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चतरा: नेताजी अगर करते विकास तो मरीजों को नहीं होना पड़ता बेहाल, मतदाताओं को आज भी है सुधार का इंतजार

चुनाव को लेकर सिमरिया विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक सरगर्मी भी सातवें आसमान पर है. हर जगह सुबह से लेकर शाम तक चौक-चौराहों पर सिर्फ राजनीतिक बातें ही सुनने को मिल रही हैं. चतरा जिले के किसी सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है, तो कहीं नर्स की कमी, जिसका खामियाजा क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

Health facility is not available in Simaria Hospital in chatra
सिमरिया अस्पताल
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Published : Dec 1, 2019, 2:50 PM IST

चतरा: चतरा जिले के सिमरिया विधानसभा में 12 दिसंबर को होने वाले चुनाव में लोकलुभावन वादों के सहारे सत्ता और विपक्ष दोनों चुनावी बाजी मारने में जुट गये हैं. कोई सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के तकदीर और तस्वीर बदलने की दावा कर रहा है, कोई अपने विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले लोगों की दशा और दिशा बदलने का दावा कर रहा है लेकिन हकीकत यहां की स्वास्थ्य सुविधा को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. बता दें कि सिमरिया अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज कम बल्कि उनको रेफर अधिक किया जाता है.

देखें पूरी खबर

वहीं, लोगों का कहना है कि यदि हमारे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने विकास किया होता तो आज मरीजों को दवाइयों की किल्लत, डाक्टरों और कर्मियों की कमी के कारण बेहाल नहीं होना पड़ता. सिमरिया अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज कम बल्कि उनको रेफर अधिक किया जाता है. यहां एक्सीडेंट होने पर घायल मरीजो को इलाज के लिए 50 किलोमीटर दूर की दूरी तय कर हजारीबाग जाना पड़ता है. कई मरीजों को इलाज सही समय पर नहीं मिलने से बीच रास्ते में ही मौत भी हो जाती है. राज्य में कांग्रेस, बीजेपी, जेवीएम, आजसू और जेएमएम सभी ने सत्ता का सुख भोगा लेकिन सिमरिया विधानसभा में स्वास्थ्य व्यवस्था आजतक नहीं सुधरी है.

ये भी देखें- चतराः मतदान समाप्ति के बाद आपस मे भिड़े बीजेपी-महागठबंधन समर्थक, हुई जमकर मारपीट

सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों को लेकर आस लगाए बैठे हैं कि उनकी समस्याओं से जुड़े मुद्दे चुनावी मुद्दे बनेंगे लेकिन परिणाम के बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निदान होता है या नहीं यह एक सवाल बन के रह गया है.

चतरा: चतरा जिले के सिमरिया विधानसभा में 12 दिसंबर को होने वाले चुनाव में लोकलुभावन वादों के सहारे सत्ता और विपक्ष दोनों चुनावी बाजी मारने में जुट गये हैं. कोई सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के तकदीर और तस्वीर बदलने की दावा कर रहा है, कोई अपने विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले लोगों की दशा और दिशा बदलने का दावा कर रहा है लेकिन हकीकत यहां की स्वास्थ्य सुविधा को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. बता दें कि सिमरिया अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज कम बल्कि उनको रेफर अधिक किया जाता है.

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वहीं, लोगों का कहना है कि यदि हमारे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने विकास किया होता तो आज मरीजों को दवाइयों की किल्लत, डाक्टरों और कर्मियों की कमी के कारण बेहाल नहीं होना पड़ता. सिमरिया अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज कम बल्कि उनको रेफर अधिक किया जाता है. यहां एक्सीडेंट होने पर घायल मरीजो को इलाज के लिए 50 किलोमीटर दूर की दूरी तय कर हजारीबाग जाना पड़ता है. कई मरीजों को इलाज सही समय पर नहीं मिलने से बीच रास्ते में ही मौत भी हो जाती है. राज्य में कांग्रेस, बीजेपी, जेवीएम, आजसू और जेएमएम सभी ने सत्ता का सुख भोगा लेकिन सिमरिया विधानसभा में स्वास्थ्य व्यवस्था आजतक नहीं सुधरी है.

ये भी देखें- चतराः मतदान समाप्ति के बाद आपस मे भिड़े बीजेपी-महागठबंधन समर्थक, हुई जमकर मारपीट

सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों को लेकर आस लगाए बैठे हैं कि उनकी समस्याओं से जुड़े मुद्दे चुनावी मुद्दे बनेंगे लेकिन परिणाम के बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निदान होता है या नहीं यह एक सवाल बन के रह गया है.

Intro:चतरा: नेताजी अगर करते विकास तो मरीजों को नहीं होना पड़ता बेहाल, मतदाताओं को आज भी है सुधार का इंतजार

चतरा: चतरा जिले के सिमरिया विधानसभा में 12 दिसंबर को होने वाले चुनाव में लोकलुभावन वादों के सहारे सत्ता और विपक्ष दोनों चुनावी बाजी मारने में जुट गये हैं। कोई सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के तकदीर और तस्वीर बदलने की दावा कर रहा है, कोई अपने विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले लोगों की दशा और दिशा बदलने का दावा कर रहा है, तो कोई विकास की गंगा बहा कर हर हाथ को काम और हर खेत को पानी देने का वादा कर रहा है, लेकिन हकीकत क्या है वो यहां की स्वास्थ्य सुविधा को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। चुनाव को लेकर क्षेत्र की राजनीतिक सरगर्मी भी सातवें आसमान पर है। हर जगह सुबह से लेकर शाम तक चौक-चौराहों पर सिर्फ राजनीतिक बातें ही सुनने को मिल रही हैं। सिमरिया विधानसभा के क्षेत्र में रह रहे लोगों का कहना है कि यदि हमारे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने विकास किया होता तो आज मरीजों को दवाइयों की किल्लत, डाक्टरों और कर्मियों की कमी के कारण नहीं होना पड़ता बेहाल। सिमरिया अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज कम बल्कि उनको रेफर अधिक किया जाता है।

1.बाईट--- स्थानीय ग्रामीण
2.बाईट--- स्थानीय ग्रामीण
Body:जिसके कारण एक्सीडेंट में घायल मरीजो को इलाज के लिए 50 किलोमीटर दूर की दूरी तय कर हजारीबाग जाना पड़ता है। कई मरीजों को इलाज सही समय पर नहीं मिलने से बीच रास्ते में ही मौत भी हो जाती है। राज्य में कांग्रेस,बीजेपी, जेबीएम, आजसू और जेएमएम सभी ने सत्ता का सुख भोगा लेकिन सिमरिया विधानसभा में स्वास्थ्य व्यवस्था आजतक नहीं सुधरी। चतरा जिले के किसी सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है, तो कहीं नर्स की कमी, जिसका खामियाजा क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ता है। Conclusion:सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों को लेकर आस लगाए बैठे हैं कि उनकी समस्याओं से जुड़े मुद्दे चुनावी मुद्दे बनेंगे, लेकिन परिणाम के बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निदान होता है या नहीं यह एक सवाल है।

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