सिमरिया,चतरा: सरकार पहाड़िया समुदाय के लोगों के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही है. लेकिन सरकारी दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही. यहां के लोगों की सुबह पानी की किल्लत के साथ शुरू होती है. ऐसे में गांव की महिलाएं सरकार से नाखुश है और उन्हें सरकार से कई शिकायतें हैं.
चतरा मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर सिमरिया प्रखंड के सीधापतरा गांव के पहाड़िया इलाके में निवास करने वाले आदिवासी समाज के लोग पानी, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से अब तक वंचित हैं. गांव के लोग दो बूंद पानी के लिए दर-दर भटकने को विवश हैं.
बताया गया कि सालों पहले गांव में एक चापाकल की बोरिंग हुई थी. जिसे देखकर ग्रामीण काफी खुश थे, लेकिन कुछ ही महीनों बाद चापाकल खराब हो गया. जिसके बाद आसपास के रहने वाले आदिवासी परिवारों के सामने पानी का संकट खड़ा हो गया. चापाकल खराब हुए लगभग 4 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन समस्या जस की तस पड़ी है. ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए एक किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है. लोगों का कहना है कि आज तक इस गांव में सड़क बनी ही नहीं हैं.
कुंए का पानी पीने को मजबूर
ग्रामीणों का कहना है कि चापाकल दुरुस्त कराने के लिए मुखिया के घर से दफ्तर तक सूचना दी गई, बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस गांव में 35 घरों के आदिवासी परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी निवास करते आ रहे हैं. दुर्भाग्यजनक बात है कि इनके लिए शासन स्तर पर पीने के पानी की आज तक व्यवस्था नहीं हो पाई है. 30 वर्षों से ये कुआं का पानी पीकर जीवन गुजार रहे हैं. गांव में प्राकृतिक जलस्रोत की काफी कमी है. इन्ही जलस्रोत से बूंद-बूंद पानी की कमी को पूरा कर रहे हैं. इन्हीं जलस्रोत से मवेशियों, जंगली जानवर और गांव के लोग अपनी दिनचर्या चला रहे हैं.
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मुखिया ने दी सफाई
पंचायत के मुखिया और जनप्रतिनिधि इस समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं. मामले में मुखिया ने कहा कि जानकारी नहीं होने के कारण अबतक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. गांव में पेयजल की व्यवस्था जल्द करायी जाएगी.