चतरा: खनिज संपदाओं की गोद में बसे झारखंड राज्य के चतरा जिले में एक ऐसा स्कूल भी है जहां के बच्चे डर के साए में भी शिक्षा की भूख मिटा रहे हैं. यह स्कूल है जिले का परियोजना बालिका उच्च विद्यालय इटखोरी (project girls high school itkhori). शिक्षा में गुणात्मक सुधार के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने में सरकार और शिक्षा विभाग करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है लेकिन इस स्कूल के जर्जर भवन की मरम्मत के लिए आवंटन के लाले पड़े हैं.
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स्कूल में 400 बच्चे पढ़ते हैं. जिनमें से 350 बच्चे हर दिन विद्यालय आते हैं. इस स्कूल में इटखोरी प्रखंड के कई गांवों के बच्चे रोज पढ़ने आते हैं. सरकार की संवेदनहीनता और शिक्षा में गुणात्मक सुधार के दावों की यह विद्यालय पोल खोल रहा है. ऐसे में शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर कई सवालिया निशान खड़े होते हैं और सरकार के आदेश सिर्फ फाइलों में सिमटकर ही रह जाते हैं.
वहीं इस विद्यालय में तो सरकार शौचालय बनाना ही भूल गई है. जिस वजह से छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यह परेशानी कई सालों से बनी हुई है. विद्यालय की छात्राओं ने बताया कि सरकार ने घर-घर शौचालय तो बना दिया पर इतने बड़े विद्यालय में शौचालय एक भी नहीं है.
स्कूल में चहारदीवारी नहीं होने से शराबियों और जुआरियों ने इसे अपना अड्डा बना लिया है. आलम यह है कि सुबह स्कूल शुरू करने से पहले शिक्षक और बच्चों को मिलकर स्कूल की सफाई करनी पड़ती है. दरअसल, छुट्टी होते ही स्कूल शराबियों और जुआरियों का अड्डा बन जाता है. स्कूल की कक्षाओं में शराबियों की महफिल सजती है और जाम से जाम टकराते हैं. ऐसे में शराबियों के द्वारा फैलाई गई गंदगी को साफ करने के अलावा शिक्षकों और बच्चों के पास कोई चारा नहीं है. स्कूल की इस स्थिति से शिक्षक भी बेहद परेशान हो चुके हैं, लेकिन उनकी बात सुनने वाला यहां कोई नहीं है.
परियोजना बालिका उच्च विद्यालय इटखोरी (project girls high school itkhori) की बदहाली और डर के साए में बच्चों के पठन-पाठन के मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी जितेंद्र कुमार सिन्हा को अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आ गया है अब जल्द ही अधूरे भवन का निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा.