चतरा: पूरा विश्व कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लगातार जी-तोड़ मेहनत कर रहा है. इस वायरस का इलाज खोजने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक और डॉक्टर लगे हुए हैं, लेकिन अबतक सफलता नहीं मिल पाई है. कोरोना को लेकर पूरे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है, लेकिन चतरा के कान्हाचट्टी का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुद ही बीमार हो गया है.
कान्हाचट्टी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कर्मी का घोर अभाव है. अस्पताल में दवाई भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में यह स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे ही चल रहा है. क्षेत्र में चमचमाते भवन और अत्याधुनिक सुविधा की चकाचौंध को प्रदर्शित करता यह स्वास्थ्य केंद्र इलाके के लिए हाथी का दांत साबित हो कर रह गया है. कोरोना जैसी भयावह महामारी से बचने के लिए अस्पताल में न तो सेनेटाइजर ही उपलब्ध है और न ग्लब्स और मास्क है.
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अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी के पास सेफ्टी के तौर पर ग्लब्स तक उपलब्ध नहीं है. इस केंद्र की बिडंबना है कि, यहां प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के तौर पर एकलौते डॉक्टर पंकज कुमार पदस्थापित हैं, जो अक्सर नदारद रहते हैं, लेकिन चतरा जिला अस्पताल में ड्यूटी करते अक्सर देखे जाते हैं. अस्पताल में कंपाउंडर और ड्रेसर का भी कोई अता पता नहीं है. स्वास्थ्य केंद्र में 6 एएनएम, 1 आयुष पैथोलोजिस्ट, 1 लैब टेक्नीशियन और 1 नाईट गार्ड है, जिनके भरोसे यहां मरीजों का ईलाज होता है. अस्पताल में गंभीर मरीजों के आ जाने के बाद डॉक्टर उनका इलाज मोबाईल फोन पर वीडियो कॉलिंग कर किया जाता है, या फिर मरीज को किसी दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है.
अस्पताल में गंभीर मरीजों को लाने के लिए मोटरसाइकिल एम्बुलेंस मौजूद है, लेकिन वो खड़े-खड़े धूल फांक रहा है. अस्पताल में तैनात सीनियर एएनएम कहा कि सरकार ने जो सुविधा दी है, उसी से काम चल रहा है, यहां न तो ड्रेसर है और न कंपाउंडर. सीनियर एएनएम माला देवी ने एक सवाल के जवाब में बताया कि कोरोना वायरस के चलते मरीजों की संख्या में कमी आ गई है.
उषा कुमारी ने बताया कि अस्पताल में दवा, सेनेटाइजर और मास्क उपलब्ध करवाया गया था, लेकिन अब खत्म हो गया है, जिला अस्पताल को इसकी सूचना दे दी गई है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में कभी कभार डॉक्टर आते हैं तो मरीजों का इलाज होता है, नहीं तो हमसब मिलकर मरीजों का इलाज कर देते हैं. उन्होंने बताया कि ज्यादा जरूरी होने पर मोबाइल फोन के जरिए चिकित्सक को बुलाया जाता है, जिसके बाद इलाज किया जाता है.
वहीं लैब टेक्नीशियन लक्ष्मी कुमारी ने ग्लब्स को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि अस्पताल में सभी एएनएम को ग्लब्स मिला है, लेकिन उन्हें ग्लब्स नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में जो दिख रहा है, वही व्यवस्था है.
वहीं स्थानीय निवासी छोटू सिंह ने आरोप लगाया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सिर्फ भवन चमचमा रही है, लेकिन इसकी हालत काफी दयनीय है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है, डॉक्टर यहां बैठते भी नहीं हैं, किसी को इलाज करवाना होता है तो मोबाइल फोन के जरिये वीडियो कॉल किया जाता है और जिसके पास मोबाील नहीं है वह इलाज से वंचित रह जाता है.