रांची/दिल्ली: भाजपा ने प्रत्याशियों की दसवीं सूची जारी कर दी लेकिन इस सूची में रांची, कोडरमा और चतरा सीट के लिए प्रत्याशी का नाम नहीं आया. जाहिर है इन तीनों सीटों पर पेंच जबरदस्त तरीके से फंसा हुआ है. रांची सीट पर वर्तमान सांसद रामटहल चौधरी की उम्र आड़े आ रही है.
पार्टी संविधान के तहत 75 वर्ष से ज्यादा आयु के नेता को उम्मीदवार नहीं बनाना है और रामटहल चौधरी की उम्र करीब 79 वर्ष हो चुकी है. इससे साफ है कि रामटहल चौधरी को टिकट नहीं मिलेगा. अब सवाल है कि रांची सीट से भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा? जातीय समीकरण को साधने के लिए बनिया समाज के एक प्रत्याशी की जरूरत है.
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री रघुवर दास भी चाहते हैं कि प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष आदित्य साहू को रांची से टिकट मिले. हालांकि आम जनता के बीच आदित्य साहू की कोई खास पहचान नहीं है लेकिन सीएम का तर्क है कि रांची में भाजपा का कैडर वोट है और यहां के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट करेंगे. अगर आदित्य साहू का टिकट कट भी जाता है तो उनकी जगह खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ को भी रांची से टिकट देने की कोशिश हो सकती है.
चुकी कांग्रेस की तरफ से संभावित उम्मीदवार कद्दावर नेता सुबोध कांत हैं इसलिए एक खेमा यह भी चाहता है कि किसी कद्दावर नेता को रांची से उतारा जाए. अगर सीएम की नहीं चली तो संभव है कि रांची से कोई अप्रत्याशित चेहरा यहां का उम्मीदवार बन सकता है. कोडरमा से वर्तमान सांसद रविंद्र राय ने अभी तक उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है. क्योंकि भीतर खाने से मिली खबर के मुताबिक सीएम चाहते हैं कि अन्नपूर्णा देवी को चतरा से प्रत्याशी बनाया जाए. अगर अन्नपूर्णा को चतरा से टिकट दिया जाता है तो कोडरमा से रविंद्र राय की वापसी हो जाएगी और इसी बहाने भूमिहार समाज को संतुष्ट भी कर लिया जाएगा.
वहीं, दूसरी तरफ संघ की एक लॉबी चाहती है कि सुनील सिंह को ही चतरा से उम्मीदवार बनाया जाए. अगर ऐसा हुआ तो अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा से टिकट मिल सकता है. ऐसी सूरत में रविंद्र राय को रांची लाया जा सकता है. बहरहाल, झारखंड की 3 सीटों के लिए प्रत्याशियों को लेकर मंथन का दौर जारी है, लेकिन सर्वमान्य नतीजा नहीं निकल पा रहा है.
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व ने 3 सीटों की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बनी एक समिति को सुपुर्द कर दी है. लिहाजा भावनाओं के आधार पर टिकट देना मुश्किल साबित हो रहा है. एक बात तो स्पष्ट है कि अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा या चतरा में से कोई भी सीट जरूर मिलेगी. अगर आदित्य साहू के पक्ष में बात नहीं बनी तो रांची सीट पर बाहर से किसी कद्दावर नेता को लाया जा सकता है. इसलिए अभी भी सुनील सिंह और रविंद्र राय उम्मीद का दामन थामे बैठे हैं.
अन्नपूर्णा को चतरा से प्रत्याशी बना सकती है भाजपा, रांची और कोडरमा सीट पर सस्पेंस बरकरार
बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने 3 सीटों की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बनी एक समिति को सुपुर्द कर दी है. लिहाजा भावनाओं के आधार पर टिकट देना मुश्किल साबित हो रहा है. एक बात तो स्पष्ट है कि अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा या चतरा में से कोई भी सीट जरूर मिलेगी.
रांची/दिल्ली: भाजपा ने प्रत्याशियों की दसवीं सूची जारी कर दी लेकिन इस सूची में रांची, कोडरमा और चतरा सीट के लिए प्रत्याशी का नाम नहीं आया. जाहिर है इन तीनों सीटों पर पेंच जबरदस्त तरीके से फंसा हुआ है. रांची सीट पर वर्तमान सांसद रामटहल चौधरी की उम्र आड़े आ रही है.
पार्टी संविधान के तहत 75 वर्ष से ज्यादा आयु के नेता को उम्मीदवार नहीं बनाना है और रामटहल चौधरी की उम्र करीब 79 वर्ष हो चुकी है. इससे साफ है कि रामटहल चौधरी को टिकट नहीं मिलेगा. अब सवाल है कि रांची सीट से भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा? जातीय समीकरण को साधने के लिए बनिया समाज के एक प्रत्याशी की जरूरत है.
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री रघुवर दास भी चाहते हैं कि प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष आदित्य साहू को रांची से टिकट मिले. हालांकि आम जनता के बीच आदित्य साहू की कोई खास पहचान नहीं है लेकिन सीएम का तर्क है कि रांची में भाजपा का कैडर वोट है और यहां के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट करेंगे. अगर आदित्य साहू का टिकट कट भी जाता है तो उनकी जगह खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ को भी रांची से टिकट देने की कोशिश हो सकती है.
