मास्को : रूस ने गूगल पर भारी जुर्माना लगाया है. जुर्माने की राशि इतनी बड़ी है कि इसे समझने में भी अच्छा-खासा वक्त लग जाएगा. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पूरी दुनिया की जीडीपी से भी यह राशि बहुत ज्यादा है. सीएनएन के मुताबिक अगर सिर्फ डॉलर में ही बात करें, तो यह अमाउंट कुछ ऐसा बनेगा ......
2500000000000000000000000000000000000000000 डॉलर.
यानी 25 पर 36 जीरो. अगर भारतीय रुपये में इसे चेंज करेंगे, तो आपको इसे 84 से गुणा करना पड़ेगा. अब आप सोचिए, जुर्माने की राशि कितनी बड़ी होगी.
क्यों लगा इतना बड़ा जुर्माना
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में गूगल ने रूस की सरकारी मीडिया पर बैन लगा दिया. रूस के कुछ अन्य मीडिया संस्थानों पर भी प्रतिबंध लगाए. उनकी खबरों को गूगल पर नहीं दिखाया गया. रूस की ओर से यह भी बताया गया है कि बार-बार आग्रह करने के बाद भी गूगल ने इन संस्थानों पर से पाबंदी नहीं हटाई. इसके बाद रूस ने गूगल पर जुर्माना लगा दिया. रूसी करेंसी रूबल में यह राशि 2 अनडेसिलियन बनता है.
Russia is trying to fine Google $20 decillion over YouTube bans
— Culture Crave 🎃 (@CultureCrave) October 29, 2024
• The fine surpasses the entire wealth and asset value on Earth
• Google so far has ignored their demands pic.twitter.com/aG5w55Q3aQ
आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखलंदाजी देने का भी आरोप लगाया था. इसमें रूस के रूस टुडे और एएनओ डायलॉग पर आरोप लगे थे. इसके कुछ दिनों बाद ही मेटा ने आरटी और रोसिया सेगोडन्या को फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम से हटा दिया था
फोर्ब्स डॉट कॉम के अनुसार रूसी मीडिया एजेंसी ने यह भी कहा कि यूट्यूब भी उपयोगकर्ताओं के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है. इसलिए बहुत संभव है कि यूट्यूब पर अपलोड स्पीड 70 फीसदी तक कम हो जाएगी, क्योंकि यह देश के कानून का उल्लंघन कर रहा है.
कितना कमाता है गूगल
2023 की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गूगल की वार्षिक आय 307 बिलियन डॉलर है. एक बिलियन में 8400 करोड़ रुपये होते हैं. इसलिए भारतीय करेंसी में यह राशि 25,78,800 करोड़ रु. होता है.
क्या कहा गूगल ने
गूगल का एक बयान मीडिया में आया है. इसमें उसने बताया है कि वह इस जुर्माने की राशि को नहीं भरेगा. उसने यह भी कहा कि वह कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध
रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2014 में युद्ध की शुरुआत हुई थी. हालांकि, रूस इसे युद्ध नहीं मानता है, उसका कहना है कि यह एक ऑपरेशन है. इसकी शुरुआत तब हुई, जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. रूस ने डोनबास में अलगाववादियों का समर्थन किया था. ये अलगाववादी रूस के समर्थक थे. तब किसी को भी अंदाजा नहीं था कि युद्ध इतना लंबा चलेगा और इसके खत्म होने के भी आसार नजर नहीं आ रहे हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसे सबसे लंबा युद्ध माना जा रहा है. इस युद्ध में रूस और यूक्रेन दोनों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. यूक्रेन को पश्चिमी देशों का साथ है. अमेरिका ने हथियारों से यूक्रेन की मदद की है. यूक्रेन चाहता है कि उसे नाटो की सदस्यता मिल जाए, ताकि नाटे के अन्य देश युद्ध में उनका साथ दे सकें. इसके ठीक उलट रूस ने घोषणा कर रखी है कि यदि नाटो ने यूक्रेन को सदस्यता प्रदान कर दी, तो युद्ध का पैमाना बढ़ जाएगा और वह नाटो से सीधे युद्ध करेगा.
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