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इस गांव में एक ही घाट पर बुझती है इंसानों और जानवरों की प्यास

सिमरिया प्रखंड के पारटांड़ गांव में पानी की घोर समस्या है. यहां मवेशी और इंसान एक साथ एक ही घाट पर पानी पीते हैं. गांव में एक जलमीनार और एक चापानल है तो जरुर पर वो भी पांच सालों से खराब पड़ा है.

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Published : Oct 18, 2019, 2:38 PM IST

Updated : Oct 19, 2019, 8:49 AM IST

सिमरिया, चतरा: जिले के नक्सल प्रभावित सिमरिया प्रखंड अंतर्गत पारटांड़ गांव के लोग उसी घाट से पीने का पानी भरते हैं, जहां मवेशी आकर पानी पीते हैं. यहां एक ही घाट पर जानवरों के पानी पीने और महिलाओं के पानी भरने की तस्वीरें विकास के दावों को मुंह चिढ़ाती नजर आती हैं. अनुसूचित जनजाति बहुल इस गांव के लोग जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं. स्थिति यह है कि यहां के लोग प्रशासनिक उपेक्षा के कारण जंगल से निकलने वाली नदी और नाले के दूषित पानी पीने को मजबूर हैं.

देखें पूरी खबर

मवेशी और इंसान एक साथ बुझाते हैं प्यास
ग्रामीणों के अनुसार, गांव में दिखावे के लिए एक जलमीनार और एक हैंडपंप है भी तो विगत पांच वर्षों से खराब पड़ा है. बावजूद अबतक किसी भी सरकारी रहनुमाओं की नजर इस गांव पर नहीं पड़ी है, जिसके कारण रोजाना गांव के पास वाले नदी से निकलने वाले नाले का गंदा पानी ले जाने को यहां के ग्रामीण मजबूर हैं. इसी घाट पर आवारा कुत्ते, गाय और बकरियां भी इन ग्रामीणों के साथ अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- 2.5 करोड़ लागत की अवैध लॉटरी टिकट बरामद, 1 गिरफ्तार, बंगाल, बिहार से भी जुड़े हैं तार

24 घंटे के अंदर समस्या के समाधान का भरोसा
पंचायत की मुखिया और जनप्रतिनिधि भी इस समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं. इस गांव की हालत देखने के बाद जब ईटीवी भारत की टीम ने पंचायत की मुखिया मुक्ता पांडेय से कारण पूछा तो उन्होंने पहले तो जानकारी नहीं होने की बात कही. इसके बाद गांव में पेयजल की व्यवस्था 24 घंटे के अंदर करने का भरोसा दिया है.

सिमरिया, चतरा: जिले के नक्सल प्रभावित सिमरिया प्रखंड अंतर्गत पारटांड़ गांव के लोग उसी घाट से पीने का पानी भरते हैं, जहां मवेशी आकर पानी पीते हैं. यहां एक ही घाट पर जानवरों के पानी पीने और महिलाओं के पानी भरने की तस्वीरें विकास के दावों को मुंह चिढ़ाती नजर आती हैं. अनुसूचित जनजाति बहुल इस गांव के लोग जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं. स्थिति यह है कि यहां के लोग प्रशासनिक उपेक्षा के कारण जंगल से निकलने वाली नदी और नाले के दूषित पानी पीने को मजबूर हैं.

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मवेशी और इंसान एक साथ बुझाते हैं प्यास
ग्रामीणों के अनुसार, गांव में दिखावे के लिए एक जलमीनार और एक हैंडपंप है भी तो विगत पांच वर्षों से खराब पड़ा है. बावजूद अबतक किसी भी सरकारी रहनुमाओं की नजर इस गांव पर नहीं पड़ी है, जिसके कारण रोजाना गांव के पास वाले नदी से निकलने वाले नाले का गंदा पानी ले जाने को यहां के ग्रामीण मजबूर हैं. इसी घाट पर आवारा कुत्ते, गाय और बकरियां भी इन ग्रामीणों के साथ अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

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24 घंटे के अंदर समस्या के समाधान का भरोसा
पंचायत की मुखिया और जनप्रतिनिधि भी इस समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं. इस गांव की हालत देखने के बाद जब ईटीवी भारत की टीम ने पंचायत की मुखिया मुक्ता पांडेय से कारण पूछा तो उन्होंने पहले तो जानकारी नहीं होने की बात कही. इसके बाद गांव में पेयजल की व्यवस्था 24 घंटे के अंदर करने का भरोसा दिया है.

