए बना प्रेरणास्त्रोत

विलियम आर्थर वार्ड ने कभी कहा था कि एक औसत दर्जे का शिक्षक बताता है. एक अच्छा शिक्षक समझाता है. एक बेहतर शिक्षक कर के दिखाता है और एक महान शिक्षक प्रेरित करता है. इस शिक्षक दिवस हम आपको एक ऐसे ही शिक्षक से मिलाने जा रहे हैं जो आज जन-जन के लिए प्रेरणोस्त्रोत बन चुके हैं. वो शिक्षक हैं अरविंद राज जजवाड़े.

राष्ट्रिय पुरस्कार ग्रहण करते अरविंद राज जजवाड़े
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Published : Sep 5, 2019, 12:02 AM IST

देवघर: सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की कहानी तो आप आए दिन देखते-सुनते होंगे. लेकिन यह कहानी जो हम आपको बताने जा रहे हैं, यह कहानी है एक ऐसे सरकारी स्कूल की, जो आज पूरे देश के लिए आदर्श बन चुका है. सरकारी स्कूल और वो भी आदर्श शायद इसकी कल्पना भी हम नहीं करते लेकिन जिद और जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं. अपनी जिद और जुनून से ऐसे ही अकल्पनीय को सच्चाई के धरातल पर उतारा है शिक्षक अरविंद राज जजवाड़े ने और गोपालपुर प्राथमिक विद्यालय की नई इबारत लिख दी.

देखें स्पेशल स्टोरी


रेगिस्तान में ओस की बूंद है स्कूल
अक्टूबर 2009 में अरविंद गोपालपुर प्राथमिक विद्यालय में पदस्थापित हुए थे. वे तभी से विद्यालय की बेहतरी के लिए कुछ न कुछ प्रयास करते रहे. उन्होंने सबसे पहले अपने शिक्षण कौशल से बच्चों की पढ़ाई के स्तर को बेहतर किया. प्रकृति को ही स्कूल की प्रयोगशाला बना दिया. कम संसाधन में बेहतर शिक्षा देने की सोच के तहत उन्होंने बच्चों के सीखने की चीजें आसपास से ही इजाद की. उनके यह प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होंगे. उस समय उनके मन में भी शायद ही यह ख्याल हो, लेकिन उनके इस प्रयोग को देखते हुए स्कूल चले अभियान के क्रम में गोपालपुर पहुंचे झारखंड सरकार के सचिव डॉ नीतिन मदन कुलकर्णी ने स्कूल को रेगिस्तान में ओस की बूंद कहा था.

arvind raj jajwade of deoghar got national teacher award 2017
स्वच्छता में मिला स्कूल को पुरस्कार

यह भी पढ़ें- जसकंडी गांव के ग्रामीणों की अनोखी पहल, वर्षा जल संचयन से बदली गांव की तस्वीर


स्वच्छता के लिए स्कूल को मिला पुरस्कार
शिक्षा का स्तर बेहतर करने के बाद अरविंद राज अपने अगले मिशन में जुट गए. यह मिशन था स्कूल को स्वच्छ और सुंदर बनाने का. इस काम में वे पूरी तरह जी-जान से जुट गए. उनकी मेहनत आखिरकार रंग लाई. वर्ष 2018 में भारत सरकार ने देशभर के लाखों स्कूलों में जिन 52 स्कूलों को स्वच्छता में अव्वल चुना था उसमें गोपालपुर का नाम 23वें स्थान पर था. पूरे राज्य में गैर आवासीय सरकारी प्राथमिक स्कूल में इसने पहला स्थान प्राप्त किया था. स्वच्छता में स्कूल को जो भी पुरस्कार मिले उसमें स्कूल के शौचालय की भूमिका सबसे बड़ी रही. स्कूल में स्वच्छता का आलम यह है कि बड़े से बड़े प्राइवेट स्कूल भी इसके आगे फेल हो जाए. पूरे स्कूल में मार्बल, टाइल्स और हाथ धुलाई की व्यवस्था देखकर आपको यह अहसास ही नहीं होगा कि यह कोई सरकारी स्कूल है. स्कूल की इस बेहतरीन व्यवस्था को देखते हुए यहां के शौचालय को झारखंड सरकार ने अपनी पत्रिका का कवर बनाया था और स्कूल को स्वच्छता के लिए एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार भी दिया गया था.