चुकी कांग्रेस की तरफ से संभावित उम्मीदवार कद्दावर नेता सुबोध कांत हैं इसलिए एक खेमा यह भी चाहता है कि किसी कद्दावर नेता को रांची से उतारा जाए. अगर सीएम की नहीं चली तो संभव है कि रांची से कोई अप्रत्याशित चेहरा यहां का उम्मीदवार बन सकता है. कोडरमा से वर्तमान सांसद रविंद्र राय ने अभी तक उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है. क्योंकि भीतर खाने से मिली खबर के मुताबिक सीएम चाहते हैं कि अन्नपूर्णा देवी को चतरा से प्रत्याशी बनाया जाए. अगर अन्नपूर्णा को चतरा से टिकट दिया जाता है तो कोडरमा से रविंद्र राय की वापसी हो जाएगी और इसी बहाने भूमिहार समाज को संतुष्ट भी कर लिया जाएगा.
वहीं, दूसरी तरफ संघ की एक लॉबी चाहती है कि सुनील सिंह को ही चतरा से उम्मीदवार बनाया जाए. अगर ऐसा हुआ तो अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा से टिकट मिल सकता है. ऐसी सूरत में रविंद्र राय को रांची लाया जा सकता है. बहरहाल, झारखंड की 3 सीटों के लिए प्रत्याशियों को लेकर मंथन का दौर जारी है, लेकिन सर्वमान्य नतीजा नहीं निकल पा रहा है.
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व ने 3 सीटों की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बनी एक समिति को सुपुर्द कर दी है. लिहाजा भावनाओं के आधार पर टिकट देना मुश्किल साबित हो रहा है. एक बात तो स्पष्ट है कि अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा या चतरा में से कोई भी सीट जरूर मिलेगी. अगर आदित्य साहू के पक्ष में बात नहीं बनी तो रांची सीट पर बाहर से किसी कद्दावर नेता को लाया जा सकता है. इसलिए अभी भी सुनील सिंह और रविंद्र राय उम्मीद का दामन थामे बैठे हैं.
रांची/दिल्ली: भाजपा ने प्रत्याशियों की दसवीं सूची जारी कर दी लेकिन इस सूची में रांची, कोडरमा और चतरा सीट के लिए प्रत्याशी का नाम नहीं आया. जाहिर है इन तीनों सीटों पर पेंच जबरदस्त तरीके से फंसा हुआ है. रांची सीट पर वर्तमान सांसद रामटहल चौधरी की उम्र आड़े आ रही है.
पार्टी संविधान के तहत 75 वर्ष से ज्यादा आयु के नेता को उम्मीदवार नहीं बनाना है और रामटहल चौधरी की उम्र करीब 79 वर्ष हो चुकी है. इससे साफ है कि रामटहल चौधरी को टिकट नहीं मिलेगा. अब सवाल है कि रांची सीट से भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा? जातीय समीकरण को साधने के लिए बनिया समाज के एक प्रत्याशी की जरूरत है.
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री रघुवर दास भी चाहते हैं कि प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष आदित्य साहू को रांची से टिकट मिले. हालांकि आम जनता के बीच आदित्य साहू की कोई खास पहचान नहीं है लेकिन सीएम का तर्क है कि रांची में भाजपा का कैडर वोट है और यहां के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट करेंगे. अगर आदित्य साहू का टिकट कट भी जाता है तो उनकी जगह खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ को भी रांची से टिकट देने की कोशिश हो सकती है.
चुकी कांग्रेस की तरफ से संभावित उम्मीदवार कद्दावर नेता सुबोध कांत हैं इसलिए एक खेमा यह भी चाहता है कि किसी कद्दावर नेता को रांची से उतारा जाए. अगर सीएम की नहीं चली तो संभव है कि रांची से कोई अप्रत्याशित चेहरा यहां का उम्मीदवार बन सकता है. कोडरमा से वर्तमान सांसद रविंद्र राय ने अभी तक उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है. क्योंकि भीतर खाने से मिली खबर के मुताबिक सीएम चाहते हैं कि अन्नपूर्णा देवी को चतरा से प्रत्याशी बनाया जाए. अगर अन्नपूर्णा को चतरा से टिकट दिया जाता है तो कोडरमा से रविंद्र राय की वापसी हो जाएगी और इसी बहाने भूमिहार समाज को संतुष्ट भी कर लिया जाएगा.
वहीं, दूसरी तरफ संघ की एक लॉबी चाहती है कि सुनील सिंह को ही चतरा से उम्मीदवार बनाया जाए. अगर ऐसा हुआ तो अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा से टिकट मिल सकता है. ऐसी सूरत में रविंद्र राय को रांची लाया जा सकता है. बहरहाल, झारखंड की 3 सीटों के लिए प्रत्याशियों को लेकर मंथन का दौर जारी है, लेकिन सर्वमान्य नतीजा नहीं निकल पा रहा है.
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व ने 3 सीटों की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बनी एक समिति को सुपुर्द कर दी है. लिहाजा भावनाओं के आधार पर टिकट देना मुश्किल साबित हो रहा है. एक बात तो स्पष्ट है कि अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा या चतरा में से कोई भी सीट जरूर मिलेगी. अगर आदित्य साहू के पक्ष में बात नहीं बनी तो रांची सीट पर बाहर से किसी कद्दावर नेता को लाया जा सकता है. इसलिए अभी भी सुनील सिंह और रविंद्र राय उम्मीद का दामन थामे बैठे हैं.
Conclusion: