ETV Bharat / state

पांचवी अनुसूची और पेसा एक्ट की नियमावली बनने को JMM ने बताया आईवॉश, पढ़ें पूरी खबर - Ranchi News

सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इस मामले पर जागरूक हुई है. भट्टाचार्य ने कहा कि मूलवासी और जनजातीय समुदाय के घटते जनाधार को देखते हुए राज्य सरकार इस तरह की बैठक आयोजित कर रही है.

पांचवी अनुसूची और पेसा एक्ट की नियमावली बनने को JMM ने बताया आईवॉश
author img

By

Published : Jun 14, 2019, 8:35 PM IST

रांची: पांचवी अनुसूची और पेसा एक्ट की नियमावली बनाने को लेकर राज्य सरकार की कवायद को प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आईवॉश बताया है. पार्टी ने स्पष्ट कहा कि डेढ़ साल पहले पांचवी अनुसूची से संबंधित मामलों के लिए गठित विशेषज्ञ समूह की पहली बैठक गुरुवार को हुई. इससे साफ होता है कि सरकार इन मुद्दों को लेकर कितनी गंभीर है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इस मामले पर जागरूक हुई है. भट्टाचार्य ने कहा कि मूलवासी और जनजातीय समुदाय के घटते जनाधार को देखते हुए राज्य सरकार इस तरह की बैठक आयोजित कर रही है.

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समूह ने स्पष्ट किया कि ट्राईबल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक साल में कम से कम 2 बार होनी चाहिए. इसके साथ ही काउंसिल का अध्यक्ष ट्राइबल समुदाय का ही होना चाहिए. भट्टाचार्य ने कहा कि 1996 में ही पेसा कानून अस्तित्व में आया, लेकिन राज्य में उसकी नियमावली अभी तक नहीं बन पाई है.

उन्होंने कहा कि कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि पारंपरिक स्थानीय स्वशासन व्यवस्था को मजबूत किया जाए, लेकिन राज्य सरकार ऐसा नहीं कर रही है. ग्राम सभा को दरकिनार कर सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को कथित रूप से डैमेज करने में लगी हुई है.

भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार तुरंत इस संबंध में कड़े कदम उठाए और पेसा कानून के खिलाफ जितने भी निर्णय लिए गए हैं, उन्हें तत्काल रद्द करें. इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं को लेकर एक खास नाम इस्तेमाल करने पर भी पार्टी ने आपत्ति जताई है.

रांची: पांचवी अनुसूची और पेसा एक्ट की नियमावली बनाने को लेकर राज्य सरकार की कवायद को प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आईवॉश बताया है. पार्टी ने स्पष्ट कहा कि डेढ़ साल पहले पांचवी अनुसूची से संबंधित मामलों के लिए गठित विशेषज्ञ समूह की पहली बैठक गुरुवार को हुई. इससे साफ होता है कि सरकार इन मुद्दों को लेकर कितनी गंभीर है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इस मामले पर जागरूक हुई है. भट्टाचार्य ने कहा कि मूलवासी और जनजातीय समुदाय के घटते जनाधार को देखते हुए राज्य सरकार इस तरह की बैठक आयोजित कर रही है.

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समूह ने स्पष्ट किया कि ट्राईबल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक साल में कम से कम 2 बार होनी चाहिए. इसके साथ ही काउंसिल का अध्यक्ष ट्राइबल समुदाय का ही होना चाहिए. भट्टाचार्य ने कहा कि 1996 में ही पेसा कानून अस्तित्व में आया, लेकिन राज्य में उसकी नियमावली अभी तक नहीं बन पाई है.

उन्होंने कहा कि कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि पारंपरिक स्थानीय स्वशासन व्यवस्था को मजबूत किया जाए, लेकिन राज्य सरकार ऐसा नहीं कर रही है. ग्राम सभा को दरकिनार कर सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को कथित रूप से डैमेज करने में लगी हुई है.

भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार तुरंत इस संबंध में कड़े कदम उठाए और पेसा कानून के खिलाफ जितने भी निर्णय लिए गए हैं, उन्हें तत्काल रद्द करें. इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं को लेकर एक खास नाम इस्तेमाल करने पर भी पार्टी ने आपत्ति जताई है.

Intro:बाइट सुप्रियो भट्टाचार्य, केंद्रीय महासचिव झामुमो


रांची। पांचवी अनुसूची और पेसा एक्ट के नियमावली बनाने को लेकर राज्य सरकार की कवायद को राज्य के प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आईवॉश बताया है। पार्टी ने स्पष्ट कहा कि डेढ़ साल पहले पांचवी अनुसूची से संबंधित मामलों के लिए गठित विशेषज्ञ समूह की पहली बैठक गुरुवार को हुई। इससे साफ होता है कि सरकार इन मुद्दों को लेकर कितनी गंभीर है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि दरअसल राज्य सरकार इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इस मामले पर जागरूक हुई है। भट्टाचार्य ने कहा कि मूलवासी और जनजातीय समुदाय के घटते जनाधार को देखते हुए राज्य सरकार इस तरह की बैठक आयोजित की जा रही है।


Body:उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समूह ने स्पष्ट किया कि ट्राईबल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक साल में कम से कम दो बार होनी चाहिए। साथ ही काउंसिल का अध्यक्ष ट्राइबल समुदाय का ही होना चाहिए। भट्टाचार्य ने कहा कि दरअसल 1996 में ही पेसा कानून अस्तित्व में आया लेकिन राज्य में उसके नियमावली अभी तक नहीं बन पाई है। उन्होंने कहा कि कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि पारंपरिक स्थानीय स्वशासन व्यवस्था को मजबूत किया जाए लेकिन राज्य सरकार ऐसा नहीं कर रही है। ग्राम सभा को दरकिनार कर सामाजिक और सांस्कृतिक सांस्कृतिक संरचना को कथित रूप से डैमेज करने में लगी हुई है।


Conclusion:भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार तुरंत इस संबंध में कड़े कदम उठाए और पेसा कानून के खिलाफ जितने भी निर्णय लिए गए हैं उन्हें तत्काल रद्द करें। साथ ही राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं को लेकर एक खास नाम इस्तेमाल करने पर भी पार्टी ने आपत्ति जताई है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.