arvind raj jajwade of deoghar got national teacher award 2017
स्कूल में ऐसी है व्यवस्था


आसान नहीं थी राह
अरविंद जिस रास्ते पर निकल पड़े थे, वह रास्ता आसान नहीं था. स्कूल के सौंदर्यीकरण के लिए अरविंद न केवल डीएसई और पेयजल व स्वच्छता प्रमंडल के जेई, एई और कार्यपालक अभियंता से मिलते थे बल्कि तत्कालीन डीडीसी सुशांत गौरव और डीसी राहुल कुमार सिन्हा के पास भी कई बार अपने प्रोजेक्ट को लेकर मिल चुके थे ताकि सरकारी सहायता मिले तो वे अपने काम को गति दे. स्कूल कार्य को लेकर वे लगातार वरिष्ठ अधिकारियों से मिले और इस प्रकार प्रस्तुति दी कि डीसी और डीडीसी ने डीएमएफटी फंड से स्कूल को छह लाख रुपये दे दिया.


अरविंद राज जजवाड़े को मिला राष्ट्रपति पुरस्कार
स्कूल के प्रति उनके इस समर्पण और इस दूरदर्शिता को देखते हुए अरविंद राज जजवाड़े को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2017 से सम्मानित किया गया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री कार्यालय में उनके प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर पर एक मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखायी गयी. पुरस्कार के तौर पर उन्हें 50 हजार रुपए का चेक, सिल्वर मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया. यह पुरस्कार उन्होंने उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू के हाथों से ग्रहण किया.

यह भी पढ़ें- ना क्लास रूम और ना ही ब्लैक बोर्ड, छात्रावास में पढ़ने को मजबूर हैं यहां की छात्राएं


निकल पड़े हैं नए सफर पर
प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर का कायापलट कर अरविंद अब नए सफर पर निकल पड़े हैं. जनवरी 2019 से उनका तबादला आर मित्रा प्लस 2 स्कूल में हो चुका है. ऐसे में इस स्कूल की बेहतरी के लिए वे नए मिशन में जुट गए हैं. अरविंद अब आर मित्रा में जल्द ही स्मार्ट क्लास शुरू करने की योजना बना रहे हैं. इसे लेकर वे लगातार अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं. इसके साथ ही स्कूल में सालों से बंद पड़े एनसीसी को भी एक बार फिर से शुरू करवाने की मुहिम में जुट गए हैं.

यह भी पढ़ें- स्कूल को बिल्डिंग तक नहीं है नसीब, झोपड़ी में पढ़कर संवार रहे बच्चे अपना भविष्य


आर मित्रा से पास किया था मैट्रिक
अरविंद राज जजवाड़े की पूरी पढ़ाई सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में ही हुई है. उनके पिता भी पेशे से एक शिक्षक ही हैं. अरविंद ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मध्य विद्यालय झौंसागढ़ी से पूरी की है. वहीं 1997 में आर मित्रा प्लस टू विद्यालय से पास किया. उन्होंने इंटर की पढ़ाई एएस कॉलेज से और स्नातक देवघर कॉलेज से पूरी की है.

देवघर: सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की कहानी तो आप आए दिन देखते-सुनते होंगे. लेकिन यह कहानी जो हम आपको बताने जा रहे हैं, यह कहानी है एक ऐसे सरकारी स्कूल की, जो आज पूरे देश के लिए आदर्श बन चुका है. सरकारी स्कूल और वो भी आदर्श शायद इसकी कल्पना भी हम नहीं करते लेकिन जिद और जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं. अपनी जिद और जुनून से ऐसे ही अकल्पनीय को सच्चाई के धरातल पर उतारा है शिक्षक अरविंद राज जजवाड़े ने और गोपालपुर प्राथमिक विद्यालय की नई इबारत लिख दी.

देखें स्पेशल स्टोरी


रेगिस्तान में ओस की बूंद है स्कूल
अक्टूबर 2009 में अरविंद गोपालपुर प्राथमिक विद्यालय में पदस्थापित हुए थे. वे तभी से विद्यालय की बेहतरी के लिए कुछ न कुछ प्रयास करते रहे. उन्होंने सबसे पहले अपने शिक्षण कौशल से बच्चों की पढ़ाई के स्तर को बेहतर किया. प्रकृति को ही स्कूल की प्रयोगशाला बना दिया. कम संसाधन में बेहतर शिक्षा देने की सोच के तहत उन्होंने बच्चों के सीखने की चीजें आसपास से ही इजाद की. उनके यह प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होंगे. उस समय उनके मन में भी शायद ही यह ख्याल हो, लेकिन उनके इस प्रयोग को देखते हुए स्कूल चले अभियान के क्रम में गोपालपुर पहुंचे झारखंड सरकार के सचिव डॉ नीतिन मदन कुलकर्णी ने स्कूल को रेगिस्तान में ओस की बूंद कहा था.

arvind raj jajwade of deoghar got national teacher award 2017
स्वच्छता में मिला स्कूल को पुरस्कार

यह भी पढ़ें- जसकंडी गांव के ग्रामीणों की अनोखी पहल, वर्षा जल संचयन से बदली गांव की तस्वीर


स्वच्छता के लिए स्कूल को मिला पुरस्कार
शिक्षा का स्तर बेहतर करने के बाद अरविंद राज अपने अगले मिशन में जुट गए. यह मिशन था स्कूल को स्वच्छ और सुंदर बनाने का. इस काम में वे पूरी तरह जी-जान से जुट गए. उनकी मेहनत आखिरकार रंग लाई. वर्ष 2018 में भारत सरकार ने देशभर के लाखों स्कूलों में जिन 52 स्कूलों को स्वच्छता में अव्वल चुना था उसमें गोपालपुर का नाम 23वें स्थान पर था. पूरे राज्य में गैर आवासीय सरकारी प्राथमिक स्कूल में इसने पहला स्थान प्राप्त किया था. स्वच्छता में स्कूल को जो भी पुरस्कार मिले उसमें स्कूल के शौचालय की भूमिका सबसे बड़ी रही. स्कूल में स्वच्छता का आलम यह है कि बड़े से बड़े प्राइवेट स्कूल भी इसके आगे फेल हो जाए. पूरे स्कूल में मार्बल, टाइल्स और हाथ धुलाई की व्यवस्था देखकर आपको यह अहसास ही नहीं होगा कि यह कोई सरकारी स्कूल है. स्कूल की इस बेहतरीन व्यवस्था को देखते हुए यहां के शौचालय को झारखंड सरकार ने अपनी पत्रिका का कवर बनाया था और स्कूल को स्वच्छता के लिए एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार भी दिया गया था.

arvind raj jajwade of deoghar got national teacher award 2017
स्कूल में ऐसी है व्यवस्था


आसान नहीं थी राह
अरविंद जिस रास्ते पर निकल पड़े थे, वह रास्ता आसान नहीं था. स्कूल के सौंदर्यीकरण के लिए अरविंद न केवल डीएसई और पेयजल व स्वच्छता प्रमंडल के जेई, एई और कार्यपालक अभियंता से मिलते थे बल्कि तत्कालीन डीडीसी सुशांत गौरव और डीसी राहुल कुमार सिन्हा के पास भी कई बार अपने प्रोजेक्ट को लेकर मिल चुके थे ताकि सरकारी सहायता मिले तो वे अपने काम को गति दे. स्कूल कार्य को लेकर वे लगातार वरिष्ठ अधिकारियों से मिले और इस प्रकार प्रस्तुति दी कि डीसी और डीडीसी ने डीएमएफटी फंड से स्कूल को छह लाख रुपये दे दिया.


अरविंद राज जजवाड़े को मिला राष्ट्रपति पुरस्कार
स्कूल के प्रति उनके इस समर्पण और इस दूरदर्शिता को देखते हुए अरविंद राज जजवाड़े को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2017 से सम्मानित किया गया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री कार्यालय में उनके प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर पर एक मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखायी गयी. पुरस्कार के तौर पर उन्हें 50 हजार रुपए का चेक, सिल्वर मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया. यह पुरस्कार उन्होंने उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू के हाथों से ग्रहण किया.

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निकल पड़े हैं नए सफर पर
प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर का कायापलट कर अरविंद अब नए सफर पर निकल पड़े हैं. जनवरी 2019 से उनका तबादला आर मित्रा प्लस 2 स्कूल में हो चुका है. ऐसे में इस स्कूल की बेहतरी के लिए वे नए मिशन में जुट गए हैं. अरविंद अब आर मित्रा में जल्द ही स्मार्ट क्लास शुरू करने की योजना बना रहे हैं. इसे लेकर वे लगातार अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं. इसके साथ ही स्कूल में सालों से बंद पड़े एनसीसी को भी एक बार फिर से शुरू करवाने की मुहिम में जुट गए हैं.

यह भी पढ़ें- स्कूल को बिल्डिंग तक नहीं है नसीब, झोपड़ी में पढ़कर संवार रहे बच्चे अपना भविष्य


आर मित्रा से पास किया था मैट्रिक
अरविंद राज जजवाड़े की पूरी पढ़ाई सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में ही हुई है. उनके पिता भी पेशे से एक शिक्षक ही हैं. अरविंद ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मध्य विद्यालय झौंसागढ़ी से पूरी की है. वहीं 1997 में आर मित्रा प्लस टू विद्यालय से पास किया. उन्होंने इंटर की पढ़ाई एएस कॉलेज से और स्नातक देवघर कॉलेज से पूरी की है.

Intro:देवघर अब सरकारी स्कूल के छात्रों को भी मिलेगा स्मार्ट क्लास का सपोर्ट, नए मिशन में जुटे राष्ट्रीय अवॉर्ड से सम्मानित शिक्षक।


Body:एंकर देवघर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान के तहत उप राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने वाले झारखंड के देवघर स्थित गोपालपुर के पूर्व शिक्षक अरविंद राज जजवाडे अब नए मिशन में जुट गए हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि, जिस विद्यालय में कार्यरत रहते उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की थी अब वहां से उनका तबादला हो चुका है। ओर आर मित्रा हाई स्कूल में अरविंद राज जजवाडे का तबादला हो गया है जहां से उन्होंने खुद तालीम हासिल की है। इस तबादले से खुश अरविंद राज कहते हैं कि, यह उनके लिए काफी गर्व का विषय है लेकिन, इसके साथ ही उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित इस शिक्षक का मानना है कि, उनका योगदान तभी सफल होगा जब, इस विद्यालय के छात्रों के लिए कुछ नया कर सकें लिहाज़ा, अब उन्होंने देवघर के सबसे प्रतिष्ठित आर मित्रा हाई स्कूल के छात्रों के लिए स्मार्ट क्लास की शुरूआत करने जा रहे हैं साथ ही, सालों से बंद पड़े एनसीसी की भी शुरुवात करवाने जा रहे हैं। अरविंद राज जजवाडे की मानें तो, अगर प्रयास सफल होता है तो, आर मित्रा हाई स्कूल के बच्चे भी स्मार्ट क्लास के ज़रीये न सिर्फ पाठ्यक्रम को समझेंगे बल्कि, एनसीसी के ज़रिए उनके भीतर अनुशासन और देशभक्ति की भावना भी जागृत होगी।


Conclusion:बहरहाल, अपने पूर्व विद्यालय की स्वच्छता के क्षेत्र में राष्ट्रीय पहचान दिलाने और नेशनल अवार्ड हासिल होने से उत्साहित अरविंद राज जजवाडे एक बार फिर नए विद्यालय में नए मिशन पर जुट गए हैं। अब देखना यह है कि, सरकारी स्कूलों की लचर व्यवस्था के बीच वह अपने मिशन में कितना कामयाब हो पाते हैं।

बाइट अरविंद राज जजवाडे, सम्मानित शिक्षक।
बाइट डॉ शंकर प्रसाद,आर मित्रा स्कूल।
बाईट माया कुमारी,गोपालपुर स्कूल।
बाइट बरुन छात्र गोपालपुर।
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