Intro:चतरा: सिमरिया का एक ऐसा गांव, जहां एक ही घाट पर बुझती है इंसानों और जानवरों की प्यास

चतरा/सिमरिया : जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहल पर देश भर में लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर विशेष जल संचयन अभियान चलाया जा रहा है ताकि भूगर्भ जल रिचार्ज हो। शासन और प्रशासन भी इस अभियान को शत-प्रतिशत धरातल पर उतारने को ले व्यापक अभियान में जुटा है। नदी-तालाब व अन्य जलाशयों के साफ-सफाई पर भी विशेष अभियान चलाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर तंत्र व स्थानीय लोगों के लापरवाही के कारण नदी-तालाब व अन्य जलाशय दूषित हो गए हैं। इतना ही नहीं ये वैसे जलाशय हैं जिसके घाट से इंसानों व जानवर दोनों की प्यास बुझती है। ऐसा नहीं है कि नदियों व तालाबों के पानी से लोग प्यास नहीं बुझाते हैं। कई बार आपलोगों ने भी लोगों को नदियों के पानी से अपनी प्यास बुझाते देखा होगा। लेकिन आश्चर्य इस तस्वीर को देखने के बाद होगा। जहां जानवर भी उसी पानी से अपनी प्यास बुझाते नजर आते हैं। ऐसे में जानवरों के साथ यदि इंसान भी एक ही घाट के पानी से अपनी प्यास बुझाते नजर आए तो थोड़ा अचरज जरूर होगा।


1. बाईट : ग्रामीण, उर्मिला देवी
2. बाईट : ग्रामीण, सोमार भुंइया
3. बाईट : पंचायत मुखिया, मुकता पांडेयBody:चतरा जिले के नक्सल प्रभावित सिमरिया प्रखंड अंतर्गत पारटांड़ गांव की स्थिति इन दिनों यही बया कर रही है। अनुसूचित जनजाति बहुल इस गांव के लोग जल संकट की समस्या से जूझ रहे हैं। स्थिति यह है कि यहां के लोग प्रशासनिक उपेक्षा के कारण जंगल से निकलने वाले नदी व नाले के दूषित पानी पीने को मजबूर है। यहां न तो कुएं हैं और ना ही चापानल। ग्रामीणों के अनुसार गांव में दिखावे के लिए एक जनमीनार और एक हैंडपंप है भी तो विगत पांच वर्षों से खराब पड़ा है। बावजूद अबतक किसी भी सरकारी रहनुमाओं की नजर अबतक इस गांव पर नहीं पड़ी है। जिसके कारण रोजाना गांव के पास वाले नदी से निकलने वाले नाले का गंदा पानी ले जाने को ले यहां के ग्रामीण विवस हैं। इसी घाट पर आवारा कुत्ते, गाय व बकरियां भी इन ग्रामीणों के साथ अपनी प्यास बुझा रहे हैं।
Conclusion:वहीं पंचायत के मुखिया एवं जनप्रतिनिधि भी इस समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं। इस गांव की हालत देखने के बाद जब ईटीवी भारत की टीम ने पंचायत के मुखिया मुकता पांडेय से कारण पूछा तो उन्होंने पहले तो जानकारी नहीं होने की बात कही उसके बाद गांव में पेयजल की व्यवस्था 24 घंटे के भीतर करने की बात कही।


मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत सिमरिया
Last Updated : Oct 19, 2019, 8:49 AM IST
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