देवघर: मजदूरों और कामगारों की घर वापसी के लिए विशेष ट्रेन और बस की व्यवस्था को लेकर लगातार राजनीति हो रही है. प्रवासी मजदूरों को घरों तक पहुंचाने के सरकारी दावे भी किए जाते रहे हैं. देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी सरकार को मजदूरों को सकुशल घर पहुंचाने का आदेश जारी कर दिए है, लेकिन आज भी प्रवासी मजदूर विवश होकर जुगाड़ के सहारे सपरिवार अपने घरों की ओर कूच करने को मजबूर हैं. देवघर में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला है.
एक मजदूर परिवार झांसी में दो महीने से लॉकडाउन में फंसा हुआ था. उन्हें झारखंड का पाकुड़ जिला जाना था. उसने ट्रेन से यात्रा के लिए अधिकारियों से कई बार आरजू मिन्नत किया, लेकिन किसी ने नहीं सुनी, जिसके बाद मजदूर परिवार ने एक बाइक को ही जुगाड़ तकनीक से तिनपहिया ठेला गाड़ी बना दिया उसके बाद सपरिवार सवार होकर अपने घर की ओर चल दिया और देवघर पहुंच गया.
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इस परिवार को झांसी से देवघर पहुंचने के दौरान रास्ते में खाने पीने सहित कई परेशानियां हुई, जिसे झेलते हुए यह परिवार 1200 किलोमीटर की यात्रा कर देवघर पहुंचा. अभी इस परिवार को लगभाग 150 किलोमीटर की यात्रा और तय करनी है, जिसके बाद वो पाकुड़ पहुंचेगा.