रांची: प्रदेश में लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने वाले 98% मतदाता यह मानते हैं कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को संसद या विधानसभाओं में नहीं होना चाहिए. जबकि इसके विपरीत 35% मतदाता क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों के समर्थन में वोट डालते हैं.
लोगों का कहना है कि उम्मीदवार धर्म, जाति या अपनी दबंगई के वजह से मतदाताओं के बीच लोकप्रियता होते हैं. इतना ही नहीं क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों के जीतने की प्रोबेबिलिटी सामान्य उम्मीदवार से 13% अधिक होती है. यह भी यहां के मतदाता मानते हैं.
इस बात का खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट में किया गया है. अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच प्रदेश के 7 हजार लोगों के बीच 31 सवालों के क्वेश्चनायर के आधार पर किए गए सर्वे में यह नतीजे सामने आए हैं.
वहीं, गुरुवार को झारखंड के परिप्रेक्ष्य में रिलीज की गई एडीआर रिपोर्ट में यह बात सामने आई की मतदाताओं की मुख्य चिंता रोजगार के अवसर, अच्छे अस्पताल और प्राथमिक उपचार केंद्र और लॉ ऑर्डर से जुड़े हुए हैं. जिनमें सरकार का परफॉर्मेंस औसत से भी नीचे है.
सर्वे में यह भी बात सामने आई है कि 84% मतदाता अपने मनमाफिक उम्मीदवार चुनते हैं और इसमें 6% ऐसे हैं जो अपने परिवार के सदस्यों से प्रभावित होकर वोट डालते हैं. वहीं 83% मतदाता मानते हैं कि नकद और उपहारों का वितरण अवैधानिक है. वहीं, अर्बन वोटर्स की प्राथमिकता में लॉ एंड ऑर्डर सबसे पहले स्थान पर है. जबकि ग्रामीण परिवेश के मतदाता की मान्यता है कि कृषि क्षेत्र में और उपाय होने चाहिए.