ETV Bharat / state

झारखंड के 98% वोटर क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधि के खिलाफ, करप्शन नहीं है मुद्दा: ADR रिपोर्ट - Criminal Background

झारखंड में 98 फीसदी वोटर चाहते हैं कि उनके सांसद या उनके विधायक बिना किसी क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले हों. यही नहीं 83 फीसदी मतदाता मानते हैं कि नकद और उपहारों का वितरण अवैधानिक है.

एडीआर रिपोर्ट का दावा
author img

By

Published : Apr 25, 2019, 3:09 PM IST

Updated : Apr 25, 2019, 5:09 PM IST

रांची: प्रदेश में लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने वाले 98% मतदाता यह मानते हैं कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को संसद या विधानसभाओं में नहीं होना चाहिए. जबकि इसके विपरीत 35% मतदाता क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों के समर्थन में वोट डालते हैं.

देखें वीडियो

लोगों का कहना है कि उम्मीदवार धर्म, जाति या अपनी दबंगई के वजह से मतदाताओं के बीच लोकप्रियता होते हैं. इतना ही नहीं क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों के जीतने की प्रोबेबिलिटी सामान्य उम्मीदवार से 13% अधिक होती है. यह भी यहां के मतदाता मानते हैं.

इस बात का खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट में किया गया है. अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच प्रदेश के 7 हजार लोगों के बीच 31 सवालों के क्वेश्चनायर के आधार पर किए गए सर्वे में यह नतीजे सामने आए हैं.

वहीं, गुरुवार को झारखंड के परिप्रेक्ष्य में रिलीज की गई एडीआर रिपोर्ट में यह बात सामने आई की मतदाताओं की मुख्य चिंता रोजगार के अवसर, अच्छे अस्पताल और प्राथमिक उपचार केंद्र और लॉ ऑर्डर से जुड़े हुए हैं. जिनमें सरकार का परफॉर्मेंस औसत से भी नीचे है.

सर्वे में यह भी बात सामने आई है कि 84% मतदाता अपने मनमाफिक उम्मीदवार चुनते हैं और इसमें 6% ऐसे हैं जो अपने परिवार के सदस्यों से प्रभावित होकर वोट डालते हैं. वहीं 83% मतदाता मानते हैं कि नकद और उपहारों का वितरण अवैधानिक है. वहीं, अर्बन वोटर्स की प्राथमिकता में लॉ एंड ऑर्डर सबसे पहले स्थान पर है. जबकि ग्रामीण परिवेश के मतदाता की मान्यता है कि कृषि क्षेत्र में और उपाय होने चाहिए.

रांची: प्रदेश में लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने वाले 98% मतदाता यह मानते हैं कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को संसद या विधानसभाओं में नहीं होना चाहिए. जबकि इसके विपरीत 35% मतदाता क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों के समर्थन में वोट डालते हैं.

देखें वीडियो

लोगों का कहना है कि उम्मीदवार धर्म, जाति या अपनी दबंगई के वजह से मतदाताओं के बीच लोकप्रियता होते हैं. इतना ही नहीं क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों के जीतने की प्रोबेबिलिटी सामान्य उम्मीदवार से 13% अधिक होती है. यह भी यहां के मतदाता मानते हैं.

इस बात का खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट में किया गया है. अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच प्रदेश के 7 हजार लोगों के बीच 31 सवालों के क्वेश्चनायर के आधार पर किए गए सर्वे में यह नतीजे सामने आए हैं.

वहीं, गुरुवार को झारखंड के परिप्रेक्ष्य में रिलीज की गई एडीआर रिपोर्ट में यह बात सामने आई की मतदाताओं की मुख्य चिंता रोजगार के अवसर, अच्छे अस्पताल और प्राथमिक उपचार केंद्र और लॉ ऑर्डर से जुड़े हुए हैं. जिनमें सरकार का परफॉर्मेंस औसत से भी नीचे है.

सर्वे में यह भी बात सामने आई है कि 84% मतदाता अपने मनमाफिक उम्मीदवार चुनते हैं और इसमें 6% ऐसे हैं जो अपने परिवार के सदस्यों से प्रभावित होकर वोट डालते हैं. वहीं 83% मतदाता मानते हैं कि नकद और उपहारों का वितरण अवैधानिक है. वहीं, अर्बन वोटर्स की प्राथमिकता में लॉ एंड ऑर्डर सबसे पहले स्थान पर है. जबकि ग्रामीण परिवेश के मतदाता की मान्यता है कि कृषि क्षेत्र में और उपाय होने चाहिए.

Intro:बाइट- सुधीर पाल राज्य समन्वयक एडीआर, झारखण्ड

रांची। प्रदेश में लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने वाले 98% मतदाता यह मानते हैं कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को संसद या विधानसभाओं में नहीं होना चाहिए। जबकि इसके विपरीत 35% मतदाता क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों के समर्थन में वोट डालते हैं। इसके पीछे यह भी वजह बताई जाती है कि वह उम्मीदवार धर्म जाति या अपनी दबंगई के वजह से मतदाताओं के बीच लोकप्रियता रखते हैं। इतना ही नहीं क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों के जीतने की प्रोबेबिलिटी सामान्य उम्मीदवार से 13% अधिक होती है। यह भी यहां के मतदाता मानते हैं।
इस बात का खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट में किया गया है। अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच प्रदेश के 7 हजार लोगों के बीच 31 सवालों के क्वेश्चनायर के आधार पर किए गए सर्वे में यह नतीजे सामने आए हैं।
वहीं गुरुवार को झारखंड के परिप्रेक्ष्य में रिलीज की गई एडीआर रिपोर्ट में यह बात सामने आई की मतदाताओं की मुख्य चिंता रोजगार के अवसर, अच्छे अस्पताल और प्राथमिक उपचार केंद्र और लॉ ऑर्डर से जुड़े हुए हैं। जिनमें सरकार का परफॉर्मेंस औसत से भी नीचे है।


Body:इस बाबत एडीआर के राज्य समन्वयक सुधीर पाल ने बताया कि वही तीन क्षेत्र मतदाताओं के प्राथमिकता में थे। जिनमें सबसे पहला रोजगार से जुड़ा हुआ था। उन्होंने स्वीकार किया की इस रिपोर्ट में 5% गलतियां हो सकती हैं, लेकिन इसे एकबारगी नकारा नहीं जा सकता।

क्या है वोटिंग बिहेवियर
रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में मतदाता पार्टी को प्राथमिकता देते हैं ना कि उम्मीदवार को। उसके बाद उनकी प्राथमिकता में नेता आते हैं चाहे वह मुख्यमंत्री पद क्यों या फिर प्रधानमंत्री पद के। साथ ही यह भी बात सामने आई है कि 84% मतदाता अपने मनमाफिक उम्मीदवार चुनते हैं और इसमें 6% ऐसे हैं जो अपने परिवार के सदस्यों से प्रभावित होकर वोट डालते हैं। वहीं 83% मतदाता मानते हैं कि नकद और उपहारों का वितरण अवैधानिक है। साथ ही अर्बन वोटर्स की प्राथमिकता में लॉ एंड ऑर्डर सबसे पहले स्थान पर है। जबकि ग्रामीण परिवेश के मतदाता की मान्यता है कि कृषि क्षेत्र में और उपाय होने चाहिए।


Conclusion:करप्शन का मुद्दा केवल बातों में
सुधीर पाल ने कहा कि सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि भ्रष्टाचार को लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं। चाहे राजनीतिक दल हो या मतदाता लेकिन यह मुद्दा नहीं बन पाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों का प्रतिशत काफी कम है जो इन मुद्दों पर विचार कर वोटिंग करते हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड सर्वे रिपोर्ट, 2018 में 76% ग्रामीण इलाकों के वोटरों ने हिस्सा लिया जबकि 24% शहरी इलाकों के वोटर शामिल हुए। उनमे 73% पुरुष थे और 27% महिलाएं। जबकि 54% सामान्य वर्ग के लोग थे 31% एसटी 10% एससी और 5% ओबीसी समुदाय के लोगों ने इस सर्वे में हिस्सा लिया। इस मौके पर एडीआर से जुड़े वीपी पांडेय, रेणु प्रसाद और स्निग्धा अग्रवाल मौजूद थी।
Last Updated : Apr 25, 2019, 5:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.